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What is Boiler In Hindi – बॉयलर क्या है ?

What is Boiler in Hindi के इस आर्टिकल में बॉयलर से सम्बंधित सभी जानकारी मिलेगी। जिसमे बॉयलर क्या है ? कैसे काम करता है ?1st क्लास और 2nd क्लास ऑपरेटर कैसे बने ? बॉयलर का मैंटेनैंस कैसे करे ये सभी जानकारी यहाँ उपलब्ध है। आशा हे आपके लिए मददगार होगी ।


Table of Contents

What is Boiler – बॉयलर क्या है ?

जो लोग टेक्निकल और इंजीनियरिंग फील्ड से जुड़े होते है, उन्हें बायलर की थोड़ी बहुत जानकारी जरूर होती है। पर जो नॉन टेक्निकल होते है उन्हें बायलर के बारेमे  ज्यादा जानकारी नहीं होती।

पर यदि कोई फैक्ट्री में बॉयलर ब्लास्ट होता है तो ये समाचार सब तक पहोच जाता है। इससे ये अंदाजा तो हरकोई व्यक्ति लगा लेता है की बायलर कोई आम उपकरण नहीं है। और बॉयलर पे काम करना जोखिम भरा हो सकता है।

औद्योगिक एकमो के लिए बॉयलर एक महत्व का अंग है। फैक्टरी में जिस तरह से स्टीम का इस्तेमाल होता है इसे, देखते हुए लोग इसे फैक्टरी का हदय भी कहते है।

सिंपल तरीके से समजे तो बायलर में पानी को गरम करके स्टीम (भाप) तैयार की जाती है। ये स्टीम  उच्च तापमान और उच्च प्रेसर वाली होती है।

बॉयलर से स्टीम जनरेट होती है इसीलिए, इसे स्टीम जनरेटर भी कहा जाता है।

 

Boiler Definition –

एक बंध वेसल जिसमे ईंधन से आग लगाके पानी से स्टीम तैयार की जाती है। इसमें कम से कम 22.75 लीटर पानी संग्रह करने की कैपेसिटी हो। और ये यूनिट सुरक्षा के साधनो से तैयार हो ऐसी रचना को  बायलर कहा जाता है।

वैसे हम सब के घरमे बायलर है। बस हम उसे अलग नाम से बुलाते है। हमारे हरएक के घर में प्रेशर कुकर है। प्रेसर कुकर का काम एक बायलर की तरह ही  है।

प्रेसर कुकर एक छोटे साइज़ और कैपेसिटी का बॉयलर ही  है। हम प्रेसर कुकर में पानी डालते है और निचे आग लगाते है। कुछ देर बाद ऊपर सिटी से भाप (स्टीम ) बहार निकलती है।

प्रेसर कुकर में स्टीम खाना पकाती है।  इसमें स्टीम  का प्रेसर बढ़ जाता है तो सिटी के रास्ते बहार निकल जाती है।

 

Boiler Meaning in Hindi – IBR के मुताबिक 

बॉयलर को हम हिंदी में भाप तैयार करने वाली मशीन कह सकते है।

IBR ( इंडियन बॉयलर रेगुलेशन) के मुताबिक हम बॉयलर की डेफिनेशन देखे तो।

बॉयलर या ने बंध वेसल जिसकी की कैपेसिटी 22 .75 लीटर या उससे अधिक पानी संग्रह की होनी चाहिए तब उसे बॉयलर कहा जायेगा।

Boiler में स्टीम का प्रेसर 3.5 kg /cm 2(50 PSI ) होना चाहिए।

बॉयलर के जरुरी पैरामीटर और सेफ्टी के उपकरण लगे होने चाहिए।

 

बॉयलर कैसे काम करता है ? How To Function of Boiler 

बॉयलर कैसे काम करता है ? ये समजना बहुत आसान है। हमने आगे प्रेसर कुकर का उदहारण देखा ठीक वैसे ही बॉयलर काम करता है। पर स्टीम की कैपेसिटी के अनुसार इसे तैयार किया जाता है।

