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Air Conditioner In Hindi – हिंदी में AC की जानकारी

Air Conditioner in Hindi के इस आर्टिकल में AC से जुड़े कुछ सवाल है। जैसे की एयर कंडीशनर क्या है ? कैसे काम करता है ? कितने प्रकार के होते है ? हमारे लिए सबसे अच्छा AC कोनसा है ? ये सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की है, आशा है ये आपके लिए मददगार होगा।

  Air Conditioner In Hindi – AC क्या है ? हमें कोनसा AC लेना चाहिए ?


Air Conditioner आज के डोर में नयी चीज नहीं है। हा, इसे एक अद्भुत खोज जरूर कह सकते है। जो आज के समय में सबसे ज्यादा मांगो में से एक है। दिन ब दिन बढ़ता तापमान सबको AC के साथ जीने के लिए मजबूर कर रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की असर पूरी दुनिया पे हो रही है।

 

AC का फुल फॉर्म – Air Conditioner 

AC Meaning in Hindi – वातानुकूलक

 

AC का काम क्या है ? 

एयर कंडीशनर कूलिंग करता है। तापमान को कम करता है। जिस तरह एक हीटर का लक्षण गरम करना है, वैसे ही एयर कंडीशनर का काम ठंडा करना है। इसमें एक कमरा भी हो सकता है। एक ऑफिस भी हो सकता है। एक बिल्डिंग या एक प्लांट भी हो सकता है।

हमारी जरुरत के मुताबिक हम एयर कंडीशनर लगा सकते है। जिस जगह पे हमने लगाया है उस एरिया के तापमान को कम करता है। उस एरिया को ठंडा करता है।

 

Air Conditioner in Hindi

Air Conditioner काम कैसे करता है ?

एयर कंडीशनर कैसे काम करता है, ये जानने के लिए हमें इसके हर एक भाग को समझना पड़ेगा। हरएक भाग का काम क्या है ये जानना पड़ेगा।

एयर कंडीशनर के मुख्य भाग।

1 – Evaporator

2 – Compressor

3 – Refrigerant 

4 – Condenser

5 – Expansion Valve

 

Evaporator Coil

Evaporator में ट्यूब की कोइल होती है। जिसे कॉपर ट्यूब से “U”आकर में बनाया जाता है। ये रुम की गरमी को खींच लेता है। हीट ओब्ज़र्ब करता है। ये AC के इंडोर यूनिट में होता है। इसमें रेफ्रिजरेंट गैस का इस्तेमाल होता है। रेफ्रिजरेंट गैस में HCF(हाइड्रो फ्लोरो कार्बन)का उपयोग बेहतर है।

ये गैस की खासियत होती है की अपने आसपास की गरमी को खींच लेता है। साथ में नमी को भी बहार निकाल देता है। वातावरण के लिए भी ये गैस दूसरे गैस की तुलना में बेहतर है।

 

याद रखे – कोई भी होम अप्प्लाएन्स हमारे घरमे कम से कम 8 से 10 साल का मेहमान होता है। यदि खरीदते वक्त एक गलती हो गयी तो 10 साल तक भुगतना पड़ सकता है।

 

Compressor 

कम्प्रेसर एयर कंडीशनर सिस्टम में महत्व की भूमिका निभाता है। कम्प्रेसर जो कम्प्रेस करता है, दबाता है। evaporator से गरम हवा कम्प्रेसर में जाती है। जिस हवा को कंप्रेस करता है, याने दबाता है। जिसके कारण गैस ज्यादा गरम हो जाती है। इसी गरम गैस कम्प्रेसर से कंडेनसर की तरफ जाती है। जहा कंडेनसर आगे का काम करता है।

बॉयल और चाल्स के नियम के अनुशार, जब प्रेशर बढ़ाया जाता है, तब टेम्प्रेचर बढ़ता है। इसीलिए जब हम रेफ्रिजरेंट का प्रेशर बढ़ाते है तो तापमान बढ़ता है। और यही कम्प्रेसर का मुख्य काम है।

 

Refrigerant

ये कूलैंट के नाम से जाना जाता है। जिसका सही नाम Freon®  है। ये एक विशेष तरल पदार्थ है, जो एयर कंडीशनर में महत्व की भूमिका अदा करता है। ये एक क्लोज लूप सर्किट में काम करता है। हमारे कमरे की गरमी को रुम के बहार ले जाता है।

एयर कंडीशनर में इन साइड और आउटसाइड कॉपर ट्यूब होती है। रेफ्रिजरेंट इन ट्यूबों के जरिये अपना काम करता है।

रेफ्रिजरेंट रुम के अंदर की गरम हवा को खींच लेता है और बहार कर देता है। गैस को liquid में कन्वर्ट करता है। एक प्रक्रिया ये है की ठंडी हवा को फैन के जरिये रुम के अंदर फैलता है। ये साईकल चलता रहता है।

