इस आर्टिकल में हम ETP से जुडी सम्पूर्ण जानकारी को विस्तार से समझेंगे। Effluent Treatment Plant ETP Hindi में ETP का पूरा नाम, ETP किसे कहते है। Effluent Treatment Plant का पूरा प्रोसेस क्या है ? ETP के पानी में COD और BOD का रोल क्या है? ये सभी पहलुओं यहाँ दिया गया है। आशा है ये आपके लिए मदद गार होगा।
Effluent Treatment Plant ETP Hindi – ETP क्या है ? कैसे काम करता है ?
ETP का फुल फॉर्म क्या है ?
ETP का फुल फॉर्म Effluent Treatment Plant है। इसे हिंदी में अपशिष्ट उपचार संयंत्र कहा जाता है।
कही जगह ETP को WWTP के नाम से भी जाना जाता है। ये दोनों का काम एक ही है, वेस्ट वाटर का ट्रीटमेंट।
WWTP का फूल फॉर्म क्या है ?
WWTP का फूल फॉर्म Waste Water Treatment Plant है। इसे हिंदी में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र कहा जाता है।
What is Meaning of ETP ? ETP क्या है ?
ETP औधोगिक एकमो के लिए इस्तेमाल शब्द है। किसी भी औधोगिक एकम मे प्रोडक्शन की एक प्रक्रिया होती है। फेक्टरी में रासायनिक प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में बहुत सारा पानी का इस्तेमाल होता है। और पानी में बहुत सारी अशुद्धिया मिल जाती है। यह पानी दूषित हो जाता है।
यह पानी इतना ख़राब होता है की इसे किसी भी काम में नहीं ले सकते। फ़ैक्टरिओ से निकला पानी को किसान भी उपयोग नहीं कर सकता। यदि किसान के खेत में यह पानी चला जाये तो सारी फसल बरबाद हो सकती है।
यह पानी प्रदूषित होता है। उससे वातावरण में प्रदुषण फैलता है। इस पानी को शुद्ध करने के लिए सरकार के कुछ नियम बनाये है। कोई भी कारखाना अपना दूषित पानी नहीं छोड़ सकता।
सरकारी नियमो के अनुशार कंपनी की प्रोसेस से गुजरा हुआ दूषित पानी को शुद्ध करना पड़ेगा। पानी की अशुद्धि दूर करके ही बहार निकालना पड़ता है।
कारखाने के पानी की अशुद्धि को दूर करने की एक प्रणाली होती है। इस प्रणाली को ETP ( Effluent Treatment Plant ) कहा जाता है। कही जगह पे इस प्रणांली को WWTP (Waste Water Treatment plant) भी कहा जाता है।
Effluent Treatment Plant Process
यहाँ ETP का पूरा प्रोसेस स्टेप बाय स्टेप दिया गया है। शरुआत में ETP में जहा पानी लाया जाता है वहां से लेके डिस्चार्ज तक पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समजाया है। साथ में प्रोसेस डायग्राम भी है जहा से हम समज सकते है।
Raw Effluent Tank
Raw Effluent ETP का पहला टैंक है। इस टेंक में प्लांट की प्रोसेस के बाद निकल ने वाला दूषित पानी और कचरा होता है। सभी प्लांट से आया हुआ Effluent यहाँ जमा किया जाता है। इस टैंक इसे शुद्ध करने की प्रोसेस चालू होती है।
Bar Screen
प्लांट से आने वाले एफ्फुलेंट प्रकार की अशुद्धि के साथ कचरा भी होता है। कोई पत्थर या लोहे के टुकड़े भी मिल जाते है। कही बार बड़े रेसे एवं कपडे के टुकड़े मिल जाते है। प्लास्टिक के टुकड़े एवं प्लास्टिक की बैग भी इस कचरे में होती है। इसे दूर करने के लिए बार स्क्रीन याने जाली लगायी जाती है।