1 – कोई एक बंध वेसल में पानी भर दिया जाता है। पानी एक लेवल तक रहता है।

2 – वेसल के निचे चोक्कस ईंधन से आग लगायी जाती है।

3 – आग लगने से वेसल के पानी का तापमान बढ़ता है।

4 – पानी  तापमान 100 डिग्री के ऊपर जाने के बाद, पानी का बाष्प में रूपांतर होता है। स्टीम बनाना चालू हो जाता है।

5 –  स्टीम ऊपर की तरफ गति करती है। और आउट लेट से बहार आती है। जहासे इसे उपयोग में लिया जाता है।

 

वैसे ये प्रक्रिया बहुत सरल लगती है। पर ये इतनी सरल नहीं है। टेम्प्रेचर और प्रेसर के साथ स्टीम को मेन्टेन करना आसान नहीं होता।बॉयलर सही तरीके से चलाने के लिए योग्य बॉयलर ऑपरेटर होता है। उसे बहुत सारे पैरामीटर को मेन्टेन करना पड़ता है।

बॉयलर की कैपेसिटी ,बॉयलर का तापमान और बॉयलर का प्रेसर कितना रहेगा ? ये इसके डिज़ाइन के समय ही तैयार किया जाता है।

 

Types of Boiler – बॉयलर के प्रकार 

 

1 – ट्यूब के आधार पे बॉयलर के प्रकार

A – फायर ट्यूब बॉयलर

जिस बॉयलर के ट्यूब में फायर करके पानी से स्टीम तैयार की जाती है, उसे फायर ट्यूब बॉयलर कहा जाता है। फायर ट्यूब बॉयलर आमतौर पे लॉ प्रेसर बॉयलर में इस्तेमाल होता है।

B – वॉटर ट्यूब बॉयलर

इस प्रकार के बॉयलर के ट्यूब में पानी होता है। और निचे आग लगाके पानी से स्टीम तैयार की जाती है। ट्यूब में पानी होने के बजह से उसे वाटर ट्यूब बॉयलर कहा जाता है।

 

2 – फर्नेश की पोजीशन के आधार पे बॉयलर के प्रकार

A – इंटरनली फायर बॉयलर

जिस बॉयलर की फर्नेस के अंदर की तरफ होता है।  ईंधन भी डायरेक्ट अंदर जलाया जाता है। इसे इंटरनली बॉयलर कहते है।

B – एक्सटरनली फायर बॉयलर

इस प्रकार के बॉयलर में फर्नेस बहार की तरफ होता है। ईंधन भी बहार की तरफ से डाला जाता है, इसे एक्सटर्नल फायर बॉयलर कहा जाता है।

 

3 – बॉयलर की पोजीशन के आधार पे बॉयलर के प्रकार

A – वर्टिकल बॉयलर

बॉयलर एक बंध वेसल है। इस वेसल की पोजीशन वर्टिकल होती है तो इसे वर्टिकल बॉयलर कहा जाता है।

B – होरिजेंटल बॉयलर

बॉयलर का वेसल होरिजेंटल स्थिति होता है तो उसे होरिजेंटल बॉयलर कहा जाता है।

C – इन्कलाईन्ड बॉयलर

एक तरफ से थोड़ा ज़ुका हुआ होता है इसे इन्कलाईन्ड बॉयलर कहा जाता है।

 

4 – उपयोग के आधार पे बॉयलर के प्रकार

A – स्टेशनरी बॉयलर

जो बॉयलर की जगह फिक्स है। उसे एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जा सकते उसे स्टेशनरी बॉयलर कहा जाता है। बड़ी कैपेसिटी के बॉयलर हमेंशा स्टेशनरी बॉयलर ही होता है।

B – पोर्टेबल बॉयलर – मोबाइल बॉयलर

इस प्रकार के बॉयलर को हम एक जगह से दूसरी जगह लेके जा सकते है। इसकी जगह फिक्स नहीं होती इसीलिए इसे मोबाइल या पोर्टेबल बॉयलर कहा जाता है। पोर्टेबल बॉयलर छोटी कैपेसिटी में होते है।

 

5 – स्टीम और वॉटर सर्कुलेशन के आधार पे बॉयलर के प्रकार

स्टीम और पानी के सर्कुलेशन के आधार पे बॉयलर के प्रकार निम्नलिखित है।

A – नेचुरल सर्कुलेशन

स्टीम की तुलना में वाटर की ग्रेविटी ज्यादा होती है। पानी निचे रहता है और स्टीम ऊपर की तरफ गति करती है। ये प्रकृति का नियम है। हम इसी नियम के तहत बॉयलर में स्टीम का जनरेशन करते है तो इसे नेचुरल सर्क्युलेशन बॉयलर कहते है।

