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पहलवान की ढोलक Question Answers

 

 

CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag 2 Book Chapter 13 Pahalwan ki Dholak Question Answers

  

Pahalwan ki Dholak Class 12 – CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag-2 Chapter 13 Pahalwan ki Dholak Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.

 

सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी आरोह भाग-2 पुस्तक पाठ 13 पहलवान की ढोलक प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।

 

पहलवान की ढोलक पाठ के पाठ्यपुस्तक पर आधारित प्रश्न – Textbook Based Questions

 

प्रश्न 1 – कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।

उत्तर – लुट्टन सिंह को कुश्ती सिखाने वाला कोई गुरु नहीं था। वह ढोलक को ही अपना गुरु मनाता था। जब लुट्टन कुश्ती लड़ता था तो उस समय ढोल के बजने की आवाज से लुट्टन की रगों में मानो जोश भर जाता था। ऐसा प्रतीत आता था कि उसे ढोल की थाप कुश्ती में दाँव-पेंच लड़ने के निर्देश दे रही हैं। पाठ में ढोल की आवाज की कई ध्वन्यात्मक शब्दों का उल्लेख भी कहानीकार ने किया है। ढोल के इन शब्दों के साथ लुट्टन ने अपनी कुश्ती के दाँव-पेंचों का अद्भुत तालमेल बना लिया था। जैसे –

चट्-धा, गिड़-धा – आ जा भिड़ जा।

ढाक्र-ढिना – वाह पट्ठे।

चट्-गिड़-धा – मत डरना

धाक-धिना, तिरकट-तिना – दाँव काटो, बाहर हो जा

चटाक्-चट्-धा – उठा पटक दे

धिना-धिना, धिक-धिना – चित करो

धा-गिड़-गिड़ – वाह बहादुर

जब ढोल के से ध्वन्यात्मक शब्द लुट्टन के कानों में पड़ते थे तब उसके मन में कुश्ती लड़ते वक्त एक नया जोश व उत्साह भर जाता था।

 

प्रश्न 2 – कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवतन आए?

उत्तर – कहानी में अनेक मोड़ ऐसे हैं जहाँ पर लुट्टन के जीवन में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं –

बचपन में ही लुट्टन के माता-पिता की मृत्यु हो गई और उसका पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने किया।

सास पर होते हुए अत्याचारों को देखकर बदला लेने के लिए लुट्टन पहलवानी करने लगा।

किशोरावस्था में दंगल में चाँद सिंह नामक पहलवान को हराकर उसने ‘राज-पहलवान’ का दर्जा हासिल किया।

‘काला खाँ’ जैसे प्रसिद्ध पहलवानों को हराकर वह अजेय पहलवान बन गया। और वह पंद्रह वर्ष तक राज-दरबार में राज-पहलवान बन कर रहा।

उसने अपने दोनों बेटों को भी पहलवानी सिखाई।

राजा साहब के अचानक स्वर्गवास के बाद नए राजा ने उसे दरबार से हटा दिया जिसके बाद वह गाँव लौट आया।

गाँव आकर उसने गाँव के बाहर अपना अखाड़ा बनाया तथा गाँव के बच्चों को कुश्ती सिखाने लगा।

अकस्मात सूखा और महामारी से गाँव में हाहाकार मच गया। उसके दोनों बेटे भी इस महामारी की चपेट में आ गए। उनकी मृत्यु पर वह उन्हें कंधे पर लादकर नदी में बहा आया।

पुत्रों की मृत्यु के बाद वह कुछ दिन अकेला रहा और अंत में चल बसा।

 

प्रश्न 3 – लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि ‘मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं यहीं ढोल है’?

उत्तर – लुट्टन पहलवान ने किसी से भी पहलवानी नहीं सीखी थी अतः लुट्टन पहलवान हमेशा कहता था कि उसका कोई गुरु नहीं है। वह ढोलक को ही अपना गुरु मनाता था क्योंकि जब पहली बार वह दंगल देखने गया था, वहाँ ढोल की थाप पर दांव-पेंच चल रहे थे। उसे लग रहा था जैसे उस ढोल की हर थाप उसे कुश्ती में दाँव-पेंच लड़ने के निर्देश दे रही हैं। और थापों को ध्यान से सुनने पर उसे एक ऊर्जा का एहसास हुआ। उसने चाँद सिंह को ललकारा और उसे हरा दिया। इसीलिए लुट्टन पहलवान ने कहा होगा कि उसका गुरु कोई पहलवान नहीं बल्कि यही ढोल है। उसने ढोल बजाकर ही अपने दोनों बेटों और गाँव के बच्चों को कुश्ती सिखाई थी।

 

प्रश्न 4 – गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?

