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What is Compressor In Hindi- कम्प्रेसर के प्रकार

शायद ही कोई ऐसा विभाग होगा जिसमे कंप्रेसर का इस्तेमाल न हुआ हो। What is Compressor In Hindi  के इस आर्टिकल में कंप्रेसर के सभी पहलु को विस्तार से समझेंगे। preliminaryexam  में Electrical, Instrument एवं Mechanical से संबधित जानकारी होती है। इस आर्टिकल में हम कंप्रेसर को गहराई से समझेंगे।

What is Compressor In Hindi

कम्प्रेस करना मतलब दबाना। एयर और गैस के वॉल्यूम को कम्प्रेस करता है। एयर को कम्प्रेस करने से वॉल्यूम कम होता है और एयर का प्रेशर बढ़ जाता है। वही गैस को कम्प्रेस करने से गैस का प्रेशर बढ़ जाता है। वही गैस के लक्षण के आधार पे तापमान भी बदल जाता है।

हम आम जीवन में कंप्रेसर का उपयोग कही बार करते है। अलग-अलग जगह पर हमारी जरूरियात के आधार पर हम कम्प्रेसर का सहारा लेते है। जैसे की हमारे घरमे एयर कंडीशनर या रेफ्रिजरेटर युज करते है। उससे मिलने वाली ठंडक कम्प्रेसर का ही कमाल है।

हम बाइक या फोर व्हीलर में हवा भरवाते है। वो हवा कम्प्रेसर से ही तैयार होती है।

आजकल हमारे यहा जब नया रोड बनता है, तो पहले पुराने रोड को साफ किया जाता है। ये रोड साफ करने वाली मशीन में भी कम्प्रेस्सुर का ही इस्तेमाल होता है। ये सिर्फ आपकी प्राइमरी जानकारी के लिये है।

हम What is Compressor in Hindi के इस आर्टिकल में कम्प्रेसर को गहराई से समझेंगे। जिसमे कम्प्रेसर के प्रकार कोनसे है ? कम्प्रेसर कैसे काम करता है ? कम्प्रेसर भाग क्या है ? और कम्प्रेसर का मैंटेनैंस कैसे करते है ? कहा कम्प्रेसर का इस्तेमाल होता है ?

कम्प्रेसर क्या है ? कम्प्रेसर किसे कहते है ?

Compressor को यूटिलिटी डिपार्टमेंट का उपकरण माना जाता है। वैसे ये मैकेनिकल उपकरण है। मैकेनिकल एनर्जी को प्रेशर और तापमान में कन्वर्ट करता है। पर इसे चलाने के लिए बिजली के सप्लाई की जरुरत पड़ती है।

याने कम्प्रेसर एक ऐसा उपकरण है जो इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल एनर्जी की सहायता से हवा का वॉल्यूम कम करता है। और उसे प्रेसर में परिवर्तित करता है। इसे कम्प्रेसर कहते कहते है।

कम्प्रेसर के प्रकार – Types of Compressor

कम्प्रेसर अलग-अलग प्रकार में उपलब्ध है। कम्प्रेसर के प्रकार हवा या गैस को कम्प्रेस करने की पद्धति के आधार पे नाम रखा जाता है। वैसे सभी प्रकार के कम्प्रेसर का काम एयर और गैस को कम्प्रेस करना ही है, पर कार्यप्रणाली अलग है। कार्यप्रणाली के आधार पर इसके प्रकार का नाम दिया जाता है।

उदहारण के तोर पे …..

स्क्रू की मदद से हवा को कम्प्रेस करने वाले कम्प्रेसर को स्क्रू कम्प्रेसर कहते है। पिस्टन की मदद से हवा का प्रेसर करने वाले कम्प्रेसर को रेसिप्रोकेटिंग कम्प्रेसर कहते है।

निचे की पिक्चर में आप देख सकते हो, जिसमे कम्प्रेसर को वर्गीकृत किया है। इस वर्गीकरण के मुताबिक What Is Compressor in Hindi में हरेक कम्प्रेसर को गहराई से समझेंगे।