B – फोर्स्ड सर्कुलेशन

इस प्रकार के बॉयलर में स्टीम और पानी का सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए पंप का इस्तेमाल होता है। पंप का उपयोग करने से प्रेसर बढ़ता है। फाॅर्स का उपयोग करके पानी और स्टीम का सर्कुलेशन करता है, इसे फोर्स्ड सर्कुलेशन बॉयलर कहते है।

 

6 – ईंधन  उपयोग के आधार पे बॉयलर के प्रकार

कोई भी बॉयलर में स्टीम बनाने के लिए पानी गरम करना पड़ता है। पानी गरम करने के लिए अलग-अलग ईंधन का उपयोग होता है। इसके आधार पे बॉयलर के प्रकार निन्मलिखित है।

A – कोल् फायर बॉयलर

ईंधन के तोर पे कोल् का इस्तेमाल करते है, उसे कोल् फायर बॉयलर कहते है।

B – आयल फायर बॉयलर

बॉयलर में ईंधन के तोर पे आयल का इस्तेमाल होता है, इसे आयल फायर बॉयलर कहते है।

C – गैस फायर बॉयलर

ईंधन के तोर पे गैस का इस्तेमाल होता है, उसे गैस फायर बॉयलर कहा जाता है।

D – इलेक्ट्रिकली हीट बॉयलर

इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग करके स्टीम बनायीं जाये तो उसे इलेक्ट्रिकली हीट बॉयलर कहते है। इसमें इलेक्ट्रिक हीटर को पावर सप्लाई दी जाती है। और पानी गरम करके स्टीम तैयार की जाती है। ऐसे बॉयलर को इलेक्ट्रिक हीट बॉयलर कहा जाता है।

E – न्युक्लेअर हीट बॉयलर

यूरेनियम का इस्तेमाल करके हीट जनरेट की जाती है। और इसी हीट से पानी को गरम करके स्टीम बनाया जाता है।

F – सोलर हीट बॉयलर

सोलर पैनल आज बहुत प्रचलित है। इसमें सोलर एनर्जी का इस्तेमाल होता है। सोलर एनर्जी से पानी गरम किया जाता है। इसीलिए इसे सोलर हीट बॉयलर कहते है।

G – वेस्ट हीट रिकवरी बॉयलर

फैक्ट्री में अलग-अलग केमिकल के रिएक्शन होता है। इसमें  बहुत ज्यादा गरमी भी जनरेट होती है। ये एक तरफ से वेस्ट है पर इस वेस्ट हीट से पानी गरम करके स्टीम बनायीं जाती है। इसीलिए इसे वेस्ट हीट रिकवरी बॉयलर कहा जाता है।

 

7 – प्रेसर के आधार पे बॉयलर के प्रकार

बॉयलर में स्टीम जनरेट होती है। ये स्टीम का कितना प्रेसर चाहिए उसके आधार पर ही उसकी रचना की जाती है। और प्रेसर के आधार पे उसका प्रकार त्यय होता है।

A – लॉ प्रेसर बॉयलर

लॉ प्रेसर बॉयलर में स्टीम का प्रेसर 80 bar (लगभग 80 kg/cm2) या उससे कम होता है। याने जिस बॉयलर का स्टीम प्रेसर 80 बार से कम है उसे लॉ प्रेसर बॉयलर कहा जाता है।

B – हाई प्रेसर बॉयलर

बॉयलर में स्टीम का प्रेसर 80 बार से ज्यादा है, उसे हाई प्रेसर बायलर कहा जाता है। उसमे निम्नलिखित दो प्रकार है।

B1 – सब क्रिटिकल बॉयलर

स्टीम का प्रेसर 80 से 221 बार के बीचमे होगा तो, इसे सब क्रिटिकल बायलर कहा जाता है।

B2 – सुपर क्रिटिकल बॉयलर

स्टीम का प्रेसर 221 बार से ऊपर होगा तो उसे सुपर क्रिटिकल बॉयलर कहा जाता है।

 