उत्तर – गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल बजाता रहा। इसका मुख्य कारण गाँव में निराशा का माहौल था, जिसे दूर करने के लिए लुट्टन सिंह ढोल बजाता था। महामारी व सूखे के कारण गाँव में चारों तरफ मृत्यु का सन्नाटा था क्योंकि आए दिन किसी न किसी घर में कोई नं कोई मर रहा था। रात में जब चारों तरफ सन्नाटा होता था, तब पहलवान की ढोलक ही उसे चुनौती देती थी। लोगों में फैली निराशा को पहलवान की ढोल की आवाज आशा और उमंग भरने का काम करती थी। ढोल बजा कर वह लोगों को बताना चाहता था कि आशा न छोड़ो और अंत तक जोश व उत्साह से लड़ते रहो।

 

प्रश्न 5 – ढोलक की आवाज का पूरे गाँव पर क्या असर होता था?

उत्तर – ढोलक की आवाज गाँव वालों के लिए संजीवनी का काम करती थी। महामारी के कारण उनके मन में जो उदासी थी उसको दूर करने में ढोलक की आवाज मददगार थी। पहलवान की ढोलक की आवाज ग्रामीणों को एक आंतरिक शक्ति प्रदान करती थी। महामारी से लड़ने में उनका मनोबल बढ़ाती थी। इसका एक कारण यह भी था कि महामारी की चपेट में आने के कारण पहलवान के दोनों बेटे मर चुके थे। फिर भी वह ढोलक बजाता रहता था। उसने अपने मनोबल को टूटने नहीं दिया था। उसके इसी साहस के कारण सारे गांव वालों को भी जीवन जीने व संधर्ष करने की प्रेरणा मिलती थी।

 

प्रश्न 6 – महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?

उत्तर – सूर्योदय का दृश्य – महामारी फैलने की वजह से पूरा गांव किसी नन्हें शिशु की तरह कांप रहा था। गाँव में सूर्योदय होते ही लोग काँखते-कूंखते, कराहते अपने घरों से निकलकर अपने पड़ोसियों व परिजनों को साँत्वना देते थे और शोक न मनाने की बात कहते थे। गाँव के लोग इस कठिन परिस्थिति में भी सामान्य जीवन जीने की कोशिश करते थे। यदि बीती रात में किसी परिजन की मृत्यु हो गई हो तो सुबह सभी लोग उसके अंतिम संस्कार के कार्य में जुट जाते थे।

सूर्यास्त का दृश्य – सूर्यास्त होते ही सभी लोग अपनी-अपनी झोपड़ियों में घुस जाते थे। और पुरे गाँव में खामोशी छा जाती थी। उस समय कोई भी आवाज तक नहीं करता था। ऐसे समय में पहलवान की ढोलक की आवाज रात्रि की विभीषिका को चुनौती देती हुई सभी को हिम्मत देती रहती थी।

 

प्रश्न 7 – कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शोक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था –

(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं हैं?

उत्तर – अब न तो राजा रहे हैं और न ही राजाओं जैसा शोक रखने वाले लोग। असल में पहलवानी बहुत खर्चीला खेल है। क्योंकि इसमें पहलवानों के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता रहती है और फिर इसके लिए अभ्यास की भी नियमित आवश्यकता होती है। आज कल के व्यस्त माहौल में लोगों के पास इतना समय नहीं कि वे दिन में कई घंटे कसरत करने के लिए निकालें। इसके साथ ही एक और अन्य कारण यह है कि इस खेल से बदले में खिलाड़ियों को कुछ ख़ास भी नहीं मिलता। पुराने समय में मनोरंजन के कम साधन होते हुए कुश्ती मनोरंजन का एक अच्छा साधन था। किन्तु समय के साथ मनोरंजन के साधनों में वृद्धि हुई जिसके कारण लोगो की कुश्ती में रूचि भी समाप्त होती गई।

 

(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?

उत्तर – कुश्ती की जगह अब घुड़सवारी, फुटबाल, क्रिकेट, टेनिस, बॉलीबाल, बेसबॉल, हॉकी, शतरंज आदि खेलों ने ले ली है। इन खेलों में रूचि का मुख्य कारण पैसा और शोहरत दोनों हैं। और साथ ही साथ इन खेलों से रिटायर होने के बाद भी जीविका बनी रहती है।

 

(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?

उत्तर – कुश्ती को यदि फिर से प्रिय खेल बनाना है तो लोगों के अंदर कुश्ती के प्रति लोकप्रियता जगानी होगी। इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को ठोस कदम उठाने होंगे। पहलवानों के लिए उचित व्यायामशालाएँ बनवानी होगी। उनके खानपान का भी सही से ध्यान रखना होगा और अन्य खेलों की तरह ही जीतने वाले पहलवान को अच्छी खासी रकम इनाम में देनी होगी। यदि कोई पहलवान रिटायर हो जाए या किसी दुर्घटना में उसे चोट लग जाए तो जीवनभर उसके लिए उसकी आजीविका का प्रबंध भी किया जाना चाहिए।

 