कम्प्रेसर के मुख्य दो प्रकार होते है। उसमे से उनके सब प्रकार मिलते है।

What is Compressor In Hindi

Compressor Types – What is compressor In Hindi

1 – Dynamic Compressor

Dynamic का मीनिंग होता है गतिशील। जो मूव करता है, गति करता है इसे गतिशील कहते है। Compressor का मीनिंग है कम्प्रेस करना। जो गति से हवा को कम्प्रेस करता है उसे Dynamic Compressor कहते है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर में गतिशील भाग के तोर पे impeller का इस्तेमाल होता है। इम्पेलर घूमता है और एयर का प्रेसर बढ़ाता है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर का इस्तेमाल जहा लगातार एयर की जरुरत हो वहां होता है। ज्यादातर फार्मा इंडस्ट्रीज, केमिकल और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्रीज में  होता है।

Dynamic कम्प्रेसर को दो भागो में बाटा गया है।

1 – Centrifugal Compressor

2 – Axial Compressor

1 – Centrifugal Compressor

सेन्ट्रीफ्यूगल का मतलब है केंद्रत्यागी। इस प्रकार के कम्प्रेसर में एक इम्पेलर होता है। इम्पेलर के ऊपर प्लेट्स होती है। जिसे हम वेन्स भी कहते है। इम्पेलर एक गुमने वाला भाग रोटर पे होता है। रोटर घूमता है तो इम्पेलर घूमता है। सक्शन एयर या गैस बिच में से ली जाती है।

जैसे गैस अंदर जाती है, गुमने वाले इम्पेलर में काइनेटिक एनर्जी बढ़ती है। यहा डिफ्यूज़र लगा होता है। जहा गैस को फैलने की जगह मिलती है और प्रेसर बढ़ता है। यही प्रेसर वाली गैस हमें आउटपुट में चाहिए।

इनपुट के केंद्र से दूर हमें जो आउटपुट मिलता उसे केंद्रत्यागी बल कहते है। और उसी के आधार पे काम करने वाले कम्प्रेसर को  Centrifugal Compressor कहते है।

इसकी कॉस्ट कम होती है। छोटी फैक्ट्री में जहा लॉ प्रेशर एयर की जरुरत हो वहां इसका इस्तेमाल किया जाता है।

2- Axial Flow Compressor

ये कम्प्रेसर भी Dynamic कम्प्रेसर एक प्रकार है।  इसके के नाम से पता चलता है की इसमें एयर का फ्लो एक्सियल फ्लो के साथ रहेगा। इसे इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा घुमाया जाता है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर में मुख्य भाग रोटर, स्टेटर और केसिंग होता है। इसमें स्टेटर की ब्लेड केसिंग के साथ जुडी हुई होती है। रोटर मल्टी स्टेज होता है और स्टेटर में फिक्स वेन्स होती है।

Axial Flow कम्प्रेसर में स्टेज कम या ज्यादा का सिलेक्शन कर सकते है। ये हमारी एयर प्रेसर की जरुरत पे निर्भर करता है। जितना स्टेज ज्यादा होता है उतना प्रेसर रेश्यो बढ़ जाता है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर में एयर की एंट्री और एग्जिट एक्सियल डायरेक्शन में होती है। इसमें रोटर गैस या एयर की एब्सोल्यूट वेलोसिटी को बढ़ाता है। और स्टेटर इसे प्रेशर प्रदान करता है।

Axial Flow Compressor कार्यक्षमता अच्छी होती है। इसका उपयोग एयर ब्लोअर, ब्लास्ट फर्नेस, विंड टनल, जेट इंजिन और पावर स्टेशन में किया जाता है।

Positive displacement Compressor

सकारात्मक विस्थापन में जो काम करके हवा या गैस को कम्प्रेस करता है उसे पॉजिटिव कम्प्रेसर कहते है।

उदहारण से समजे तो…..