 

Expansion Valve 

Expansion वाल्व दो कोइल के बिच में लगा रहता है। जिसमे एक कोइल बहुत गरम होती है और एक ठंडी होती है। रेफ्रिजरेंट जब कंडेनसर से liquid फॉर्म में आगे बढ़ता है,तब  गरमी कम हो जाती है। इसके बावजूद कुछ हद तक तो गरम होता है।

Evaporator कोइल में जाने से पहले इसे ठंडा करना जरुरी है। इसीलिए बिच में expansion valve लगाया जाता है।

सयुक्त गैस सिद्धांत का उपयोग करते हुए। जब प्रेशर कम किया जाये तब तापमान कम हो जाता है। Expansion valve रेफ्रिजरेंट का प्रेशर कम करता है और उसे ठंडा करता है। जिसके कारण हमारे रुम में मिलने वाली हवा ठंडी होती है और रूम का तापमान काम होता है।

 

Condenser Coil 

एयर कंडीशनर में कंडेनसर कोइल आउट डोर में रहती है। ये एक हिट एक्सचेंजर की तरह काम करता है। इसमें कम्प्रेसर से बहुत ज्यादा तापमान वाली भाप आती है। उसे कूलिंग करना इसका मुख्य काम है। 

Evaporator और कंडेनसर का काम एक दूसरे की विपरीत है। Evaporator में रेफ्रिजरेंट ठंडा होता है और Condenser में रेफ्रिजरेंट गरम होता है।

Condenser भाप का तापमान कम करके उसे ठंडी हवा या पानी में कन्वर्ट करता है। जिसका उपयोग कूलिंग मीडियम के रुप में किया जाता है।

कंडेनसर कम्प्रेसर द्वारा कम्प्रेस की गयी रेफ्रीजरेंट बाष्प को liquid में कन्वर्ट करता है।

 

याद रखे – किसी भी होम अप्प्लायन्स की सर्विस के लिए अकेली स्त्री या सिर्फ बच्चे ही घरमे हो तब न बुलाये।

 

 

Air Conditioner in Hindi

 

AC में कोनसा गैस का इस्तेमाल होता है ?

 

Air Conditioner में रेफ्रिजरेंट के तोर पे CFC (क्लोरो फ्लोरो कार्बन) और HCFC (हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन) का इस्तेमाल होता था। पहले सिर्फ CFC का ही उपयोग होता था जिसे फ्रीऑन गैस भी कहा जाता है।

CFC गैस को HCFC (हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन) में परिवर्तित किया गया और इसका इस्तेमाल होने लगा। HCFC ये CFC से बेहतर रेफ्रिजरेंट है। पर ये वातावरण को नुकशान ज्यादा पहुँचता है। इसीलिए अब HFC (हाइड्रो फ्लोरो कार्बन) का इस्तेमाल होता है। जो HCFC से बेहतर साबित होता है। R-401A सबसे आम HFC है।

HFC में इसके आलावा R-290 का भी इस्तेमाल होता है। जो हाइड्रो कार्बन प्रोपेन पर आधारित रहता है। इसकी कार्यक्षमता भी अच्छी है और ये वातावरण के लिए भी बेहतर है।

 

AC का तापमान कितना रखना चाहिए

 

AC का तापमान 25-27 डिग्री तक होना चाहिए। जिसे हमारी जेब पे भी भार कम पड़ेगा और हमारी सेहत के लिए भी अच्छा रहेगा।

आम तोर पे लोग AC का तापमान काफी कम रखते है। 16 से 20 डिग्री के बिच में।

दरअसल ये तापमान हमारी शरीर और हमारे यहाँ का वातावरण को देखे तो हमें नुकशान कर शकता है।

Air कंडीशनर का तापमान दिन की तुलना में रात को भी अलग होना चाहिए। क्युकी, रात को दिन की तुलना में तापमान कम होता है वैसे में हम AC का सेटिंग ज्यादा कर सकते है।

एयर कंडीशनर का तापमान को 25 से 27 डिग्री मेन्टेन करने से दो लाभ है। एक तो अपने शरीर पे इसकी कोई ख़राब असर नहीं होगी। दुशरा हमारा बिजली का बिल कम आएगा

 

AC लगाने के बाद क्या करना चाहिए

 

1 – AC को साल में एक बार सर्विस जरूर करवाए।

2 – AC की सर्विस अच्छे कारीगर से ही करवाए।

3 – दिन में एक बार खिड़की दरवाजे खोल देने चाहिए क्युकी गैस रिसाव के खतरे से बच सके।

4 – खिड़की दरवाजे खोलते वक्त AC बंद कर देना चाहिए इसे बिजली के बिल पे असर होता है।

5 – यदि गैस फिलिंग करना पड़े तो गैस की क्वालिटी जरुर देखे।

 

याद रखे – होम अप्प्लायन्स खरीद ते समय BEE स्टार रेटिंग जरुर देखे। थ्री स्टार से फाइव स्टार मेंहगा होता है। पर लम्बे समय के लिए सोचे तो फाइव स्टार ही लेना चाहिए। जिसे बिजली का बिल कम आता है।

 

AC कितने घंटे चलाना चाहिए ?