Effluent जल को सबसे पहले इस जाली में से पसार किया जाता है। पानी के साथ की कोई भी बड़ी साइज़ की अशुद्धि जाली में रुक जाती है। और सिर्फ दूषित पानी पसार होता है। ये जाली की साइज आमतौर पर 50mm होती है। 50mm से बड़ी साइज का कोई भी टुकड़ा जाली में रुक जाता है। और यहाँ से उसे अलग कर दिया जाता है।
Greet Chamber
बार स्क्रीन में जो भी बड़ा कचरा है वो निकल जाता है। पर 50mm से छोटे ग्रीट या कोई भी टुकड़ा ग्रीट चैम्बर में पानी के साथ इकठा होता है। ग्रीट पानी से भरी होने की बजह से वो निचे की तरह रहता है। चैम्बर में निचे की तरफ इसे ग्रीट को निकाल ने की प्रोविसिओं होती है। यहाँ से उसे डिस्पोजल कर दिया जाता है।
Oil and Grease Removal
ग्रीट चैम्बर के बाद Effluent का पानी आयल एंड ग्रीज़ रिमूवल टैंक के अंदर जाता है। यहाँ किसी भी तरह का बड़ा पार्टिकल नहीं होता। पर पानी में आयल और ग्रीज़ की अशुद्धि होती है। प्लांट में अलग – अलग मशीन में अलग अलग आयल और ग्रीज़ जैसे तैली पदार्थ का इस्तेमाल होता है।
प्लांट के साफसफाई के दौरान ये तैली पदार्थ पानी के साथ ETP में आता है। पानी में प्रदुषण का सबसे बड़ा कारन आयल और ग्रीज़ भी है। इसे दूर करना बहुत जरुरी है।
आयल एंड ग्रीज़ रिमूवल टैंक में इसे पानी से अलग किया जाता है। आयल और ग्रीज़ की तुलना में पानी भारी होता है। पानी की डेंसिटी ज्यादा होती है। इसीलिए आयल और ग्रीज़ जैसे तैली पदार्थ पानी के ऊपर तैरते है। इस तैरते हुए तैली पदार्थ को अलग करने की एक स्पेशल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत इसे अलग किया जाता है।
आयल और ग्रीज़ को अलग करने के लिए मशीन का भी इस्तेमाल होता है। इस टैंक में दो चैम्बर होती है । मशीन से आयल और ग्रीज़ अलग करके अलग चैम्बर में लाया जाता है। और पानी अलग चैम्बर में होता है।
Equalization Tank
आयल एंड ग्रीज़ निकला हुआ पानी जिस चैम्बर में इकठा किया जाता है उसे Equalization चैम्बर कहा जाता है। हम समज सकते है की प्लांट से आने वाला पानी अलग – अलग प्रकार का होता है। जैसे किसी की ph ज्यादा होती है तो किसी की कम होती है। किसी का तापमान कम ज्यादा होता है।
पानी को एक समान कैरेक्टरी स्टिक वाला बनाने की लिए Equalization टैंक का इस्तेमाल होता है। इस टैंक में बहार ब्लोअर से एयर दिया जाता है। और पानी को मिक्स्ड किया जाता है। इसमें एरिएटर और एयर डिफ्यूज़र सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। और पानी की यूनिफार्म करैक्टरी स्टिक को मेन्टेन किया जाता है।
Neutralization Tank
Equalization टैंक में पानी को यूनिफॉर्म करने के बाद Neutralization में पानी की PH चेक की जाती है। यदि PH न्यूट्रल नहीं है तो उसे न्यूट्रल की जाती है। 7 PH को मेन्टेन किया जाता है। इसे मेन्टेन करने के लिए जो भी मीडिया (एसिड और अल्कली) का इस्तेमाल किया जाता है।
Coagulant Bath
पानी के अंदर की सस्पेंडेड इम्पुरिटी ट्रेप करने के लिए इसमें केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है उसे Coagulation प्रोसेस कहा जाता है। coagulation पानी का फिल्ट्रेशन और पूरीफिकेशन के लिए किया जाता है।