हम सब ने साइकिल चलायी है। साइकिल के टायर में हवा भरने के लिये पंप का उपयोग होता है। हम में से काफी लोगो ने इसे इस्तेमाल  भी किया होगा। ये पंप जिस तरह से काम करता है, ये पॉजिटिव डिप्लेस्मेंट का उत्तम उदहारण है।

पॉजिटिव डिप्लेस्मेंट में दो प्रकार के कम्प्रेसर का यूज होता है।  जिसमे एक Reciprocating  दूसरा Rotary  कम्प्रेसर है। दोनों का वर्किंग सिद्धांत एक जैसा ही रहता है। पर एयर कम्प्रेस करने की पद्धति अलग  होती है। इस प्रकार के कम्प्रेसर में स्क्रू, वेन, लोब या पिस्टन का इस्तेमाल होता है।

Reciprocating Compressor 

ये एक dynamic कम्प्रेसर का प्रकार है। पिस्टन के सहयोग से लॉ प्रेसर एयर को हाई प्रेसर एयर में कन्वर्ट करने वाले कम्प्रेसर को रेसिप्रोकेटिंग कहते है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर में पिस्टन, सिलिंडर, कनेक्टिंग रोड, क्रैंक शाफ़्ट, सक्शन वाल्व और डिस्चाज वाल्व का यूज होता  है।

Crank शाफ़्ट को इलेक्ट्रिक मोटर से घुमाया जाता है।

शाफ़्ट गुमने से कनेक्टिंग रोड के साथ पिस्टन उप डाउन होता है।

पिस्टन  बंध सिलिंडर में मूवमेंट करता है।

सिलिंडर के ऊपरी हिस्से में सक्शन वाल्व और डिस्चाज वाल्व होता है।

जब पिस्टन निचे की तरफ मूव करता है, तब सक्शन वाल्व ओपन होता है।

सिलिंडर में एयर का वॉल्यूम बढ़ता है, और प्रेसर कम होता है।

जब पिस्टन ऊपर की तरफ मूव करता है, तब एयर का प्रेसर बढ़ता है।

डिस्चार्ज वाल्व ओपन होता है। और एयर रिलीज़ होती है।

Reciprocating प्रकार के कम्प्रेसर में ये प्रक्रिया लगातार चलती है।

रेसिप्रोकेटिंग कंप्रेसर के तीन प्रकार है।

1- सिंगल एक्टिंग कम्प्रेसर 

ये कम्प्रेसर पिस्टन का सिंगल साइड मूवमेंट के हिसाब से काम करता है इसीलिए, इसे सिंगल एक्टिंग कम्प्रेसर कहते है।

इसमें क्रैंक का शाफ़्ट 360 डिग्री पे रोटेट करता है। इसके साथ पिस्टन उप डाउन होता है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर का इस्तेमाल ज्यादातर इंडस्ट्रीज में होता है। ये अलग-अलग कैपेसिटी में मिलता है। हमारी जरूरियात के मुताबिक हम कैपेसिटी का सिलेक्शन कर सकते है।

2- डबल एक्टिंग कम्प्रेसर

रेसिप्रोकेटिंग के इस प्रकार में डबल सिलिंडर और डबल पिस्टन का यूज किया जाता है। इसीलिए इसे डबल एक्टिंग कम्प्रेसर कहते है। इस प्रकार के कम्प्रेसर को ट्व स्टेज कम्प्रेसर भी कहा जाता है।

सिंगल एक्टिंग कम्प्रेसर की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली है। दो सिलिंडर और दो पिस्टन होने के कारण बहुत अच्छा आउटपुट मिलता है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर में दोनों सिलिंडर में सक्शन और डिस्चाज वाल्व रहता है। दोनो  पिस्टन कनेक्टिंग शाफ़्ट के साथ जुडी होती है। जैसे पावर दिया जाता है शाफ़्ट गुमती है। उसके साथ one by one पिस्टन उप डाउन होता है।

डबल एक्टिंग कम्प्रेसर की कार्यक्षमता अच्छी है। जरुरत में मुताबिक एयर का प्रेसर भी मिलता है। बड़ी इंडस्ट्रीज में इसका उपयोग होता है।

3- Diaphragm Compressor 

डायाफार्म कम्प्रेसर को मेमरन कम्प्रेसर भी कहा जाता है। इसमें एयर का सक्शन और डिस्चार्ज का काम डायफार्म की मूवमेंट से होता है। इसीलिए इसे डायफार्म कम्प्रेसर कहते है।

