Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 2 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 2 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
अपठित बोध –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए 10 × 1 = 10
‘सत्य के अनेक रूप होते हैं, इस सिद्धांत को मैं बहुत पसन्द करता हूँ । इसी सिद्धांत ने मुझे एक मुसलमान को उसके अपने दृष्टिकोण से और ईसाई को उसके स्वयं के दृष्टिकोण से समझना सिखाया। जिन अंधों ने हाथी का अलग-अलग तरह से वर्णन किया, वे सब अपनी दृष्टि से ठीक थे। एक-दूसरे की दृष्टि से सब गलत थे और जो आदमी हाथी को जानता था उसकी दृष्टि से ये सही भी थे और गलत भी ।
जब तक अलग-अलग धर्म मौजूद हैं, तब तक प्रत्येक धर्म को किसी विशेष बाह्य चिह्न की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन जब बाह्य चिह्न आडंबर बन जाते हैं अथवा अपने धर्म को दूसरे धर्मों से अलग बनाने के काम आते हैं, तब वे सामान्य हो जाते हैं। धर्मों के भातृ-मण्डल का उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह हिंदू को अधिक अच्छा हिंदू, एक मुसलमान को अधिक अच्छा मुसलमान और एक ईसाई को अधिक अच्छा ईसाई बनाने में मदद करे। दूसरों के लिए हमारी प्रार्थना यह नहीं होनी चाहिए – ईश्वर ! तू उन्हें वही प्रकाश दे, जो तूने मुझे दिया है, बल्कि यह होनी चाहिए – तू उन्हें वह सारा प्रकाश दे, जिसकी उन्हें अपने सर्वोच्च विकास के लिए आवश्यकता है।’
1. सत्य के कितने रूप होते हैं?
(क) एक
(ख) दो
(ग) पाँच
(घ) अनेक
उत्तर :
(घ) अनेक
2. अंधों ने किस का अलग-अलग रूप दिखाया ?
(क) साँप
(ख) हाथी
(ग) कछुए
(घ) आदमी
उत्तर :
(ख) हाथी
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (i): हाथी को जानने वाले की दृष्टि में वे सभी सही थे।
कथन (ii): हाथी को जानने वाले की दृष्टि में वे सभी गलत थे।
कथन (iii): हाथी को जानने वाले की दृष्टि में वे सभी समान थे।
कथन (iv): हाथी को जानने वाले की दृष्टि में वे गलत और सही दोनों थे।
गद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही है / हैं ?
(क) कथन (i) और (ii) सही हैं।
(ख) केवल कथन (ii) सही है।
(ग) केवल कथन (iii) सही है।
(घ) केवल कथन (iv) सही है।
उत्तर :
(घ) केवल कथन (iv) सही है।
4. प्रत्येक धर्म को किस की आवश्यकता हो सकती थी?
(क) विशेष बाह्य चिहन
(ख) बाहरी चिह्न की
(ग) आंतरिक चिह्न की
(घ) ये सभी
उत्तर :
(क) विशेष बाह्य चिहन
व्याख्या-प्रत्येक धर्म को विशेष बाहय चिह्न की आवश्यकता हो सकती है।
5. बाह्य आडंबर किसे अलग करते हैं?
(क) आदमी को
(ख) समाज को
(ग) व्यवहार को
(घ) धर्म को
उत्तर :
(घ) धर्म को
6. हमारी प्रार्थना किस के प्रति होनी चाहिए?
(क) नेता के
(ख) अधिकारी के
(ग) ईश्वर के
(घ) देवता के
उत्तर :
(ग) ईश्वर के
7. प्रकाश की आवश्यकता किसलिए है?
(क) निम्न विकास के लिए
(ख) सर्वोच्च विकास के लिए
(ग) अंधेरे को दूर करने के लिए
(घ) बाह्य आडंबर के लिए
उत्तर :
(ख) सर्वोच्च विकास के लिए
व्याख्या-यहाँ ‘प्रकाश’ का तात्पर्य ‘ज्ञान’ है। अर्थात् लेखक ईश्वर से सभी धर्मों के लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार सारा ज्ञान देने की प्रार्थना कर रहा है जिससे उनका सर्वोच्च विकास हो सके।
8. किस का उद्देश्य हिंदू या मुसलमान को अच्छा बनाने में मदद करना है?