Coagulation के लिए Ferric Sulphate, एल्युमीनियम सलफेट ,Ferrous सलफेट, Ferric क्लोरीदे जैसे केमिकल का इस्तेमाल होता है।
ये एक पूरा प्रोसेस करने के बाद जो पानी निकलता है उसे हम प्राइमरी सेडिमशन टैंक में पहुचाहया जाता है।
Primary Clarifier Tank
Coagulant टैंक में प्रोसेस होने के बाद प्राइमरी क्लैरिफिरे मे भेजा जाता है। प्राइमरी क्लैरिफिरे एक बहुत बड़ा तलाव होता है। इसमें पानी को हम वैसे ही छोड़ देते है। यहाँ इकठा हुआ पानी स्थिर हो जाता है। इसके कारन पानी के अंदर जो भी पार्टिकल हे वो निचे बेथ जाते है। स्वच्छ पानी ऊपर रहता है और सस्पेंडेड पार्टिकल निचे चला जाता है। जो पार्टिकल निचे जमा हो जाते है उसको हम प्राइमरी स्लज कहते है।
प्राइमरी स्लज को हम स्लज drying बेड में ले जाते है। जहा स्लज का केक बनता है और ड्राई होने के लिए छोड़ देते है।
यहाँ तक ETP ( Effluent Treatment Plant) के प्रोसेस को प्राइमरी ट्रीटमेंट कहा जाता है। याने रॉ वाटर Effluent से लेकर प्राइमरी क्लैरिफिरे तक की ट्रीट मेन्ट को प्राइमरी ट्रीटमेंट कहा जाता है।
WWTP या ETP की प्राइमरी ट्रीटमेंट को हम फिजिकल ट्रीटमेंट भी कहते है।
ETP (Effluent Treatment Plant) का सेकेंडरी ट्रीटमेंट
जैसे हमने देखा प्राइमरी ट्रीटमेंट में हमने फिजिकल प्रोसेस के द्वारा पानी की इम्पुरिटी निकाली है।
ETP की सेकेंडरी ट्रीटमेंट में ऑर्गनिक इम्पुरिटी याने कार्बन Containing कॉमपॉन्ड है उसे ट्रीट किया जाता है। इस प्रकार की ट्रीटमेंट में बायोलॉजिकल प्रोसेस का इस्तेमाल होता है।
पानी के अंदर जो बेक्टेरिआ है, माइक्रो आर्गेनिक है उसके द्वारा आर्गेनिक इम्पुरिटी को दूर करते है।
बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट दो प्रकार की होती है
1 – एरोबिक (Aerobic) बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट
एरोबिक प्रोसेस ऑक्सीज़न की उपस्थिति में होती है। इसमें बेक्टेरिआ की प्रजातियां जीवित रखने के लिए, विकास करने के लिए या प्रजनन की प्रक्रिया के लिए ऑक्सीज़न की जरुरत होती है।
इसके लिए एरिएशन टैंक होता है। इसमें सूक्ष्म जिव याने बेक्टेरिया होता है। इस बेक्टेरिया के स्वसन प्रक्रिया के लिए ऑक्सीज़न एवं भोजन के लिए आर्गेनिक मटेरियल की आवश्यकता होती है।
ये बेक्टेरिया sewage के आर्गेनिक मटीरियल को बायोलॉजिकल डिस्पोसल कर देता है। इस तरह गंदे पानी का ट्रीटमेंट हो जाता है।
What is Aerobic Process
एरोबिक प्रोसेस में ऑक्सीज़न देने के लिए हमें एयर कंप्रेसर लगाना पड़ता है। टैंक के अंदर एयर का कनेक्शन देना पड़ता है। एयर की पाइपलाइन से जगह जगह होल किये जाते है। जहा से ऑक्सीज़न याने एयर मिलती रहती है।
इसे बेक्टेरिया को जीवन मिलता है और उन्हें भोजन मिलता है। जिसे पानी की इम्पुरिटी कम होती है। ऐसी स्थिति में हम इनपुट और आउटपुट का BOD चेक करेंगे तो बहुत बड़ा गैप दिखेगा। आउटपुट BOD बहुत कम हो जायेगा।
2- What is Anaerobic Process ?