डायफार्म फ्लेक्सिबल होता है। हाड्रोलिक आयल डायफार्म की निचे से लगातार वहन होता है। डायफार्म की मूवमेंट आयल के प्रेसर पे होती है। और आयल प्रेसर का आधार पिस्टन पे होता है।

जैसे पिस्टन ऊपर जाता है, आयल का प्रेसर बढ़ता है। आयल का प्रेसर बढ़ने से डायफार्म ऊपर की तरफ दबाव बनाता है। जहा सक्शन एयर होती है उसे डिस्चार्ज करता है। ये प्रक्रिया लगातार चलती है।

ये प्रकार का कम्प्रेसर मीडियम एयर प्रेसर के लिए उपयुक्त है। बहुत ज्यादा एयर प्रेसर की जरुरत हो वहां इसका इस्तेमाल नहीं होता।

Rotary Compressor 

इस प्रकार के कम्प्रेसर में पिस्टन का उपयोग नहीं होता। इसमें स्क्रू, वैन ,गियर या लोब का इस्तेमाल करके प्रेसर बनाया जाता है। इसीलिए इसे रोटरी कम्प्रेसर कहते है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर का आउटपुट लगातार मिलता है।

हाई  प्रेसर एप्लीकेशन में इसका उपयोग होता है।

इसका वजन रेसिप्रोकेटिंग की तुलना में कम रहता है।

बहुत मजबूत फाउंडेशन की जरुरत नहीं होती।

रोटरी कम्प्रेसर का वाइब्रेशन कम रहता है।

रोटरी कंप्रेसर के कुल पांच प्रकार निम्नलिखित है।

1- Lobe Compressor –

लोब कम्प्रेसर को रोटरी लोब कम्प्रेसर भी कहा जाता है। इसमें लौकी के आकर के  दो स्क्रू रहते है। गियर की तरह एक दूसरे से मैच होके घूमते है।  इसकी रचना सिंपल होती है।

वैसे ब्लोअर की तरह ही काम करता है। एक तरफ से सक्शन लाइन से एयर  को खींचता है। और दूसरी तरफ  डिस्चार्ज लाइन से एयर रिसीवर में भेजता है।

लोब कम्प्रेसर कम कैपेसिटी में उपलब्ध होते है।

लॉ एयर प्रेसर की जरुरत हो वहां इसका इस्तेमाल होता है।

आवाज ज्यादा उत्पन्न करता है।

रखरखाव का खर्च बहुत कम रहता है।

2- Screw Compressor 

स्क्रू की सहायता से एयर  गैस को कम्प्रेस करता है, और प्रेसर निर्माण करता है इसीलिए इसे स्क्रू कम्प्रेसर कहते है।

स्क्रू कम्प्रेसर में दो स्क्रू होते है। ज्यादातर हेलिकल स्क्रू का इस्तेमाल किया जाता है। दोनों स्क्रू एक दूसरे से लिंक होते है। एक दूसरे को घुमाने में मदद करते है।

इसमें एक मेल रोटर (ड्राइवर रोटर) है। एक फीमेल रोटर (ड्राइवन)  है। दोनों स्क्रू अपोजिट दिशा में घूमते है। एक clockwise घूमता है और दूसरा एंटी clockwise घूमता है।

What is Compressor In Hindi

स्क्रू कंप्रेसर यूनिट – What is Compressor In Hindi

कम स्पीड होने के बावजूद बहुत जल्दी एयर प्रेसर बनाने के लिए जाना जाता है।

इसकी कार्यक्षमता बहुत बेहतरीन होती है।

चलते वक्त आवाज भी कम होता है। याने नॉइज़ पोल्लुशण भी कम होता है।

रखरखाव का खर्च ज्यादा होता है। पर आउटपुट अच्छा मिलता है।

बहुत प्रचलित कम्प्रेसर है। बड़ी इंडस्ट्रीज में इसका उपयोग किया जाता है।

3- Vane Compressor

वेन का मतलब पट्टी या ब्लेड होता है। वेन का उपयोग करके लौ प्रेसर एयर को हाई प्रेसर एयर में कन्वर्ट करने वाले उपकरण को वेन कम्प्रेसर कहते है।