8 – Combustion सिस्टम के आधार पे बॉयलर के प्रकार

A – सस्पेंशन कमबैंसन

ये ईंधन को जलाने की एक प्रक्रिया है। इसमें बीचमे हवा में ही ईंधन को जलाया जाता है। इसीलिए इसे सस्पेंशन कमबैंसन बॉयलर कहा जाता है।

B – बेड कमबैंसन

ईंधन का कमबैंसन हम बेड पे करा रहे है। याने एक सपाटी पे ईंधन को जलाया जाता है। इसे बेड कमबैंसन कहते है।

बेड कमबैंसन में भी दो प्रकार के बॉयलर होते है। एक स्टॉकर बेड और दूसरा फलूदाईस बेड

 

9 – फ्यूल फीलिंग के आधार पे बॉयलर के  प्रकार

A – Above Bed

यदि हम ईंधन को बेड के ऊपर से फीडिंग करेंगे तो इसे above बेड बॉयलर कहा जायेगा।  CFBC Above बीएड बॉयलर ही कहा जाता है।

B – Under Bed

इस प्रकार के बॉयलर में ईंधन को बेड के निचे से फीडिंग किया जाता है। AFBC बॉयलर अंडर बेड प्रकार के होते है।

 

2nd क्लास बॉयलर ऑपरेटर क्या है ? कैसे बने ?

बॉयलर को Operate करने का काम,  बॉयलर चलाने का काम बॉयलर ऑपरेटर करता है। बॉयलर के सारे पैरामीटर के रीडिंग लेना और उसे मेन्टेन बॉयलर ऑपरेटर करता है।

फैक्टरी में बॉयलर ऑपरेटर की जॉब सन्माननिय जॉब होती है। फैक्टरी के हदय समान बॉयलर का ऑपरेटर होना एक गर्वे की बात है।

काफी लोगो का सवाल है की बॉयलर ऑपरेटर कैसे बना जाता है ? ये प्रोसेस बहुत आसान है। पर मेहनत हर जगह करनी पड़ती है।

बॉयलर ऑपरेटर का जॉब चैलेंजिंग जॉब होता है। क्युकी, उसे हाई प्रेसर और हाई तापमान के साथ काम करना पड़ता है।

2nd बॉयलर ऑपरेटर के लिए पात्रता क्या चाहिए।

1 – 2nd क्लास बॉयलर ओपेरटर बनने के लिए परीक्षा पास करनी पड़ती है।
1 – व्यक्ति की उम्र 18 साल से ऊपर होनी चाहिए।
2 – 10th तक की पढाई होनी चाहिए।
3 – दो साल का अनुभव सर्टिफिकट होना चाहिए।
4 – अनुभव बॉयलर या उससे जुड़े उपकरण को ऑपरेट करने का होना चाहिए।
5 – यदि 10th के बाद आईटीआई किया है तो एक साल का अनुभव होना चाहिए।

ज्यादातर बॉयलर ऑपरेटर आईटीआई करने के बाद अप्प्रेन्टिस बॉयलर में करते है। और वहीं से उनकी journey सरु होती है। कुछ ऑपरेटर फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास बॉयलर के साथ में रहके काम करते है। और शिखते है।

IBR(Indian Boiler Regulator) के नियमानुसार हरेक बॉयलर पे एक सेकंड क्लास और एक फर्स्ट क्लास ओपेरटर होना जरुरी है।

 

1st क्लास बॉयलर ऑपरेटर कैसे बने।

1st क्लास बॉयलर ऑपरेटर बनने के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन करनी पड़ती है। जैसे 2nd क्लास के लिए हमने ऊपर देखा।

इसमें उम्र की समय सिमा 20 साल है। बिस साल के बाद ही 1st क्लास के लिए अप्लाई कर सकते है।

1st क्लास बॉयलर अटेन्डेन्ट के लिए तीन साल का डिप्लोमा कोर्स और अप्प्रेन्टिस ट्रेनिंग होनी चाहिए। रिलेटेड फील्ड में 1 साल का अनुभव होना चाहिए।

OR

बॉयलर अटेन्डेन्ट 2nd क्लास सर्टिफिकेट्स के साथ 2 साल बॉयलर में काम किया होना चाहिए।