प्रश्न 8 – आशय स्पष्ट करें –

आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।

उत्तर – उपरोक्त पंक्तियों में लेखक ने तारों के माध्यम से गाँव वालों की मदद करने की चाह रखने वालों की स्थिति को दर्शाया है। महामारी के कारण गाँव में अत्यंत सन्नाटा छाया हुआ है। अकाल और महामारी के कारण गाँव के लोग असहनीय दुख व कष्ट से गुजर रहे हैं। गाँव के लोग एक दूसरे की मदद करना तो चाहते हैं परन्तु चाहकर भी एक दूसरे की मदद करने में असमर्थ हैं। और यदि गाँव के बाहर का कोई व्यक्ति उनकी मदद करने की भी सोचता था तो उसकी सारी हिम्मत गाँव में फैली महामारी के कारण टूट जाती थी। क्योंकि कोई भी व्यक्ति उस भयंकर महामारी की चपेट में आकर अपनी जिंदगी गवाँना नहीं चाहेगा। इसीलिए कोई भी उनकी मदद को चाह कर भी नहीं आ पता था।

 

प्रश्न 9 – पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया हैं। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।

(क) “अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।”

उत्तर  -गाँव में फैली महामारी के कारण गाँव में हर दिन कोई न कोई मृत्यु को प्राप्त हो ही जाता था। जिसके कारण गाँव में चारों ओर दुःख ही दुःख था। दिन में तो लोग एक दूसरे को सांत्वना दे दिया करते थे परन्तु रात में कोई भी आवाज नहीं करता था जिससे चारों ओर सन्नाटा छा जाता था और ऐसा प्रतीत होता था जैसे रात भी लोगों के दुःख में दुखी हो कर चुपचाप आँसू बहा रही हो। 

 

(ख) “रात्रि अपने भीषणताओं के साथ चलती रही।”

उत्तर – यद्यपि महामारी के कारण गाँव में चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ है और लोगों में भयानक दर्द और उदासी भरी हुई है। लोगो का साथ देते हुए रात भी मायूसी को समेटे अपनी गति से बीत रही है।

 

(ग) “रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती देती रहती थी।”

उत्तर – रात जो अपने अन्धकार व् खामोशी के कारण बहुत ही भयानक प्रतीत होती थी। अपने स्वाभाविक शोर अर्थात कुत्तों के रोने व् सियार की आवाजों आदि से वह सभी को भयभीत कर देती थी। लेकिन पहलवान की ढोलक की थाप ने इस भयानकता को चुनौती देती थी।

 

पहलवान की ढोलक पाठ पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)

 

प्रश्न 1 – जाड़ों के मौसम की रातें अत्यधिक डरावनी क्यों लग रही थी?

उत्तर – जाड़ों के मौसम में गाँव में महामारी फैली हुई थी। गांव के अधिकतर लोग मलेरिया और हैजे से ग्रस्त थे। जिस कारण आए दिन कोई न कोई मर रहा था। लोगों में मन में मौत का डर घर कर गया था इसी कारण जाडे के दिन और रातें एकदम काली अंधेरी व डरावनी लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे रात उस गाँव के दुःख में दुःखी होकर चुपचाप आँसू बहा रही हो।

 

प्रश्न 2 – टूटते तारे का उदाहरण दे कर लेखक क्या बताना चाह रहा है?

उत्तर – टूटते तारे का उदाहरण देते हुए लेखक बताता है कि उस गाँव के दुःख को देख कर यदि कोई बाहरी व्यक्ति उस गाँव के लोगों की कुछ मदद करना भी चाहता था तो  चाह कर भी नहीं कर सकता था क्योंकि उस गाँव में फैली महामारी के कारण कोई भी अपने जीवन को कष्ट नहीं डालना चाहता था।

 

प्रश्न 3 – रात की खामोशी में गाँव में कौन सी आवाजें सुनाई पड़ती थी?

उत्तर – रात की खामोशी में सिर्फ सियारों और उल्लूओं की आवाज ही सुनाई देती थी। कभी कभी उस काली अंधेरी रात में कोई कमजोर स्वर भगवान को पुकारता हुआ सुनाई पड़ जाता था और कभी किसी बच्चे के द्वारा अपनी माँ को पुकारने की धीमी सी आवाज सुनाई देती थी। क्योंकि कुत्तों में परिस्थिति को समझने की विशेष बुद्धि होती है। इसीलिए वो रात होते ही रोने लगते थे। और गांव के दुख में अपना स्वर मिलाने लगते थे।

 

प्रश्न 4 – पहलवान की ढोलक क्या काम करती थी?

उत्तर –  रात की खमोशी को सिर्फ लुट्टन सिंह पहलवान की ढोलक ही तोड़ती थी। पहलवान की ढोलक संध्याकाल से लेकर प्रात:काल तक लगातार एक ही गति से बजती रहती थी और गाँव में फैली महामारी से होने वाली मौतों को चुनौती देती रहती थी। ढोलक की आवाज निराश, हताश, कमजोर और अपनों को खो चुके लोगों में संजीवनी भरने का काम करती थी।

 

प्रश्न 5 – लुट्टन सिंह पहलवान के बारे में पाठ में क्या बताया गया है?