इसमें दो मुख्य भाग होते है।

1 – रोटर

2 –  वेन्स

रोटर में स्लॉट होते है। और उस स्लॉट में वेन फिट होती है। पूरा यूनिट एक केसिंग के अंदर होता है। केसिंग के एक तरफ सक्शन और दूसरी तरफ डिस्चार्ज होता है।

रोटर को मोटर से घुमाया जाता है। उसके साथ वेन्स घूमती है। वो एयर को सक्शन करती है और प्रेसर के साथ डिस्चाज करती है।

हाई प्रेसर एयर के लिए इसका इस्तेमाल होता है।

ज्यादा मैंटेनैंस की जरुरत होती है।

याद रखे -रोटरी कम्प्रेसर की लाइफ अच्छी है। ज्यादा ख़राब नहीं होते। पर जब ख़राब होते है तो रिपेयर का चान्स बहुत कम होता है। यदि रिपेयर हो भी गया तो आउटपूत कम हो जाता है।

4- Scroll Compressor

इस प्रकार के कम्प्रेसर को स्पाइरल कम्प्रेसर भी कहा जाता है। इसमें स्पाइरल रोटेट नहीं करता, स्क्रॉल करता है। स्क्रॉल करने से एयर को सक्शन करता है और और वॉल्यूम कम करके प्रेसर बढ़ाता है। इसीलिए इसे स्क्रॉल कम्प्रेसर कहते है।

इसकी रचना कॉम्पैक्ट होती है। चलते समय आवाज कम होता है।

आउटपुट लौ रहता है। पर आउटपुट से मिलने वाली एयर का तापमान बहुत ज्यादा होता है।

इस प्रकार के कम्प्रेसर में बहुत कम आयल की जरुरत होती है।

कम्प्रेसर में रखरखाव कम है। विश्वसनीयता अच्छी है।

एयर और गैस दोनों में इस्तेमाल होता है।

पर डोमेस्टिक लेवल के उपकरणों में इस प्रकार का कम्प्रेसर का इस्तेमाल नहीं होता। शायद इसके लिए इसकी रचना ही जिम्मेदार है।

5- Liquid Ring Compressor

Liquid कम्प्रेसर का इस्तेमाल केमिकल और  पेट्रोकेमिकल फैक्ट्री  होता है। इसमें 316 L मटीरियल का  इस्तेमाल होता है। ये मेंटेनेंस फ्री कम्प्रेसर है। 50000 ऑवर तक इसकी गारंटी होती है।

इसका उपयोग वैक्यूम पंप के तोर पे बहुत ज्यादा होता है। अलग – अलग यूनिट में होता है जिसे निन्मलिखित है।

फ्लेर गैस रिकवरी यूनिट

साल्वेंट रिकवरी यूनिट

वेपर रिकवरी यूनिट

What is Compressor In Hindi में हमने ऊपर कंप्रेसर के प्रकार का विवरण देखा। आगे हम समझेंगे कंप्रेसर कैसे काम करता है ? इसके मुख्य भाग क्या है ? उपयोग कहा किया जाता है ? और मेंटेनेंस कैसे करते है ?

कम्प्रेसर कैसे काम करता है – Compressor Working

हमने अलग-अलग प्रकार के कंप्रेसर में देखा की काम एक ही है। लौ प्रेसर गैस या एयर को सक्शन करता है। और हाई प्रेसर बनाके डिस्चार्ज करता है।

रेसिप्रोकेटिंग प्रकार के कम्प्रेसर में प्रेसर बनाने के लिए सिलिंडर और पिस्टन का इस्तेमाल किया जाता है।

रोटरी प्रकार के कम्प्रेसर में पिस्टन और सिलिंडर का यूज़ नहीं होता। उसमे लोब, रोटर, स्क्रू , वैन जैसे गुमने वाले भाग से प्रेशर जनरेट किया जाता है।

डायनामिक प्रकार के कम्प्रेसर में Centrifugal ( केंद्रत्यागि )और एक्सियल की मदद से प्रेसर जनरेट किता जाता है।

सभी कंप्रेसर में कॉमन चीज है, सक्शन लाइन और डिस्चाज लाइन। सक्शन लाइन याने जहा से एयर या गैस को खींचता है वो लाइन। एयर कंप्रेसर में ये सक्शन लाइन से वातावरण से एयर को खींचा जाता है।