(क) भातृ-मंडल का
(ख) मातृ-मंडल का
(ग) पितृ-मंडल का
(घ) समाज का
उत्तर :
(क) भातृ-मंडल का
व्याख्या-भातृ-मंडल का उदेश्य हिन्दू और मुसलमान कों अच्छा बनाने में मदद करना है।
9. ‘सर्वोच्च’ में कौन-सा समास है?
(क) द्विगु समास
(ख) कर्मधारय समास
(ग) तत्पुरुष समास
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) तत्पुरुष समास
10. प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए-
(क) सत्य और धर्म के रूप
(ख) कर्म और धर्म के रूप
(ग) अंहिसा और धर्म के रूप
(घ) सभी
उत्तर :
(क) सत्य और धर्म के रूप
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए-
‘मस्त योगी है कि हम देखकर सबका सुखी हैं,
कुछ अजब मन है कि हम देखकर सबका दुःखी हैं।
तुम हमारी चोटियों की बर्फ़ को यों मत कुरेदो,
दहकता लावा हृदय में है कि हम ज्वालामुखी हैं।
लास्य भी हमने किये हैं और ताण्डव भी किये हैं,
वंश मीरा और शिव के, विष पिया है और जिये हैं।
दूध माँ का या कि चन्दन का कि केसर जो समझ लो,
यह हमारे देश की रज है कि हम इसके लिए हैं।’
1. इस पद्यांश में किस देश के वासियों का वर्णन है?
(क) विदेश के
(ग) जापान के
(ख) भारत के
(घ) इंग्लैंड के
उत्तर :
(ख) भारत के
व्याख्या-इस पद्यांश में भारत देश के वासियों का वर्णन किया गया है।
2. भारतीयों के हृदय में क्या दहकता है?
(क) लावा
(ख) आग
(ग) ज्वाला
(घ) रोशनी
उत्तर :
(क) लावा
3. ताण्डव किस के द्वारा किया नृत्य है?
(क) नर्तकी
(ख) नट
(ग) शिव
(घ) समाज
उत्तर :
(ग) शिव
4. चंदन और केसर की तुलना किससे की है?
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (i): चंदन और केसर की तुलना देश की रज से की है।
कथन (ii): चंदन और केसर की तुलना नमक से की है।
कथन (iii): चंदन और केसर की तुलना आसमान से की है।
कथन (iv): चंदन और केसर की तुलना पानी से की है।
निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कीजिए तथा सही विकल्प चुनकर लिखिए
विकल्प:-
(क) केवल कथन (i) सही है।
(ख) केवल कथन (ii) सही है।
(ग) केवल कथन (iii) सही है।
(घ) केवल कथन (iv) सही है।
उत्तर :
(क) केवल कथन (i) सही है।
व्याख्या-चंदन और केसर की तुलना देश की रज से की गई है।
5. कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. मन है | (i) अजब |
2. मत कुरेदो | (ii) चोंटियों की बर्फ को |
3. दहकता लावा | (iii) हुदय में |
(क) 1 – (i), 2- (iii), 3- (ii)
(ख) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
(ग) 1 – (iii), 2-(ii), 3-(i)
(घ) 1 – (ii), 2-(iii), 3-(i)
उत्तर :
(ख) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
अभिव्यक्ति और माध्यम (अंक 5)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- 5 × 1 = 5
1. बहुत अल्प समय के लिए किसी समाचार संगठन में कार्य करने वाली पत्रकारिता कहलाती है-
(क) पेज थ्री
(ख) पीत पत्रकारिता
(ग) अंशकालिक
(घ) ये सभी
उत्तर :
(ग) अंशकालिक
व्याख्या-अंशकालिक पत्रकारिता में पत्रकार निश्चित मानदेय के आधार पर किसी समाचार संगठन के लिए कार्य करता है, जबकि पीत पत्रकारिता पेज थ्री का ही दूसरा नाम है। इसमें सनसनीखेज अथवा व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप, ब्लैकमेलिंग आदि के विचार से प्रकाशित समाचार होते हैं।
2. लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ किसे कहा जाता है ?
(क) संविधान
(ख) न्यायपालिका
(ग) विधायिका
(घ) प्रेस/मीडिया
उत्तर :
(घ) प्रेस/मीडिया
व्याख्या-प्रेसध्मीडिया द्वारा जनता को निरंतर जागरूक करने और शासन की कमियों को उजागर करने के कारण यह लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाता है।
3. संपादन का सिद्धान्त है-
(क) तथ्यों की शुद्धता
(ख) वस्तुपरकता
(ग) निष्पक्षता
(घ) ये सभी
उत्तर :
(घ) ये सभी
व्याख्या-पत्रकारिता की साख बनाए रखने के लिए तथ्यों की शुद्धता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता, सन्तुलन व स्रोत आदि सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक होता है।
4. जनसंचार के माध्यमों का लोगों पर कैसा प्रभाव पड़ता है?