उत्तर – लुट्टन सिंह पहलवान को “होल इंडिया” जानता था लेकिन लेखक के अनुसार उसका “होल इंडिया” उसके जिले तक ही सीमित होगा क्योंकि उसे उसके जिले के अधिकतर लोग जानते थे। लुट्टन सिंह जब नौ साल का था तब उसके माता-पिता का देहांत हो चुका था। सौभाग्य से उसकी शादी पहले ही हो गयी थी। वरना उम्र छोटी होने के कारण वह भी शायद अपने माता-पिता की तरह मृत्यु को प्राप्त करता। उसकी विधवा सास ने ही उसको पाल पोस कर बड़ा किया। वह बचपन में गाय चराता, खूब दूध-दही खाता और कसरत करता था। उसे यह देख कर बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था कि गांव के लोग उसकी सास को परेशान करते हैं। इसीलिए उसने गांव के लोगों से बदला लेने के लिए ही पहलवान बनने की ठानी थी। और युवावस्था तक आते आते वह अच्छा खासा पहलवान बन गया था। उसने कुश्ती के दाँव पेंच भी सीख लिए थे।

 

प्रश्न 6 – लुट्टन सिंह और चाँद सिंह की कुश्ती का वर्णन करो।

उत्तर – एक बार लुट्टन सिंह श्याम नगर मेले में दंगल देखने गया। वहाँ कुश्ती देखकर और ढोल की आवाज सुनकर उसकी नसों में जैसे खून बिजली की तरह दौड़ने लगा और उसने बिना सोचे समझे वहाँ चाँद सिंह नाम के एक पहलवान को चुनौती दे दी। चाँद सिंह पहलवान अपने गुरु बादल सिंह के साथ पंजाब से आया था और उसे “शेर के बच्चे” का खिताब दिया गया था। क्योंकि उसने वहाँ तीन दोनों में ही सभी पहलवानो को धूल चटा दी थी। उसका पराक्रम देखकर श्याम नगर के राजा चाँद सिंह को अपने यहाँ राज पहलवान रखने की भी सोच रहे थे। लुट्टन सिंह की चुनौती चाँद सिंह ने स्वीकार कर ली लेकिन जब लुट्टन सिंह, चाँद सिंह से भिड़ा तो चाँद सिंह बाज की तरह लुट्टन से भीड़ गया और उसने पहली बार में ही लुट्टन को जमीन में पटक दिया। लेकिन लुट्टन सिंह उठ खड़ा हुआ और दुबारा दंगल शुरू हुआ। परन्तु राजा साहब ने बीच में ही कुश्ती रोक कर लुट्टन को बुलाकर उसके साहस के लिए उसे दस रूपए देकर मेला घूमने और घर जाने को कहा। परन्तु इस बार लुट्टन सिंह ने सभी की उम्मीदों के विपरीत चांद सिंह को चित कर दिया। उसने इस पूरी कुश्ती में ढोल को अपना गुरु मानते हुए उसके स्वरों के हिसाब से ही दांव-पेंच लगाया और कुश्ती जीत ली। जीत की ख़ुशी में उसने राजा जी को उठा लिया और राजा ने भी प्रसन्न होकर कहा कि उसने बाहर से आए पहलवान को हरा कर अपनी मिट्टी की लाज रख ली और उन्होंने उसे राज पहलवान बना दिया।

 

प्रश्न 7 – राजा का संरक्षण मिलने के बाद लुट्टन सिंह के जीवन में क्या परिवर्तन आया?

उत्तर – राजा का संरक्षण मिलने के बाद लुट्टन सिंह को अच्छा खाना व कसरत करने की सभी सुविधाएं मिलने लगी। बाद में काले खाँ जैसे कई प्रसिद्ध पहलवानों को हराकर वह लगभग 15 वर्षों तक अजेय रहा। इसीलिए उसके ऊपर हमेशा राजा की विशेष कृपा दृष्टि रहती थी। धीरे-धीरे राजा उसे किसी से लड़ने भी नहीं देते थे क्योंकि लुट्टन सिंह सभी पहलवानों को आसानी से हरा देता था और खेल का मज़ा खराब हो जाता था। अब वह राज दरबार का सिर्फ एक दर्शनीय जीव बन कर रह गया था। लुट्टन सिंह के दो बेटे थे और उसने अपने दोनों बेटों को भी पहलवान बना दिया था। वह ढोलक को ही अपना गुरु मनाता था इसीलिए अपने दोनों बेटों को भी ढोलक की थाप में पूरा ध्यान देने को कहता था।

 

प्रश्न 8 – नए राजा ने लुट्टन सिंह के साथ क्या किया?