कंप्रेसर की अंदर की कार्य पद्धति से उसे कम्प्रेस किया जाता है। यहां एयर का वॉल्यूम कम होता है। और प्रेशर बढ़ता है।

डिस्चार्ज लाइन या ने जहासे प्रेसराइज़ एयर और गैस को बहार भेजा जाता है, वो लाइन। यहां से प्रेशर से एयर या गैस बहार निकलते है। प्रेसराइज़ गैस कूलिंग का काम करता है। और प्रेसराइज़ एयर को रिसीवर टैंक में एकत्रित किया जाता है।

कम्प्रेसर का उपयोग कहा होता है

1 – केमिकल, फार्मा स्यूटिक्ल कंपनी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। प्रोसेस की जरुरत होती है इसीलिए, हमें प्रेसर से एयर प्रदान करना पड़ता है। वहां एयर कम्प्रेसर के तोर यूज़ होता है।

2- केमिकल प्रोसेस में कही जगह वैक्यूम की जरुरत होती है, तो वैक्यूम पंप या वैक्यूम कम्प्रेसर के तोर पे इस्तेमाल होता है।

3- जहा कूलिंग की जरुरत होती है वहां, Brine चिलर में गैस को  कम्प्रेस करने में यूज़ किया जाता है।

4- मेडिकल सेवा में डेंटल हॉस्पिटल में ज्यादा उपयोग किया जाता है।

5- जहा भी आपको कूलिंग का अहसास हो वहां कम्प्रेसर का इस्तेमाल होता है। होम अप्प्लायन्स  में  AC, फ्रीज़ , डीप फ्रीज़ में गैस को कूलिंग करने में इस्तेमाल होता है।

6- केमिकल इंडस्ट्रीज में इंस्ट्रूमेंट एयर कम्प्रेसर के तोर पे उपयोग होता है। जिसमे ड्रायर का इस्तेमाल किया जाता है। बिना मॉइस्चर की एयर से इंस्ट्रूमेंट ऑपरेट किया जाता है।

7- कोल्ड स्टोरेज में तापमान को मेन्टेन करने के लिए यूज़ होता है।

ऐसी अनेक जगह है जहा हम कम्प्रेसर का उपयोग करते है।

एयर कम्प्रेसर के भाग 

कम्प्रेसर की साइज कैपेसिटी के हिसाब से अलग – अलग होती है। जरूरियात के मुताबिक रचना भी अलग-अलग होती है।

पर आमतौर पे इंडस्ट्रीज में उपयोग होने बाले कम्प्रेसर के भाग यहां बताया गया है।

कम्प्रेसर एक यूनिट होता है।

मोटर – कम्प्रेसर में ड्राइविंग सोर्स के तोर पे एक इलेक्ट्रिक मोटर होती है। मोटर को चलाने के लिए VFD या स्टार्टर का इस्तेमाल किया जाता है।

आयल – कम्प्रेसर के रोटेटिंग पार्ट के लुब्रिकेशन के लिए आयल का इस्तेमाल किया जाता है। ये आयल अलग अलग प्रकार में मिलता है।

आयल फ़िल्टर – आयल को फ़िल्टर करने के लिए आयल फ़िल्टर का इस्तेमाल किया जाता है।

एयर फ़िल्टर – सक्शन एयर में कोई कचरा न आये इसीलिए एयर फ़िल्टर लगाया जाता है।

सेपरेटर – सेपरेटर में ख़राब आयल को फ़िल्टर करने के लिए भेजा जाता है। वो दोनों को अलग करता है।

लोडिंग अन लोडिंग किट –  कम्प्रेसर के लोडिंग अन लोडिंग के टाइम  पे ऑपरेट होती है। ये प्रेसर के सेटिंग से लोडिंग अन लोडिंग होता है।

कंट्रोलर – कंट्रोलर अडवांस टेक्नोलॉजी का एक हिस्सा है। उसमे पुरे कम्प्रेसर की कुंडली होती है।  कितने घंटे चला है ? कब मैंटेनैंस करना है। कितना टेम्प्रेचर रहता है ? सभी प्रकार का पेरा मीटर यहां से मिल जाता है।