(क) सकारात्मक
(ख) नकारात्मक
(ग) विकल्प (क) अैर (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ग) विकल्प (क) अैर (ख)
व्याख्या-जनसंचार माध्यमों का लोगों पर सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। इन नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों का सचेत होना ज़रूरी है।
5. जनसंचार के माध्यम से सूचनाओं और विचारों के
(ख) समाज द्वारा किसका एजेंडा तय करते हैं?
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(क) देश
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ग) विकल्प (क) और (ख)
व्याख्या-जनसंचार माध्यम सूचनाओं और विचारों के ज़रिए किसी देश और समाज का एजेंडा तय करते हैं।
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 1
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए-
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई।।
छांड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई ?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोयी
अंसुवन जल सींचिं, प्रेम-बेलि बोयी
अब त बेलि फैल गयी, आणंद-फल होयी
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी
दधि मथि घृत काढ़ लियो, डारि दयी छोयी
भगत देखि राजी हुयी, जगत देखि रोयी
दासि मीरा लाल गिरधर! तारो अब मोही
1. प्रस्तुत पद की कवयित्री कौन हैं?
(क) महादेवी
(ख) मीरा
(ग) सुभद्रा कुमारी
(घ) सविता सिंह
उत्तर :
(ख) मीरा
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए पद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए-
(क) मीरा ने कृष्ण प्रेम में अपने विरहाश्रुओं को सींचा है।
(ख) मीरा ने पिता प्रेम में अपने विरहाश्रुओं को सींचा है।
(ग) मीरा ने माता प्रेम में अपने विरहाश्रुओं को सींचा है।
(घ) मीरा ने भाई प्रेम में अपने विरहाश्रुओं को सींचा है।
उत्तर :
(क) मीरा ने कृष्ण प्रेम में अपने विरहाश्रुओं को सींचा है।
व्याख्या-मीरा ने श्रीकृष्ण के प्रेम में अपने विरहाश्रुओं को सींचा है।
3. किसकी बेली पूरी तरह फैल गई है?
(क) गुलाब
(ख) कमल
(ग) प्रेम
(घ) सभी
उत्तर :
(ग) प्रेम
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): मीरा कृष्ण भक्ति में आस्था रखती है। कारण (R): मीरा भक्ति को सारतत्व मानती है।
(क) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है, कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) सही नहीं है, कारण (R) सही है।
उत्तर :
(क) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
व्याख्या-मीरा कृष्ण भक्ति में आस्था रखती है तथा भक्ति को सारतत्त्व मानती है।
5. मीरा भगवान को क्या मानती है?
(क) मिंत्र
(ख) भाई
(ग) पिता
(घ) पति
उत्तर :
(घ) पति
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- 5 × 1 = 5
साहबों, उस दिन अपने मटियामहल की तरफ़ से गुज़र जाते तो राजनीति, साहित्यिक और कला के हजारों-हजार मसीहों के धूमड़क्के में मानवाईयों के मसीहा मियाँ नसीरुद्दीन को कैसे तो पहचानते और कैसे उठाते लुफ़्त उनके मसीही अंदाज़ का। . हुआ यह कि हम एक दुपहरी जामा मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गढ़ैया मुहल्ले की ओर निकल गये। एक निहायत मामूली अँधेरी-सी दुकान पर पटापट आटे का ढेर सनते देख ठिठके। सोचा सेवईयों की तैयारी होगी, पर पूछने पर मालूम हुआ खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर खड़े हैं। मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।
1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(क) मियाँ नसीरुद्दीन
(ख) विदाई-संभाषण
(ग) गलता लोहा
(घ) नमक का दरोगा
उत्तर :
(क) मियाँ नसीरुद्दीन
2. नानबाई किसे कहते हैं?