उत्तर – लुट्टन सिंह की जिंदगी ठीक-ठाक चल रही थी। लेकिन 15 साल बाद अचानक एक दिन वृद्ध राजा की मृत्यु हो गई जिसके बाद लुट्टन की जिंदगी ने एक मोड़ लिया। राजा की मृत्यु के बाद उनके बेटे ने राज्य का भार संभाल लिया। नये राजा को कुश्ती में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं थी। और लुट्टन सिंह पर होने वाला खर्चा सुन कर वह हक्का-बक्का रह गया अतः उसने लुट्टन सिंह को राजदरबार से निकाल दिया।

 

प्रश्न 9 – राज महल से निकाले जाने के बाद लुट्टन सिंह की जिंदगी कैसी थी?

उत्तर – राज महल से निकाले जाने के बाद लुट्टन सिंह अपने दोनों बेटों के साथ गाँव वापस आ गया। गाँव वालों ने उसकी मदद के लिए गाँव के एक छोर पर उसकी एक छोटी सी झोपड़ी बना दी और उसके खाने-पीने का इंतजाम भी कर दिया। इसके बदले में वह गाँव के नौजवानों को पहलवानी सिखाने लगा। लेकिन यह सब ज्यादा दिनों तक नही चला क्योंकि गाँव के गरीब नौजवान पहलवानी करने के लिए पौष्टिक आहार आदि का खर्च नहीं उठा पाते थे। इसीलिए अब वह अपनी ढोलक की थाप पर अपने दोनों बेटों को ही कुश्ती सिखाया करता था। उसके बेटे दिन भर मजदूरी करते जिससे उनका गुजर-बसर चलता और शाम को कुश्ती के दांव पेंच सीखते थे।

 

प्रश्न 10 –  गाँव वालों का मनोबल टूटने का क्या कारण था?

उत्तर – एक बार गांव में सूखा पड़ गया और साथ ही साथ गांव के लोगों को हैजे और मलेरिया ने जकड़ लिया। बारिश ने होने के कारण गाँव में चारों ओर हाहाकार मच गया। भुखमरी, गरीबी और सही उपचार न मिलने के कारण लोग रोज मर रहे थे और लोगों में निराशा व् हताशा फैल गई थी। घर के घर खाली हो रहे थे और लोगों का मनोबल दिन प्रतिदिन टूटता जा रहा था।

 

प्रश्न 11 – पहलवान एक मजबूत मनोबल वाला व्यक्ति था। स्पष्ट करें।

उत्तर – पहलवान के दोनों बेटे भी बीमारी की चपेट में आकर मरने की स्थिति में पहुंच चुके थे और मरने से पहले वो अपने पिता से ढोलक बजाने को कहते हैं। लुट्टन सिंह रात भर ढोलक बजाता है और सुबह जाकर देखता है तो वो दोनों पेट के बल मरे पड़े थे। वह अपने दोनों बेटों को कंधे पर ले जाकर नदी में बहा देता हैं। लोगों का मनोबल न टूटे इसके लिए वह उसी रात को फिर से ढोलक बजाता है। लोगों ने उसकी हिम्मत की दाद दी और साथ ही साथ खुद में भी एक ऊर्जा का अनुभव किया। इसके चार-पांच दिन बाद एक रात ढोलक की आवाज सुनाई नहीं दी। पहलवान के कुछ शिष्यों ने सुबह जाकर देखा तो वह मारा पड़ा था। पहलवान ने बहुत कोशिश की कि वह मौत को हरा कर जीत हासिल करे लेकिन वह हार गया और मौत जीत गई।

 

प्रश्न 12 – पहलवान की अंतिम इच्छा क्या थी?

उत्तर – पहलवान को मृत देखकर आँसू पूछते हुए उसके एक शिष्य ने कहा कि “गुरुजी कहा करते थे कि जब मैं मर जाऊं तो मुझे पीठ के बल नहीं बल्कि पेट के बल चिता पर लिटाना और चिता जलाते वक्त ढोलक अवश्य बजाना”।  वह शिष्य आगे नहीं बोल पाया।

 

पहलवान की ढोलक पाठ पर आधारित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

 

प्रश्न 1 – पहलवान की ढोलक कहानी में मुख्य रूप से किसका वर्णन किया गया है?

(क) लुट्ट्न पहलवान के ढोलक का

(ख) लुट्ट्न पहलवान के परिवार का

(ग) लुट्ट्न पहलवान के जीवन का

(घ) लुट्ट्न पहलवान के संधर्ष और हिम्मत का

उत्तर – (घ) लुट्ट्न पहलवान के संधर्ष और हिम्मत का

 

प्रश्न 2 – लुट्ट्न के माता-पिता के देहांत के समय उसकी क्या उम्र थी?

(क)  8 वर्ष की

(ख)  9 वर्ष की

(ग)  7 वर्ष की

(घ)  6 वर्ष की

उत्तर – (ख)  9 वर्ष की

 

प्रश्न 3 – माता-पिता की मृत्यु के बाद लुट्ट्न का पालन पोषण किसने किया?

