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ऑटो ट्रान्सफार्मर क्या है ? प्रकार | efficiency | लाभ-हानि

ऑटो ट्रान्सफार्मर

ऑटो ट्रान्सफार्मर एक ऐसा ट्रांसफार्मर होता है जिसमें एक ही बाइंडिंग का use करके उसे अलग – अलग टर्मिनल में divide किया जाता है तथा इसमें टर्मिनल की संख्या तीन होती है अब इसमें एक ही बाइंडिंग से कुछ भाग Primary winding के लिए use किया जाता है जिसे Input part भी कहते हैं तथा कुछ भाग Secondary winding के लिए use होता है जिसे output part भी कहते हैं इसमें जो Auto शब्द का use होता है जिसे output part भी कहते हैं।

इसमें जो Auto शब्द का use होता है उसका मतलब होता है कि इसमें single coil अकेली work कर रही है। इस प्रकार एक autotransformer two winding transformer के जैसा ही होता है तथा two winding transformer की तरह ही work करता है पर इसमें Primary तथा secondary winding Interrelated होती है।

एक ऑटो ट्रान्सफार्मर में एक ही winding को Primary और secondary winding के लिए use किया जाता है जैसा की इसके circuit diagram में show हो रहा है।

जैसा की diagram में show हो रहा है AB को Primary winding मानते हैं जिसमें मानाकि N1 (Number or turn) है अब इस winding को Point C से tap करते हैं अब मानाकि part Bc जो हैं वो secondary winding है और इसमें Number of turn N2 है अब अगर V1 Voltage Apply किया जाए Point A और C के बीच में तो प्रत्येक turn का Voltage

                    प्रत्येक turn का Voltage = V1/N1 होगा

अब इसी प्रकार जब B व C के बीच का Voltage Calculate करें तो वो V2 होगा जिसकी Value V1/N1 ×N2 होगी

                                      अर्थात V1/N1×N2=V2

   V2/V1=N2/N1 = Constant = K ———- (1)

अब Portion Bc को secondary winding माना गया है अब हम आसानी से समझ सकते हैं कि जो Constant K है वो Voltage ratio or ऑटो ट्रान्सफार्मर कहलाता है। अब इस प्रकार ये ऑटो ट्रान्सफार्मर तैयार होता है जब secondary terminal अर्थात B और c के बीच जब Coad connect किया जाता है तो इसमें current बहना Start हो जाता है जिसे I2 से दर्शाया गया है तथा इस current की value I2 and I1 के difference के बराबर होती है।

ऑटो ट्रान्सफार्मर के प्रकार :-

  Voltage को कम करने और बढ़ाने के आधार पर Autotransformer को दो type में divide किया जाता है जो कम Voltage के Input से ज्यादा Voltage का output देता है उसे step up transformer तथा जो ज्यादा Voltage Input से कम Voltage का output देता है उसे step down autotransformer कहते हैं इनको अलग – अलग detail में समझते हैं कि ये किस प्रकार काम करते हैं।

Galvanic isolation

(1) Step up ऑटो ट्रान्सफार्मर:-

  जैसा की हम जानते हैं Step up transformer में output Voltage Input Voltage से ज्यादा होता है इसलिए हम source को common winding माना की Part Bc से करते हैं तथा Load को जो कि output है उसे part ABC winding से connect करेंगे अब चूंकि Load पर हमें output प्राप्त होगा जो कि ABC से connect है जिसमें number of turn ज्यादा है और हम जानते है Number of turn जितने ज्यादा होंगे output Voltage भी उतना ही ज्यादा होगा इसलिए Input Voltage की तुलना में output Voltage ज्यादा होगा इसके लिए NS/NP >1

जहाँ

                NS – Number of turn in secondery winding

         तथा NP – Number of turn in Primary winding होगा

(2) Step down ऑटो ट्रान्सफार्मर :-

   अब जैसा की हम जानते है step down transformer में output voltage Input voltage से कम होता है इसलिए हम source को winding ABC से connect करेंगे जिससे की जब हम Load को part Bc winding से connect करेंगे जो कि Low voltage पर होगा तथा output voltage Low voltage होगा क्योंकि part Bc में Number of turn कम होंगे तथा जहाँ Number of turn कम होंगे तो output भी Low होगा Input की तुलना में।

 इसके लिए NS/NP<1 होगा जहाँ  Ns – Number of turn in secondery winding

  NP – Number of turn in primary winding

ऑटो ट्रान्सफार्मर की efficiency :-

          efficiency की बात की जाए तो ऑटो ट्रान्सफार्मर की efficiency single Phase transformer से ज्यादा अच्छी होती है क्योंकि ऑटो ट्रान्सफार्मर में एक ही winding का use होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि Normal single Phase transformer में दो अलग – अलग winding होती है तथा ये दोनों आपस में connected नहीं होती है इनके बीच Mutual Induction होता है तथा Voltage generate होता है और दोनों winding उसी Mutual Induction से उत्पन्न Voltage को share करती लेकिन ऑटो ट्रान्सफार्मर में एक ही winding होती है इसलिए Voltage share होने में दोनों Process follow होती है जैसे direct Conduction तथा Mutual induction दोनों से उत्पन्न Voltage share होता है।