कम से कम 50 स्कवायर मीटर के हीटिंग सरफेस वाले बॉयलर पे काम किया होना चाहिए।

सभी डॉक्युपमेन्ट की सेल्फ अटेस्टेड कॉपी, अनुभव का सर्टिफिकेट्स के साथ ऑनलाइन एप्लीकेशन करना पड़ता है।

सरकार द्वारा त्यय की गयी फीस पे करनी पड़ती है।

सभी डॉक्युपमेन्ट के साथ बॉयलर की राज्य सरकार की वेबसाइट पे ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है। और डॉक्युपमेन्ट को अपलोड करना पड़ता है।

(BOE) Boiler Operational Engineer कैसे बने

बॉयलर इंजीनियर बनने के लिए क्या पात्रता चाहिए ये निम्नलिखित है।

1 – इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, पावर प्लांट, केमिकल, इंस्ट्रुंनेट जैसी शाखा में डिप्लोमा या डिग्री का सर्टिफिकेट्स होना चाहिए।
2 – डिग्री के बाद 2 साल और डिप्लोमा के बाद 5 साल का अनुभव होना जरुरी है।
3 – बॉयलर इंजीनियर के लिए उम्र की 23 से कम नहीं होनी चाहिए।
4 – 1000 sq. मीटर हीटिंग सरफेस वाले बॉयलर का अनुभव होना चाहिए।
5 – सभी डाक्यूमेंट्स के साथ ऑनलाइन एप्लीकेशन करना होता है।
6 – परीक्षा के लिए ईमेल या कॉल मिलता है। परीक्षा पास करके बॉयलर इंजीनियर बन सकते है।

1st क्लास बॉयलर ऑपरेटर और 2nd क्लास बॉयलर ऑपरेटर बॉयलर इंजीनियर के अंदर कम करते है।

 

बायलर एग्जाम के लिए कैसे अप्लाई करे

1 – आजकल लगभग सभी राज्य सरकारों ने बॉयलर एग्जाम का आवेदन ऑनलाइन करदिया है।

2 – हरएक राज्य की वेबसाइट होती है। ऑनलाइन परीक्षा के लिए आवेदन किया जाता है। जैसे गुजरात में www.boiler.gujarat.gov.in में जाके 2nd क्लास बॉयलर ऑपरेटर के लिए आवेदन कर सकता है। लगभग ऑनलाइन आवेदन सभी राज्यों होता है। सभी राज्यों की वेबसाइट होती है।

3 – ऑनलाइन आवेदन में फॉर्म फील करना होता है।
इस फॉर्म में पूरी जानकारी भरनी पड़ती है। जैसे नाम, एड्रेस, एजुकेशन, अनुभव की जानकरी मांगी जाती है।

4 – हमारे एजुकेशन के सटिफिकेट्स और अनुभव के सर्टिफिकेट्स को ऑनलाइन अपलोड करना पड़ता है।

5 – राज्य सरकार द्रारा त्यय की गयी फीस भरनी पड़ती है। और रसीद सबमिट करनी पड़ती है।

6 – पुरे डॉक्युपमेन्ट के साथ फॉर्म को सबमिट करे।

7 – कुछ दिनों बाद राज्य की बॉयलर डायरेक्टर की ऑफिस से मौखिक इंटरव्यू के लिए कॉल या ईमेल आता है। जिसमे परीक्षा की डेट होती है।

8 – बॉयलर के जानकारों द्वारा मौखिक इंटरव्यू लिया जाता है। यदि हम उसमे उत्तीण होते है, तो हमें 2nd क्लास बॉयलर का सटिफिकेटे मिलते है।

याद रखे – IBR ( इंडियन बॉयलर रेग्युलेटरी ) के द्वारा ये त्यय किया गया है। की हरेक बॉयलर पे एक 2nd क्लास और एक 1st क्लास बायलर ऑपरेटर होना जरुरी है। इसीलिए आगे बढ़ने के लिए ये सेर्टिफिकेट लेना जरुरी है।

 

बॉयलर के मुख्य भाग – Parts of Boiler

बॉयलर के मुख्य भाग, सहायक उपकरण और सेफ्टी उपकरण निन्मलिखित है।

 