(क) लुट्ट्न की पत्नी ने

(ख) लुट्ट्न की मौसी ने

(ग) लुट्ट्न की चाची ने

(घ) लुट्ट्न की सास ने

उत्तर – (घ) लुट्ट्न की सास ने

 

प्रश्न 4 – लुट्ट्न सिंह ने कसरत करना क्यों शुरू किया था? सास को ताना (उल्टा सीधा बोलने वाले) देने वाले गाँव वालों से बदला लेने के लिए

(क) सास से बदला लेने के लिए

(ख) गाँव वालों से बदला लेने के लिए

(ग) सास पर होने वाले अत्याचारों का बदला लेने के लिए

(घ) अपने शौक के लिए

उत्तर – (ग) सास पर होने वाले अत्याचारों का बदला लेने के लिए

 

प्रश्न 5 – लुट्ट्न किसको अपना गुरु मानता था?

(क) ढोलक को

(ख) राजा को

(ग) काला खाँ को

(घ) श्याननन्द को

उत्तर – (क) ढोलक को

 

प्रश्न 6 – लुट्ट्न सिंह अपनी प्रसिद्धि कहाँ तक बताता था?

(क) ऑफ-इंडिया

(ख) हॉफ-इंडिया

(ग) मॉडर्न-इंडिया

(घ) होल-इंडिया

उत्तर – (घ) होल-इंडिया

 

प्रश्न 7 – राजा का क्या नाम था?

(क) रामानन्द

(ख) श्यामनन्द

(ग) श्यामचौहान

(घ) मोहननन्द

उत्तर – (ख) श्यामनन्द

 

प्रश्न 8 – लुट्ट्न सिंह दंगल देखने कहां गया था?

(क) गाँव

(ख) दूसरे नगर

(ग) श्याम नगर

(घ) शन्ति नगर

उत्तर – (ग) श्याम नगर

 

प्रश्न 9 – लुट्ट्न पहलवान ने चाँद सिंह को कहां के दंगल में हराया था?

(क) श्याम नगर

(ख) राम नगर

(ग) अमर नगर

(घ) शांति नगर

उत्तर – (क) श्याम नगर

 

प्रश्न 10 – विजयी होने पर लुट्ट्न सिंह ने किसे गोद में उठाया?

(क) अपने बेटे को

(ख) पुरस्कार को

(ग) राजकुमार को

(घ) राजा को

उत्तर – (घ) राजा को

 

प्रश्न 11 – “शेर का बच्चा” किसे कहा जाता था?

(क) लुट्टन सिंह

(ख) काला खाँ

(ग) चाँद सिंह

(घ) श्याम सिंह

उत्तर – (ग) चाँद सिंह

 

प्रश्न 12 – लुट्ट्न सिंह को क्या कह कर पुकारा जाने लगा था?

(क) राजा का पहलवान

(ख) राजा का बाघ

(ग) राजा का सिपाही

(घ) राजा का दाहिना हाथ

उत्तर – (ख) राजा का बाघ

 

प्रश्न 13 – लुट्ट्न सिंह ने किसकी प्रेरणा से कुश्ती में विजय प्राप्त की?

(क) राजा की

(ख) थाप की

(ग) ढोलक की

(घ) पहलवान की

उत्तर – (ग) ढोलक की

 

प्रश्न 14 – मेले के दुकानदारों ने अपनी दुकानें क्यों बंद कर दी थी?

(क) चाँद सिंह की कुश्ती देखने के लिए

(ख) लुट्टन सिंह की कुश्ती देखने के लिए

(ग) काला खाँ की कुश्ती देखने के लिए

(घ) श्यामनन्द की कुश्ती देखने के लिए

उत्तर – (क) चाँद सिंह की कुश्ती देखने के लिए

 

प्रश्न 15 – आ- ली कहकर कौन पहलवानअपने प्रतिद्वंदी पर टूट पड़ता था?

(क) श्यामनन्द

(ख) चाँद सिंह

(ग) काला खाँ

(घ) लुट्टन सिंह

उत्तर – (ग) काला खाँ

 

प्रश्न 16 – लुट्ट्न सिंह कितने साल “राज पहलवान” रहा था?

(क) 15 साल

(ख) 13 साल

(ग) 12 साल

(घ) 16 साल

उत्तर – (क) 15 साल

 

प्रश्न 17 – लुट्ट्न सिंह कितने रसगुल्ले खा लिया करता था?

(क) एक सेर

(ख) तीन सेर

(ग) दो सेर

(घ) आधा सेर

उत्तर – (ग) दो सेर

 

प्रश्न 18 – लुट्ट्न पहलवान अपने दोनों हाथों को दोनों ओर कितनी डिग्री की दूरी पर फैला कर चलने लगा था?

(क) 55 डिग्री

(ख) 45 डिग्री

(ग) 35 डिग्री

(घ) 65 डिग्री

उत्तर – (ख) 45 डिग्री

 

प्रश्न 19 – नए राजकुमार द्वारा लुट्ट्न सिंह को राजदरबार से निकाल देने का क्या कारण था?

(क) उन्हें पहलवानी का शौक नहीं था

(ख) पहलवान का खर्चा अधिक था

(ग) केवल (क)

(घ) (क) और (ख) दोनों

उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

 

प्रश्न 20 – लुट्ट्न के कितने पुत्र थे?