 

ये सवाल काफी लोगो के मन में होता है। वैसे AC को हम चलाने के लिए ही लाये है।

इसीलिए यदि 24 घंटे चलाएंगे तो भी चलेगा पर इसे होने वाली असर का भी ध्यान रखा जाता है।

AC हम हमारी जिंदगी को ज्यादा आराम दायक बनाने के लिए खरीद ते है। पर इतना भी आराम नहीं की हमें इसकी आदत हो जाये और दुष्परिणाम भुगतने पड़े। 

हमें तापमान को मेन्टेन करना है। इसीलिए हमारा घर या कमरा जहा AC लगा है वहा वातावरण का तापमान की असर क्या होती है ये देखना चाहिए।

यदि हम 24 घंटे AC चलाते है तो हमारी रोगप्रतिकारक शक्ति कम हो शकती है।

कमरा 24 घंटे बंध रहने से वहां ऑक्सीज़न की कमी महसूस हो सकती है।

हमारे देश में AC की जरुरत गरमी के दिनों में ही होती है। इसी गरमी के दिनों में तापमान बनाये रखने के लिए दिन में कुछ घंटे चलना चाहिए।

 

AC खरीदने ने से पहले क्या ध्यान रखना चाहिए

 

याद रखे कोई भी होम अप्प्लाएन्स हमारे घरमे कम से कम 8 से 10 साल का मेहमान होता है। यदि खरीदते वक्त एक गलती हो गयी तो 10 साल तक भुगतना पड़ सकता है।

1 – सबसे पहले जहा हमें AC लगाना है उस कमरे का साइज क्या है।

2 – कितने लोगो ले लिए ये एयर कंडीशनर उपयोग होने वाला है।

3 – कमरे में एयर सर्कुलेशन किस तरह का है।

4 – जिस रुम में AC चलाना है वहां बिजली के उपकरण कितने चलाये जाते है।

5 – कमरे में सामान कितना रखा है।

 

Air Conditioner in Hindi के इस आर्टिकल में ऊपर दिए गए पॉइंट हमें पता चलता है की कितनी कैपेसिटी का AC खरीदना चाहिए।

 

पर एक महत्व पूर्ण बात है की कितने स्टार वाला AC खरीदना चाहिए ?

जब हम AC खरीदने जाते है तो उसके ऊपर स्टार के निशान होता है। जैसे थ्री स्टार, फाइव स्टार विगेरे। …

थ्री स्टार रेटिंग का AC फाइव स्टार रेटिंग से कम कीमत में मिलेगा। पर बिजली की खपत ज्यादा करेगा।  इसीलिए फाइव स्टार ही कन्सिडर करना चाहिए।

आजकल एक नयी टेक्नोलॉजी में VFD वाला AC भी मिलता है। इसकी भी कीमत Non-inverter AC से ज्यादा होती है। पर ये वन टाइम इन्वेस्टमेंट आपको आगे लाभ करा सकता है।

 

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Different Between Inverter AC and Non Inverter AC

 

दोनों AC देखने में एक जैसे ही होते है। लुक से पता नहीं चलेगा ये इन्वर्टर AC है या नॉन इन्वर्टर है।

इन्वर्टर AC यूज़ करने का सबसे बड़ा फायदा पावर Consumption का है। इन्वर्टर AC की तुलना में नॉन इन्वर्टर AC ज्यादा बिजली की खपत करता है।

नॉन इन्वर्टर में कम्प्रेसर लगातार एक स्पीड पे चलता है। इन्वर्टर AC वेरिएबल स्पीड से चलता है। यहाँ बिजली का सेविंग होता है।

नॉन इन्वेटर में कम्प्रेसर ओन ऑफ़ होता है। तापमान अनइवन होता है। इन्वेटर AC में तापमान सेट किया गया पॉइंट पे मेन्टेन रहता है।

नार्मल AC में इंस्टेंट कूलिंग मिलता है। जबकि इन्वर्टर AC शरुआत में कूलिंग होने में टाइम ज्यादा लगता है।

बढ़ती टेक्नोलॉजी के कारण कंपनी ओ का ध्यान इन्वर्टर AC की तरफ ज्यादा है। शरुआती कीमत ज्यादा होती है। पर पावर सेविंग बहेतरीन होता है। इसीलिए ज्यादा लोगो की पसंद आजकल इन्वर्टर AC ही है ।