What is Boiler In Hindi

Boiler parts- What is Boiler In Hindi

 

1 – Burner

बर्नर बॉयलर का महत्व का अंग है। जहा से बॉयलर को फायर किया जाता है उसे बर्नर कहते है। यहाँ पे एयर को फ्यूल के साथ मिलाया जाता है।

हमने अपने घरके किचन में बर्नर देखा होगा।  गैस की सगड़ी को कैसे जलाया जाता है। गैस की स्विच ऑन करके लाइटर लगाया जाता है। यहाँ गैस चालू रहता है क्युकी, ऑक्सीज़न बहार से मिल जाती है।

बॉयलर के बर्नर में फ्यूल के साथ ब्लोअर से हवा भी दी जाती है। फ्यूल, ऑक्सीज़न और तापमान होता है तब बॉयलर फायर होता है। बर्नर में गैस और एयर के वाल्व का सेटिंग किया जाता है।

कम एयर सही फायरिंग नहीं पकड़ेगी और ज्यादा एयर लोसिस बढ़ाएगी इसीलिए इसे सेटिंग किया जाता है।

 

2 – Combustion Chamber

Combustion चैम्बर को स्टील या कास्ट आयरन से बनाया जाता है। इसमें  ईंधन को जलाया जाता है इसीलिए उसे combustion चैम्बर कहा जाता है। यहाँ का तापमान सबसे ज्यादा होता है।

Combustion चैम्बर की हीट से पानी गरम होता है। और पानी का स्टीम में रूपांतर होता है। ये लगातार तापमान में रहने के कारण, समयांतर पे उसका रखरखाव किया जाता है।

 

3 – Heat Exchanger

हीट एक्सचेंजर याने हीट को एक्सचेंज करता है। हीट एनर्जी को कोल्ड एनर्जी  में रूपांतर करता है। कम से कम समय से ज्यादा से ज्यादा हीट एक्सचेंज करने का काम हीट एक्सचेंजर करता है।

Heat Exchanger में एक तरफ से हॉट फ्लू दिया जाता है। दूसरी तरफ कोल्ड का आउटपुट होता है।

हीट एक्सचेंजर में अलग-अलग प्रकार है। पर काम का सिद्धांत एक ही है।

4 – मेईन होल

बॉयलर चालू स्थिति में होता है तब, ये होल हमेशा बंध रहता है। पर जब बॉयलर का मेंटेनेंस करना होता है तब, इसी होल से व्यक्ति अंदर जा के काम कर सकता है।

5 – Circulation Pump

हीटिंग प्रोसेस के लिए पानी का सर्कुलेशन करता है इसे सर्कुलेशन पंप कहते है।

 

Boiler Mounting- Boiler के सुरक्षा उपकरण 

 

बॉयलर में कुछ उपकरण लगाया जाता है। जिसे बॉयलर मॉउंटिंग कहते है। ये उपकरण बॉयलर की सेफ्टी के लिए लगाया जाता है।

 

प्रेसर गेज 

प्रेसर गेज बॉयलर में स्टीम का प्रेसर नाप ने के लिए इस्तेमाल होता है। एक बड़ा साइज का गेज बॉयलर के सामने ही लगाया जाता है। आमतौर पर बॉयलर बर्डन टाइप का प्रेसर गेज का इस्तेमाल होता है।

 

सेफ्टी वाल्व 

बॉयलर की सुरक्षा के लिए इसका उपयोग होता है। इसमें प्रेसर का सेटिंग किया जाता है। स्टीम का प्रेसर सेटिंग से ज्यादा होगा तो ये वाल्व ऑपरेट होगा। इस वाल्व से स्टीम बहार निकल निकल जाती है। प्रेसर कम हो जाता है। और हम बड़ी दुर्घटना से बच जाते है। हरेक बॉयलर में दो सेफ्टी वाल्व होते है।

 

वॉटर लेवल इंडिकेटर

बॉयलर में पानी का लेवल मेन्टेन करना पड़ता है। पानी कम न हो जाये उसका ध्यान रखना पड़ता है। बॉयलर की टैंक में पानी का लेवल चेक करने के लिए वाटर लेवल इंडिकेटर का इस्तेमाल होता है। इसमें ग्लास का इस्तेमाल और बॉयलर सामने की साइड में लगाया जाता है।