(क) दो

(ख) तीन

(ग) एक

(घ) चार

उत्तर – (क) दो

 

प्रश्न 21 – गांव वालों की मदद के बदले में लुट्ट्न सिंह ने क्या काम किया?

(क) गांव के नौजवानों को कसरत सिखाने का काम

(ख) गांव के नौजवानों को ढोलक बजाना सिखाने का काम

(ग) गांव के नौजवानों को कुश्ती सिखाने का काम

(घ) गांव के नौजवानों को मजदूरी सिखाने का काम

उत्तर – (ग) गांव के नौजवानों को कुश्ती सिखाने का काम

 

प्रश्न 22 – गाँव के सूना होने का क्या कारण था?

(क) सन्नाटा

(ख) महामारी

(ग) पहलवान

(घ) राजा

उत्तर – (ख) महामारी

 

प्रश्न 23 – रात्रि की विभीषिका को चुनौती देने वाला कौन था?

(क) पहलवान की आवाज

(ख) पहलवान की कुश्ती

(ग) पहलवान की चुनौती

(घ) पहलवान की ढोलक

उत्तर – (घ) पहलवान की ढोलक

 

प्रश्न 24 – बेटों की मृत्यु के कितने दिन बाद लुट्ट्न सिंह की मृत्यु हुई थी?

(क) 5 से 6 दिन

(ख) 4 से 5 दिन

(ग) 3 से 4 दिन

(घ) 6 से 8 दिन

उत्तर – (ख) 4 से 5 दिन

 

प्रश्न 25 – लुट्ट्न सिंह ने अपनी अंतिम इच्छा क्या बताई थी?

(क) पीठ के बल सुलाने और अग्नि देते समय ढोलक बजाने की

(ख) पेट के बल सुलाने और अग्नि देते समय ढोलक न बजाने की

(ग) पेट के बल सुलाने और अग्नि देते समय ढोलक बजाने की

(घ) पीठ के बल सुलाने और अग्नि देते समय ढोलक न बजाने की

उत्तर – (ग) पेट के बल सुलाने और अग्नि देते समय ढोलक बजाने की

 

पहलवान की ढोलक पाठ के सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

 

1 –

जाड़े का दिन। अमावस्या की रात-ठंडी और काली। मलेरिया और हैज़े से पीड़ित गाँव भयार्त्त शिशु की तरह थर-थर काँप रहा था। पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस  की झोंपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य! अँधेरा और निस्तब्धता! अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय में ही दबाने की चेष्टा कर रही थी। आकाश में तारे चमक रहे थे। पृथ्वी पर कहीं प्रकाश का नाम नहीं। आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे। सियारों का क्रंदन और पेचक की डरावनी आवाज़ कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गाँव की झोंपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज़, ‘हरे राम! हे भगवान!’ की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे भी कभी-कभी निर्बल कंठों से ‘माँ-माँ’ पुकारकर रो पड़ते थे। पर इससे रात्रि की निस्तब्धता में विशेष बाधा नहीं पड़ती थी। कुत्तों में परिस्थिति को ताड़ने की एक विशेष बुद्धि होती है। वे दिन-भर राख के घूरों पर गठरी की तरह सिकुड़कर, मन मारकर पड़े रहते थे। संध्या या गंभीर रात्रि को सब मिलकर रोते थे। रात्रि अपनी भीषणताओं के साथ चलती रहती और उसकी सारी भीषणता को, ताल ठोककर, ललकारती रहती थी- सिफ पहलवान की ढोलक! संध्या से लेकर प्रातःकाल तक एक ही गति से बजती रहती-‘चट्-धा, गिड़-धा,…चट्-धा, गिड़-धा!’ यानी ‘आ जा भिड़ जा, आ जा, भिड़ जा!’… बीच-बीच में-‘चटाक-चट्-धा, चटाक-चट्-धा!’ यानी ‘उठाकर पटक दे! उठाकर पटक दे!!’

यही आवाज़ मृत-गाँव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी। लुट्टन सिंह पहलवान!

 

प्रश्न 1 – गाँव भयार्त्त शिशु की तरह थर-थर क्यों काँप रहा था?

(क) अत्यधिक ठण्ड के कारण

(ख) मलेरिया और हैज़े के कारण 

(ग) अँधेरी रात के डर के कारण

(घ) पहलवान के डर के कारण

उत्तर – (ख) मलेरिया और हैज़े के कारण 

 

प्रश्न 2 – अँधेरी रात चुपचाप क्यों आँसू बहा रही थी?

(क) गाँव में हैजा व मलेरिया का प्रकोप था इसलिए

(ख) गाँव में हैजा व मलेरिया का प्रकोप था इसलिए

(ग) घर-घर में मौतें हो रही थीं व् चारों ओर मौत का सन्नाटा था इसलिए

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 3 – प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने तारों का उदाहरण किसके लिए दिया है?