(क) रोटी बनाने वाली
(ख) रोटी बेचने वाली
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) विकल्प (क) और (ख)
व्याख्या-रोटी बनाने तथा बेचने बाली को नानबाई कहा जाता है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए गद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए-
(क) नसीरुद्दीन के परिवार में पिता नानबाई थे।
(ख) नसीरुद्दीन के परिवार में दादा नानबाई थे।
(ग) नसीरुद्दीन के परिवार में पिता और दादा नानबाई थे।
(घ) नसीरुद्दीन के परिवार में कोई भी नानबाई न था।
उत्तर :
(ग) नसीरुद्दीन के परिवार में पिता और दादा नानबाई थे।
व्यख्या-नसीरूद्दीन के परिवार में पिता और दादा नानबाई थे, इसीलिए कथन (ग) सही है।
4. कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. खानदानी नानबाई मियाँ | (i) नसीरुद्दीन की दुकान पर खड़े |
2. मियाँ मशहूर हैं | (ii) छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए |
3. मानवाईयों के मसीहा | (iii) मियाँ नसरीरुद्दीन |
(क) 1 – (i), 2 – (iii), 3 – (ii)
(ख) 1 – (ii), 2 – (iii), 3 – (i)
(ग) 1 – (iii), 2 – (ii), 3 – (i)
(घ) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
उत्तर :
(घ) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
5. मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान कहाँ थी?
(क) जामा मस्जिद के पास
(ख) घर के पास
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) जामा मस्जिद के पास
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 1
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए-
1. किसने लता मंगेशकर की उन्नति को चमत्कार की संज्ञा दी है?
(क) अनुपम मिश्र
(ख) कुमार गन्धर्व
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) कुमार गन्धर्व
व्याख्या-कुमार गन्धर्व ने लता मंगेशकर की उन्नति को चमत्कार की संज्ञा इसलिए दी है क्योंकि वे आते ही अपने से पहले के सभी गायकों से बहुत आगे निकल गई।
2. लता मंगेशकर ने किस लय के गाने गाये हैं?
(क) तेज़
(ख) धीमी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) तेज़
व्याख्या-संगीत-दिग्दर्शकों के अनुसार ही लता ने तेज़ लय के गाने गाये हैं।
3. संगीत के क्षेत्र में लता का स्थान किस दर्ज़ का है?
(क) अब्बल
(ख) द्वितीय
(ग) तृतीय
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) अब्बल
व्याख्या-लता के गायन उनके स्वरों की निर्मलता कोमलता आदि के कारण उनका स्थान अव्वल दर्जे का है।
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
कथन (A): आलो आँधारि एक आत्मकथा है।
कारण (R): आलो आँधारि की लेखिका बेबी हालदार हैं।
(क) कथन (A) सही है, कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) सही नहीं है, कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
उत्तर :
(घ) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
कथन (i): लेखिका अपने पति से अलग दो बच्चों के साथ रहती थी।
कथन (ii): लेखिका अपने पति से अलग तीन बच्चों के साथ रहती थी।
कथन (iii): लेखिका अपने पति से अलग चार बच्चों के साथ रहती थी।
कथन (iv): लेखिका अपने पति से अलग पाँच बच्चों के साथ रहती थी।
सही कथन/कथनों वाले विकल्प को चयनित कर लिखिए-
(क) कथन (i) सही है।
(ख) कथन (ii) सही है।
(ग) कथन (iii) सही है।
(घ) कथन (iv) सही है।
उत्तर :
(ख) कथन (ii) सही है।
6. किसने संगीत, नृत्य-अभिनय कलाओं को एक शास्त्रीय कला का स्वरूप दिया ?
(क) प्रकृति
(ख) मनुष्य
(ग) शास्त्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) शास्त्र
व्याख्या-शास्त्र ने ही संगीत, नृत्य-अभिनय कलाओं को एक शास्त्रीय कला का स्वरूप प्रदान किया।
7. चित्रकारी किस काल से हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही है?
(क) वीरगाथा काल
(ख) मध्यकाल
(ग) प्राचीनकाल
(घ) आधुनिक काल
उत्तर :
(ग) प्राचीनकाल
व्याख्या-चित्रकारी प्राचीन काल से हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही है। जब हमारे पास भाषा नहीं थीं तब भी चित्रकारी थी।
8. जब वर्षा होती है, तब पानी की बूँदें कहाँ इकट्ठी होती हैं?
(क) रेत के बाहर
(ख) रेत के अन्दर
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) रेत के अन्दर
9. अमृत जैसा पानी कहाँ जमा होने लगता है?
(क) रेत में
(ख) कुंई में
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) कुंई में
10. रेजा धरातल में किस वर्षा को मापता है?
(क) समाई
(ख) मानूसनी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) समाई
खण्ड ‘ब’:
वर्णनात्मक प्रश्न
सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन –
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए तीन अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- 5 × 1 = 5
(i) परीक्षा शिक्षा का अनिवार्य अंग है लेकिन इसके भय से बचना कठिन है। कल्पना कीजिए कि आपको परीक्षा ने किस प्रकार भयभीत किया ?