कंप्रेसर में PDP ( Pressure Dew Point) का तापमान 3 से 5 डिग्री तक होना चाहिए। और एलिमेंट तापमान 100 डिग्री से अंदर होना चाहिए।

Air Compressor Maintenance कैसे करें

इंडस्ट्रीज में एयर कम्प्रेसर लगातार चलने वाला उपकरण है। इसे स्वस्थ रखना डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी है।

कम्प्रेसर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से रखरखाव की जरुरत होती है।

1 – कम्प्रेसर के लिए ऑपरेटर रहता है वो ही उसे ऑपरेट करना चाहिए।

2 – कम्प्रेसर के पैरामीटर का रीडिंग की लोग शीट होनी चाहिए।

3 – हर घंटे पैरामीटर का रीडिंग चेक करना चाहिए। जिसमे PDP, Element और वातावरण का तापमान चेक करना चाहिए। आयल लेवल और एयर प्रेसर चेक करना चाहिए।

4 – कम्प्रेसर की एयर रिसीवर टैंक में मॉइस्चर के कारण पानी जमा हो जाता है। रिसीवर टैंक को रोज ड्रेन करना चाहिए।

5 – हप्ते में एक बार पूरा कम्प्रेसर क्लीन करना चाहिए। एयर सक्शन करने के कारण डस्ट जमा हो जाती है। इसे हर हप्ते साफ करना चाहिए।

6 – हर 15 दिन में एयर फ़िल्टर को क्लीन करना चाहिए।

7 – हर महीने आयल और एयर लाइन लीकेज चेक करना चाहिए। नट बोल्ट अवं बेल्ट की टाइटनेस चेक करना चाहिए।

8 – कम्प्रेसर के आयल अवं फ़िल्टर की रनिंग ऑवर पे कैपेसिटी होती है। जैसे की 4000 रनिंग ऑवर के बाद आयल, आयल फ़िल्टर, एयर फ़िल्टर, सेपरेटर को बदल दिया जाता है।

नियमित रूप से इस तरह रखरखाव किया जाये तो अच्छी कार्यक्षमता के साथ कम्प्रेसर चलता है।

5s सिस्टम क्या है ? कैसे काम करता है ?

AC खरीदने से पहले क्या ध्यान रखे ?

मैंटेनैंस के प्रकार को समजे

कम्प्रेसर से जुड़े कुछ सवाल

Question  – AC या फ्रीज़ का कम्प्रेसर वर्क नहीं करता तो क्या करे ?

Answer – हमारे घरमे AC या फ्रीज में कूलिंग नहीं होता तो संभावना है की कम्प्रेसर काम नहीं करता।

1 – पहले पावर सप्लाई चेक करले, कम्प्रेसर को पावर मिलता है की नहीं।

2  – कम्प्रेसर में गैस लीकेज हो गया तो कूलिंग नहीं देगा। यहां हमें गैस भरवाना पड़ेगा।

3 – कम्प्रेसर ख़राब हुआ हो तो कूलिंग नहीं मिलेगा। कम्प्रेसर में एक मोटर होती है। उसमे वाइंडिंग रहता है। यदि ये मोटर ख़राब हो गयी तो इसे रेपैरे करना पड़ेगा।

Question – फ्रीज़ और AC के कंप्रेसर की प्राइस कितनी होती है।

Answer – AC ऒर  फ्रीज़ के कम्प्रेसर की प्राइस कैपेसिटी पे आधार रखता है। कम्प्रेसर की क्वॉलिटी पे आधार रखता है।  वैसे 1.5 टन के AC के कम्प्रेसर की कीमत 5 से 6 हज़ार तक होती है।

Question – AC और फ्रीज में कोनसा गैस इस्तेमाल होता है।

Answer – AC और फ्रीज के कम्प्रेसर में R12, R11, R22 , R407 और R 410 गैस का इस्तेमाल होता है।

What is Compressor In Hindi  में एयर कम्प्रेसर की डिटेल शामिल है। आशा करता हु ये आपके लिए Helpful होगी। कम्प्रेसर से सम्बंधित कोई सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में लिख सकते हो।

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