(क) गाँव के बाहर से मदद की चाह रखने वालों के लिए

(ख) टूटते कमज़ोर तारो के लिए

(ग) पहलवान के रिश्तेदारों के लिए

(घ) राजा और राजकुमार के लिए

उत्तर – (क) गाँव के बाहर से मदद की चाह रखने वालों के लिए

 

प्रश्न 4 – कौन रात्रि अपनी भीषणताओं को, ताल ठोककर, ललकारती रहती थी?

(क) पहलवान की मुस्कुराहट

(ख) पहलवान की आवाज

(ग) सिर्फ पहलवान की ढोलक

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (ग) सिर्फ पहलवान की ढोलक

 

प्रश्न 5 – पहलवान का क्या नाम था?

(क) लुट्टन

(ख) लट्टन

(ग) लुटून

(घ) लृटान

उत्तर – (क) लुट्टन

 

2 –

लुटुन के माता पिता उसे नौ वर्ष की उम्र में ही अनाथ बनाकर चल बसे थे। सौभाग्यवश शादी हो चुकी थीं, वरना वह भी माँ बाप का अनुसरण करता। विधवा सास ने पाल-पोसकर बड़ा किया। बचपन में वह गाय चराना, धारोष्ण दूध पीता और कसरत किया करता था। गाँव के लोग उसकी सास को तरह-तरह की तकलीफ़ दिया करते थे, लुट्न के सिर पर कसरत की धुन लोगों से बदला लेने के लिए ही सवार हुई। नियमित कसरत ने किशोरावस्था में ही उसके सीने और बाँहों को सुडौल तथा मांसल बना दिया था। जवानी में कदम रखते ही वह गाँव में सबसे अच्छा पहलवान समझा जाने लगा। लोग उससे डरने लगे और वह दोनों हाथों को दोनों ओर 45 डिग्री की दूरी पर फैलाकर, पहलवानों की भाँति चलने लगा। वह कुश्ती भी लड़ता था। एक बार वह ‘दंगल’ देखने श्यामनगर मेला गया। पहलवानों की कुश्ती और दाँव-पेंच देखकर उससे नहीं रहा गया। जवानी की मस्ती और ढोल की ललकारती हुई आवाज ने उसकी नसों में बिजली उत्पन्न कर दी। उसने बिना कुछ सोचे-समझे दंगल में ‘शेर के बच्चे’ को चुनौती दे दी। ‘शेर के बच्चे’ का असल नाम था चाँद सिंह। वह अपने गुरु पहलवान बादल सिंह के साथ पंजाब से पहले-पहल श्यामनगर मेले में आया था। सुंदर जवान, अंग प्रत्यंग से सुंदरता टपक पड़ती थी। तीन दिन में ही पंजाबी और पठान पहलवानों के गिरोह के अपनी जोड़ी और उम्र के सभी पहलवानों को पछाड़कर उसने शेर के बच्चे की टायटिल प्राप्त कर ली थी। इसलिए वह दंगल के मैदान में लंगोट लगाकर एक अजीब किलकारी भरकर छोटी दुलकी लगाया करता था। देशी नौजवान पहलवान उससे लड़ने की कल्पना से भी घबराते थे। अपनी टायटिल को सत्य प्रमाणित करने के लिए ही चाँद सिंह बीच-बीच में दहाड़ता फिरता था।

 

प्रश्न 1 – जब लुट्टन के माता-पिता का देहांत हुआ तब वह कितने वर्ष का था?

(क) 5

(ख) 7

(ग) 9

(घ) 6

उत्तर – (ग) 9

 

प्रश्न 2 – माता-पिता की मृत्यु के बाद लुट्टन का पालन-पोषण किसने किया?

(क) चाचा ने

(ख) मामा ने

(ग) ताया ने

(घ) सास ने

उत्तर – (घ) सास ने

 

प्रश्न 3 – लुट्न के सिर पर कसरत की धुन क्यों सवार हुई?

(क) अपना शौक पूरा करने के लिए

(ख) लोगों से बदला लेने के लिए

(ग) पहलवान बनने के लिए

(घ) अपनी धौंस जमाने के लिए

उत्तर – (ख) लोगों से बदला लेने के लिए

 

प्रश्न 4 – ‘शेर के बच्चे’ का वास्तविक नाम क्या था?

(क) शेर सिंह

(ख) लुट्टन सिंह

(ग) बादल सिंह

(घ) चाँद सिंह

उत्तर – (घ) चाँद सिंह

 

प्रश्न 5 – देशी नौजवान पहलवान चाँद सिंह से लड़ने की कल्पना से भी घबराते थे, क्यों?

(क) वह देखने में ही खूंखार लगता था

(ख) तीन दिन में ही सभी पहलवानों को पछाड़ दिया था

(ग) वह राजा जी का चाहता बन गया था

(घ) वह राज पहलवान घोषित हो गया था

उत्तर – (ख) तीन दिन में ही सभी पहलवानों को पछाड़ दिया था

 

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