 

स्टीम स्टॉप वाल्व

स्टीम कण्ट्रोल करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। स्टीम की आउट लाइन में लगाया जाता है। स्टीम की जरुरत के मुजब इसे ओपन और क्लोज करते है। ये प्रेसर बढ़ाने में भी काम आता है।

 

ब्लो ऑफ कॉक  

मड और पानी को निकाल ने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। इसे बॉयलर ड्रम के निचे के हिस्से में लगाया जाता है। यहाँ से कचरा बहार किया जाता है।

 

फीड चेक वाल्व

ये NRV ( नॉन रिटर्न वाल्व ) होता है। इस वाल्व से पानी का सप्लाई बॉयलर के ड्रम में जाता है। ये ड्रम में नार्मल वाटर लेवल के थोड़े निचे  हिस्से में लगाया जाता। है पानी का लेवल मेन्टेन करने में अहम् भूमिका अदा करता है।

 

Fusible Plug –

बॉयलर में ये एक सेफ्टी डिवाइस है। जब बॉयलर का ओवर हीटिंग होने लगता है तब, ये प्लग पिगल जाता है। और फर्नेश में जहा बर्निंग होता है वहां पानी गिरा देगा। बढ़ते हुए तापमान को कण्ट्रोल कर देगा।

 

Boiler Accessories – बॉयलर के सहायक उपकरण 

बॉयलर में ये सहायक उपकरण बॉयलर की Efficiency बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होते है।

 

Super Heater

सुपर हीटर का उपयोग बॉयलर की Efficiency बढ़ाने के लिए होता है।

बॉयलर ड्रम से निकलने वाली स्टीम सुपर हीटर में जाती है। यहाँ से आउटपुट लाइन से लोड के लिए जाती है।

 

Air Preheated

बॉयलर फर्नेस में जो एयर जाती है उसे प्रीहीट करके भेजता है। याने फर्नेस में ब्लोअर से एयर भेजी जाती है उसे पहले एयर हीटर से गुजरना पड़ता है। ये गरम हवा से बॉयलर की कार्यक्षमता बढ़ती है।

 

Feed Water Heater

बॉयलर में स्टीम बनाने के लिए पानी पहोचाहया जाता है। ये पानी को पहले से ही गरम करके भेजा जाये तो Efficiency बढ़ जाती है। फीड वाटर हीटर बॉयलर में जाने वाला पानी को गरम करता है।

 

Feed Pump

पानी को बॉयलर में भेज ने का काम फीड वाटर पंप का है।

 

Economizer

इसके नाम में ही इकोनॉमिक है। ये वेस्ट हीट का उपयोग करता है। और बॉयलर की कार्यक्षमता बढ़ाता है।

 

Boiler Maintenance

बॉयलर सतत कार्यरत रहने वाला उपकरण है। इसीलिए इनका रखरखाव बहुत जरुरी है। कैसे करते है बॉयलर को मेन्टेन ये आगे देखते है।

Daily Boiler Maintenance Check List

ज्यादातर लोग सोचते है की बॉयलर का मैंटेनैंस महीने में एक बार या साल में दो बार करना चाहिए। पर ये सही नहीं है बॉयलर ये 24 /7 चलने वाला उपकरण है। इसपे हमेशा हमारी नजर रेहनी चाहिए।

हम हररोज बॉयलर में क्या कर सकते है, उसे गहराई से समझते है।
1 – बॉयलर के चारो तरफ राउंड लगाके चेक करे कोई लाइन लीकेज नहीं है।
2- बॉयलर के आसपास कोई बाधा उत्पन्न करने वाला सामान नहीं है ये चेक करे।
3 – टेम्प्रेचर, प्रेसर और लेवल गेज का रीडिंग अपनी रेंज में होना चाहिए।
4 – डिस्प्ले पैनल चेक करना चाहिए, कोई एरर कोड दीखता है तो उसे तुरंत संज्ञान में लेना चाहिए।
5 – वेंट टर्मिनेशन में कोई ब्लॉकेज नहीं है ये चेक करे।
6 – Combustion एयर ओपनिंग चेक करे।
7 – बॉयलर में उपयोग होने वाले हरएक उपकरण का आवाज और वाइब्रेशन चेक करना चाहिए।
8 – लोग शीट के आधार पे हरएक पैरामीटर का रीडिंग लेना चाहिए, कुछ भी अबनॉर्मल मिलता है तो तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