अब हम देखते हैं कि direct conduction process के कारण Voltage share होने से यहाँ कोई Losses नहीं होते हैं इसलिए ऑटो ट्रान्सफार्मर की efficency single Phase transformer की efficiency से ज्यादा अच्छी होती है। efficiency की calculation करने के लिए output Power तथा Input Power की गणना की जाती है तथा efficiency को μ चिन्ह से दर्शाया जाता है इस प्रकार efficiency का formula

                                 efficiency (μ) = Output Power/Input Power

अब हम जानते हैं जो Input Power है वही Output Power में Convert होगी कुछ Losses के साथ इसलिए Input Power को इस प्रकार लिखा जा सकता है।

                                    Input Power = Output Power + Losses

अर्थात efficiency का जो Final fomula होगा वो इस प्रकार होगा

                        efficiency = Output Power/Output Power + Losses

अब इस formula से यह देखा जा सकता है Losses जितने ज्यादा होंगे efficiency उतनी ही कम होगी तथा Losses जितने कम होंगे efficiency उतनी ही ज्यादा होगी।

  ये Loss कई तरह के होते हैं जैसे कि ohmic Loss (iron Loss) या core Loss etc. तथा ये होने वाले Loss ऑटो ट्रान्सफार्मर में कम होते हैं इसलिए इसकी efficiency High होती है। तथा साथ ही इसकी winding में होने वाला Voltage drop single winding के resistance तथा reactance के कारण कम होता है इसलिए Autotransformer का Voltage Regulation भी better होता है।

ऑटो ट्रान्सफार्मर के लाभ:-

(1) ऑटो ट्रान्सफार्मर में एक ही winding होती है इसलिए इसमें कम winding मटेरियल का use होता है।

(2) ऑटो ट्रान्सफार्मर small size का होता है।

(3) इसमें winding में होने वाले Losses कम होते हैं जिसमें ज्यादा efficiency होती है ऑटो ट्रान्सफार्मर की।

(4) ऑटो ट्रान्सफार्मर में एक winding होती है तथा दूसरी winding नहीं होती है जिससे उस winding का Resistance तथा Leakage reactance भी नहीं होगा इसका मतलब हुआ की better Voltage Regulation होगा।

(5) यह सस्ता होता है जिससे इसको use करनें में Cost कम होती है।

(6) ऑटो ट्रान्सफार्मर की help से Voltage को अपनी requirement के अनुसार change कर सकते हैं जिससे ये Laboratory में Experiment के use किये जाते हैं।

Disadvantage of Autotransformer :-

(1) इसकी effective per unit impatance बहुत ही कम होती है। जिससे इसमें short circuit current की संभावना ज्यादा होती है।

(2) इसमें Lower voltage में Breakdown को avoid करनें के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि ऐसे circuit की design की जाए जिसमें Low voltage circuit तथा High voltage circuit एक साथ withstand कर पाए।

(3) इसमें Primary और secondery sides के Connection रूप से same होने चाहिए क्योंकि यह Primary or secondery के Phase angle को change करनें में Complications Introduce करते हैं जब कनेक्शन delta / delta बनाया जाता है।

(4) जब दोनों ही winding star / star connection में रहती है तब केवल एक side का earth neutral करना Possible नहीं हो जाता है इस स्थिति में दोनों side को neutral earth किया जाना चाहिए।

(5) जब winding में tapping Provide की जाती है तो इसमें electromagnetic balance को maintain करना बहुत मुश्किल होता है अगर tapping की range बहुत ज्यादा हुई तो फिर इसमें cost बहुत ज्यादा लग जाती है।

ऑटो ट्रान्सफार्मर के उपयोग :-

(1) Autotransformer की मदद distribution system में boosting supply voltage से voltage drop को Compensate किया जा सकता हैं।

(2) ऑटो ट्रान्सफार्मर को बहुत सारी tapping के साथ Induction मोटर तथा Synchronous मोटर को start करनें के लिए use किया जा सकता है।

(3) जहाँ Laboratory में variac की या फिर Continuous variable की जरूरत पड़ती है वहाँ ऑटो ट्रान्सफार्मर का use होता है।

(4) इसकी सहायता से अलग – अलग Voltage के Power system को आसानी से connect किया जा सकता है जैसे की 132 KV और 230 KV systems.

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