ऑक्सीज़न की अनुपस्थिति में होने वाली जैविक उपचार प्रक्रिया अथवा बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट प्रोसेस को अनएरोबिक प्रोसेस कहा जाता है।
WWTP (वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) में बंध या सील किये गये टैंक में सूक्ष्म जिव ( बक्टेरिया ) को रहने उसको स्वसन प्रक्रिया के लिए उसके प्रजनन एवं वृद्धि के लिए ऑक्सीज़न की आवश्यकता नहीं रहती।
इसी अनएरोबिक प्रोसेस से सेकेंडरी में वाटर ट्रीटमेंट की जाती है। यहाँ वेस्ट वाटर को ट्रीट करने के साथ साथ कार्बन डायोक्साइड, अमोनिआ और मीथेनिया बायो गैस छोडते है। जिसे बायो फ्यूल के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
प्लांट में कोनसी ट्रीटमेंट होनी चाहिए ये हमारे मॅनॅग्मेंट पे आधार रखता है। हमारा मैनेजमेंट हमारे प्लांट की जरूरियात के अनुशार एरोबिक, एनारोबिक या फिर दोनों प्रोसेस भी लगा सकते है।
ज्यादातर ETP (Effluent Treatment Plant ) में एरोबिक प्रोसेस का ही इस्तेमाल होता है। एरोबिक और अनएरोबिक दोनों प्रोसेस वहां मिलेगा जहा पानी का BOD ( Biological Oxygen Demand ) बहुत ज्यादा होगा।
सेकेंडरी क्लेरिफायर- सेकेंडरी सेडीमेंटल टैंक
एरोबिक या अनएरोबिक प्रोसेस के बाद पानी को सेकेंडरी क्लैरिफायर में भेज दिया जाता है। यहाँ पे पानी को सेटल होने देते है। जिसके कारण पानी में जो भी इम्पुरिटी है वह निचे जमा हो जाता है।
इस टैंक में निचे की तरफ एक होल होता है। वहा इम्पुरिटी के तोर पे बक्टेरिया याने माइक्रो ऑर्गनिज़ जमा हो जाता है। ये जमा हुए बक्टेरिया को एक्टिवेटेड स्लज कहा जाता है। यहाँ से इस स्लज को स्लज ड्राइंग बेड में भेज दिया जाता है।
सेकंडरी क्लैरिफिकेशन टैंक से लगभग 30% स्लज को एरोबिक टैंक में सर्क्युलेशन करते है। क्युकी एरोबिक टैंक में बक्टेरिया का लेवल मेन्टेन रहे। और आर्गेनिक इम्पुरिटी को दूर करता रहे।
क्लोरीनेशन – Chlorination
सेकेंडरी क्लैरिफायर के बाद जो पानी रहता है उस पानी को क्लोरीनेशन टैंक में लाया जाता है। इस पानी में बक्टेरिया होता है। इस टैंक में क्लोरीनेशन की प्रक्रिया से जो भी बक्टेरिया है उसे निकाल देते है। और पानी को स्वच्छ कर देते है।
क्लोरीनेशन प्रोसेस के बाद जो पानी हमें मिलता है वो किसी भी उपयोग के लायक होता है। इसे हम इरिगेशन सिस्टम या सरफेस वाटर के तोर पैर भी इस्तेमाल कर सकते है। इस पानी को हम प्लांट में भी फिरसे उपयोग कर सकते है।
मैकेनिकल इंजीनियर इंटरव्यू के सवाल जवाब
इंटरव्यू में पूछे जाने वाले कॉमन सवाल जवाब
What Is BOD (Biological Oxygen Demand) ? BOD क्या है ?
BOD का फूल फॉर्म Biological Oxygen Demand है।
पानी की गुणवत्ता चेक करने का एक पैरामीटर BOD है। किसी भी गंदे पानी में आर्गेनिक, इनऑर्गेनिक एवं माइक्रो ऑर्गनिक कंटेंट होते है।
आर्गेनिक ये एक प्रकार से कार्बन कौंटैनिंग है। जिसमे प्लांट वेस्ट, फ़ूड, आयल और ग्रीज़ जैसे वेस्ट होते है।
पानी में रहा बक्टेरिया को माइक्रो आर्गेनिक कहते है। इस बक्टेरिया को जीने के लिए भोजन चाहिए। यहाँ ऑर्गनिक वेस्ट ये माइक्रो आर्गेनिक याने बक्टेरिया का खोराक है।
बक्टेरिया को जीवित रखने के लिए ऑक्सीज़न भी चाहिए। बक्टेरिया पहले तो पानी से डिसॉल्व ऑक्सीज़न से काम चलता है। पर सतत चलने वाली इस प्रक्रिया से ऑक्सीज़न की मांग बढ़ जाती है।
Biological Activity को लगातार चालू रखने के लिए बक्टेरिया ऑक्सीज़न की डिमांड करता है। इस बढ़ती हुई डिमांड को ही Biological Oxygen Demand कहते है।
Biological Oxygen Demand के आधार पर पानी की गुणवत्ता
पानी में जितना ज्यादा BOD है उतना ज्यादा प्रदूषित पानी है।
पानी में जितना कम BOD होता है पानी उतना ही स्वच्छ होता है।
1- BOD की वैल्यू 1 से 2 के बीचमे है तो यह पानी बहुत अच्छी गुणवत्ता का माना जाता है। (Very Good)
2- BOD की वैल्यू 2 से 5 के बिच में है तो इस पानी को ठीकठाक समजा जाता है। (Good)
3- BOD की वैल्यू 6 से 9 के बिच में है तो इसे ख़राब पानी माना जाता है। (Poor)
4- BOD की वैल्यू 100 या उससे ज्यादा है तो ये पानी बहुत प्रदूषित माना जाता है। (Very Poor)
What is COD(Chemical Oxygen Demand) ? COD क्या है ?