Monthly Inspection Boiler Check List

डेली चेकलिस्ट के आलावा मंथली चेकलिस्ट में कुछ और पॉइंट जुड़ जाते है। इसे हर महीने चेक करना चाहिए।

1 – Combustion की एयर पाइप और फ्लू गैस वेंट पाइप लीकेज और ब्लॉकेज चेक करना चाहिए।
2- रिलीफ वाल्व डिस्चाज पाइप, बॉयलर रिलीफ वाल्व को चेक करे। यदि कोई लीकेज और वीपिंग है तो उसे ठीक करे।
3 – बॉयलर की टोटल कन्डेंसिंग सिस्टम चेक करे। ड्रेन वाल्व, PVC फिटिंग, ड्रेन सिस्टम और ड्रेन टेप में कोई ब्लॉकेज नहीं होना चाहिए।

 

Periodic Boiler Maintenance Check List- Annual Maintenance

IBR नियमो के अनुशार साल में एक बार बॉयलर का इंस्पेक्शन करना जरुरी है। ये इंस्पेक्शन सरकार द्वारा त्यय किये गए सरकारी अफसर द्रारा किया जाता है। इसे बॉयलर इंस्पेक्टर कहते है।

1 – बॉयलर की लाइन का हाइड्रोलिक टेस्ट लेना चाहिए। लीकेज चेक करना चाहिए।

2 – बर्नर की फ्लेम चेक करनी चाहिए। यदि कुछ अबनॉर्मल लगता है तो इसे ठीक करना चाहिए।

3 – बॉयलर में लॉ वॉटर कट ऑफ चेक करना चाहिए। ये जाँच लेना चाहिए की लेवल स्विच के मुताबिक ये काम करता है की नहीं।

4 – बॉयलर हीट एक्सचेंजर क्लीन करना है और कोई अब्नोर्मलिटी दिखे तो उसे सही करना है।

5 – बॉयलर से जुडी हरएक लाइन की टाइटनेस चेक करनी चाहिए।

6 – बॉयलर से जुड़े हरएक इलेक्ट्रिकल और इंस्ट्रूमेंट कनेक्शन चेक करवाना चाहिए।

7 – पानी की ph लेवल रेंज में होनी चाहिए।

8 – condensate सिस्टम को फ्लस करके साफ करना चाहिए।

9 – फ्लैम सेंसर, ignitor, और बर्नर assembly को चेक करके साफ करना चाहिए।

10 – हरएक पाइप जॉइंट पे करोजन और ब्लॉकेज चेक करना चाहिए।

11- एयर इनलेट और वेंट टर्मिनेशन में किसी तरह की रूकावट नहीं है ये चेक करे।

12 – चेक कण्ट्रोल सेटिंग एंड चेक सेफ्टी डिवाइस, कार्यरत होने से पहले उसे जाँच लेना जरुरी है।

13 – बॉयलर छोड़ने से पहले ये जाँच ले की हरएक उपकरण सही काम कर रहा है।

कम्प्रेसर का कार्य और प्रकार

थर्मल पावर प्लांट कैसे काम करता है ?

मैकेनिकल इंजीनियर कैसे बनते है ?

 

आशा करता हु ,What is Boiler In Hindi  में बॉयलर की जानकारी आपके लिए हेल्पफुल होगी । इसके आलावा भी आप बॉयलर के बारेमे कोई सवाल है तो कमेंट बोस में पूछ सकते है ।

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10 Comments

  1. बहुत ही महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए आपको धन्यवाद l

    Boiler के water parameter को भी ismen add करने की कृपा करेंl

    जैसे blowdown का PH, TDS, etc.

  2. सर हाई स्कूल करने के बाद इस क्षेत्र में जाने के लिए मुझे क्या करना होगा

    1. Sunny, apko do sal ka iti couse karna hoga, iske bad ap kisi company me Boiler operator ke sath anubhav leke Boiler proficiancy ki exam de sakte ho. or boiler operator ban sakte hao.

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