इन्वर्टर AC में नॉन इन्वर्टर AC की तुलना में मेंटेनन्स कॉस्ट ज्यादा होती है।

नार्मल AC में कम्प्रेसर की वारंटी 2 से 5 साल की होती है। इन्वर्टर AC में कम्प्रेसर की वारंटी 10 साल की होती है।

नार्मल AC में R -22 गैस का इस्तेमाल होता है। ये वातावरण को प्रदूषित करता है।

इन्वर्टर AC में R – 32 और R – 410 A का इस्तेमाल होता है। ये गैस वातावरण को कोई नुकशान करता नहीं है।

 

AC के प्रकार – Types of Air Conditioner in Hindi

 

1 – Split AC

स्प्लिट AC ही आजकल ज्यादा प्रचलित है। इसमें दो यूनिट होते है, एक इनडोर और एक आउटडोर। इंडोर यूनिट कमरे के अंदर फिट होता है और आउटडोर बहार फिट होता है।

इंडोर यूनिट कमरे की गरम हवा को बहार खींचता है। आउटडोर यूनिट में कम्प्रेसर और फैन होता है।

 

2 – Window AC

विंडो एसी दीवाल के आरपार फिट किया जाता है। ज्यादातर इसे फिट करने के लिए खिड़की ही पसंद की जाती है। कूलिंग में ये AC अच्छा है पर स्प्लिट AC की तुलना में आवाज ज्यादा होता है।

 

3 – Portable AC

इस प्रकार के Air Conditioner कम कैपेसिटी में मिलते है। जहां छोटा कमरा या छोटी ऑफिस के लिए ये ठीक है। ज्यादा तर 1 टन की कैपेसिटी में मिलते है।

 

4 – Cassette AC

इस प्रकार के एसी छत में लगाए जाते है। कोई बड़ा होल, होटल या बड़ी बिल्डिंग में इस प्रकार के एसी का इस्तेमाल ज्यादा होता है। ये दिखने में भी अच्छा लगता है और इसका आवाज भी असर नहीं करता। 

5 – Central AC

सेंट्रल AC बड़ी होटल्स या बड़े होल में उपयोग ज्यादा होता है। इस प्रकार के AC में आउटडोर बड़ी कैपेसिटी का होता है। ज्यादातर इसे छत पर लगाया जाता है। जहा कूलिंग पहोचाना होता है, वहां डक्ट लगायी जाती है। इंडस्ट्रीज में इस प्रकार के एक लेबोरटरी और एडमिन बिल्डिंग में इस्तेमाल होते है।

 

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AC Service करते समय क्या ध्यान रखे

 

1 – किसी भी होम एप्लायंस की सर्विस के लिए घरमे अकेली लेडीज हो तब न बुलाये।

2 – AC सर्विस में इंडोर आउट डोर दोनों यूनिट की सर्विस होती है। इसीलिए जब AC लगाओ तब सर्विस करना आसान रहे वैसे ही लगाना चाहिए।

3 – AC लगाते समय ये भी देखे की धूल मिटटी से हमें इसे दूर रखना है।

4 – आजकल AC का मार्केट है, इसीलिए सर्विस मेन जल्बाजी भी करता है तो उसे रोके। ज्यादा तर सिर्फ पानी मार के क्लीनिंग कर देते है। ये सही नहीं है।

5 – इंडोर यूनिट ओपन करके फ़िल्टर साफ करवाए। एवम अंदर धूल साफ करवाए।

6 – AC लोड पे चलने वाला उपकरण है, इसीलिए इलेक्ट्रिक कनेक्शन का टाइटनेस चेक करवाए।

7 – आउट डोर यूनिट का कवर ओपन करके साफ कराये। ज्यादा तर लोग ये कवर नहीं ओपन करते।

8 – आउट डोर यूनिट की फिन्स में पानी और हवा से साफ करवाए। ध्यान रहे फिन्स जाम और बेंड नहीं होनी चाहिए।

9 – फैन के रोटर की सफाई करते वक्त आयल के बदले डस्ट क्लीनर स्प्रे का इस्तेमाल किया जाये तो बेहतर है।

10 – आउट डोर में कम्प्रेसर और फैन होता है उसका इलेक्ट्रिक कनेक्शन टाइटनेस चेक करे।

11 – कॉपर की ट्यूब में गैस लीकेज और टाइटनेस चेक करवाए।

12 – ध्यान रखे बिना बजे का कोई पार्ट रेप्लसेड न करदे वर्ना उसका चार्ज अलग से देना पड़ेगा।

 

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Air Conditioner In Hindi के इस आर्टिकल का मकसद AC से जुडी पूरी जानकारी देना है। आशा है ये आपके लिए मददगार होगा। AC से सम्बंधित कोई सवाल है तो आप कमेन्ट बॉक्स में लिख सकते हो।

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