COD का फुल फॉर्म Chemical Oxygen Demand है।
पानी की गुणवत्ता चेक करने का एक पैरामीटर COD है। याने इससे पता चलता है की पानी की गुणवत्ता कैसी है। COB की वैल्यू से पता चलता है की पानी प्रदूषित है या शुद्ध है।
जिस तरह से हमने ऊपर BOD (Biological Oxygen Demand) की मात्रा के बारेमे समजा। ठीक उसी तरह COD की वैल्यू भी पानी में निश्चित होनी चाहिए। पानी की गुणवत्ता त्यय करने के लिए ये भी एक महत्व का पैरामीटर है।
पॉल्यूटेड पानी में माइक्रो आर्गेनिक को ऑर्गनिक वेस्ट ख़तम करता है। पर बायो वेस्ट और इनऑर्गेनिक वेस्ट रह जाता है। पानी से बायो वेस्ट और इनऑर्गेनिक वेस्ट निकल ने के लिए पानी में केमिकल ऐड किया जाता है।
प्रदूषित पानी में स्ट्रांग ऑक्सीडाइज़ केमिकल उपयोग किया जाता है। जिसके कारण वेस्ट ऑक्सीडाइज़ हो जाता है याने की निकल जाता है। स्ट्रांग ऑक्सीडाइज़ के तोर पे ऑक्सिडिफाइड पोटैसियम डाइक्रोमैट (Acidified Potassium Dichromate)
जब प्रदूषित पानी के अंदर ऑक्सिडिफाइड पोटैसियम डाइक्रोमैट ऐड करते है, तब इसमें रिएक्शन से ऑक्सीज़न उत्पन्न होता है। केमिकल रिएक्शन से उत्पन्न हुआ ऑक्सीज़न पानी की इम्पुरिटी दूर करेगा।
किसी भी प्रदूषित पानी के अंदर ऑक्सीज़न ग्रहण करने की कैपेसिटी कितनी है। ये पानी के अंदर का वेस्ट दूर करने के लिए होने वाली ऑक्सीडाइजेशन प्रक्रिया के दौरान केमिकल की मांग पर आधार रखता है।
पानी की अशुद्धि दूर करने के लिए ऑक्सीडाइजेशन के दौरान जो केमिकल की डिमांड होती है उसे cod कहते है। याने Chemical Oxygen Demand कहते है।
पानी में जितना cod ज्यादा होता है पानी उतना ज्यादा पॉल्यूटेड होता है। जितना कॉड कम होता है उतना पानी शुद्ध होता है।
BOD और COD ये Effluent Treatment Plant (ETP) के पानी में खास कर मापा जाता है। सरकारी पॉल्युशन बोर्ड हमेशा इस पे नजर रखता है।
कूलिंग टावर क्या है ? कैसे काम करता है ?
बायलर के प्रकार एवं कार्य पद्धति
कंप्रेसर के प्रकार एवं कार्य पद्धति
Effluent Treatment Plant ETP Hindi के आर्टिकल में ETP से जुडी तमाम जानकारी सजा की गयी है। इसके आलावा भी ETP से जुड़े कोई सवाल हो तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते हो।
6 Comments
ACF & MGF were missing
Sir bectiria ko jivit rakhne k liye kon sa food dala jata hai
Or sir hum isme uria khaad kyo use krte hai 🙏🏻
mendo ( ek tarah ka ata hota hai – powede ), Gud or urea bhi isika hissa hai.
Aap usko mulesiss em solution
D a p and urea ye sab de sakte ho
How to re recognise high COD and low cod water
DAP UREA BROWN SUGAR GUDD ORGANIC WASTE (HOUSE HOLD WASTE)