उत्तर :
परीक्षा वह शब्द है जिसका ध्यान आते ही अच्छे अच्छों का पसीना छूट जाता है। मेरा हाल भी ऐसा ही है। परीक्षा नज़दीक आने पर मेरे हृदय की धड़कनें तेज होने लगती हैं, भूख गायब हो जाती है और घबराहट बढ़ जाती है। यह लगता है कि सब भूल रहा हूँ, कुछ याद नहीं है। घबराहट में भगवान बार-बार याद आने लगते हैं। मैं परीक्षा की अच्छी तरह तैयारी कर रहा था, जिन प्रश्नों पर आशंका होती दीदी से पूछता, समझता लेकिन इस सबके बावजूद मन से डर न निकलता और आखिर में परीक्षा का दिन आ ही गया। मैं भगवान का नाम ले घर से चला।
परीक्षा भवन में मैं अपने स्थान पर आकर बैठ गया। मन में तरह-तरह की आशंकाएँ आती-जाती रहीं। में आँखें बंद किए प्रश्न-पत्र मिलने का इंतज़ार करने लगा, बीच-बीच में भगवान को याद करता। तभी परीक्षा की घंटी बजी। कक्ष-निरीक्षक ने हमें उत्तर पुस्तिका दी, जिस पर में अपना रोल नम्बर, कक्षा, विषय आदि लिखने लगा। दस मिनट बाद प्रश्न-पत्र मिला। धड़कनें तेज हो गई। मैने प्रश्न-पत्र लिया और पढ़ना शुरू किया। शुरू के पेज के सभी प्रश्न देख मुझे कुछ तसल्ली हुई क्योंकि वे मुझे आते थे। पूरा प्रश्न-पत्र पढ़कर मन शांत हुआ और चेहरे पर मुस्कान आ गई।
सभी प्रश्न मुझे आते थे। मेरी घबराहट अब दूर हो गई और में उत्तर लिखने में व्यस्त हो गया।
(ii) अपने जीवन में घटी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए, जिसे आप कभी नहीं भूल पाए।
उत्तर :
कभी-कभी हमारे जीवन में ऐसी घटना घटित हो जाती हैं जिनसे प्राप्त सबक हमारे जीवन की अमूल्य धरोहर बन जाता है। तीन भाई-बहनों में मैं सबसे छोटा हूँ। हमारे परिवार में अनुशासन का कड़ाई से पालन होता था। तब मैं तीसरी कक्षा में ही था। एक दिन डाइनिंग टेबल पर बैठ समाचार-पत्र देख रहा था। मुझे बच्चों का कोना देखते हुए एक पहेली पसंद आयी। उस पहेली को काटने के लिए मैंने समाचार-पत्र पर ब्लेड चला दिया। जैसे ही मैंने पहेली उठाई, मेज़ पर बिछे सुन्दर व कीमती कपड़े का टुकड़ा भी कटकर मेरे हाथ में आ गया। मैं बहुत डर गया था इसलिए वहाँ से भाग गया। रात में भी मैं डर की बजह से खाने के लिए अंत में पहुँचा। मेजपोश को कटा देखते ही मों ने पूछा कि यह किसकी शरारत है ? बड़े भैया ही सबसे अधिक मेज़ पर कार्य करते थे। अतः सबका शक उन्हीं पर था। तभी दादाजी ने कहा कि सच बोलोगे तो दंड नहीं मिलेगा। सच बोलने वाले को चॉकलेट मिलेगी। यह मेरा वचन है। हम तीनों को चुप देख उन्होंने कहा कि क्या तुममें सच बोलकर अपराध स्वीकार करने की शक्ति नहीं हैं ? मैंने दादाजी के पास जाकर धीरे से सारी बात बताई। इतना सुनते ही पिताजी डाँटने लगे, लेकिन दादाजी ने उन्हें रोका और कहा कि जब क्षमा से सुधार हो सकता है तो दण्ड की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने मुझसे भी यह बात जीवन भर याद रखने को कहा। आज दादाजी तो नहीं हैं लेकिन उनकी सीख याद है। मैं आज अनजाने में हुई भूल को क्षमा कर देने का पक्षपाती हूँ।
(iii) हमारे देश की सुरक्षा पूरी तरह से हमारे सैनिकों पर निर्भर है। वे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हैं। ऐसी ही किसी घटना के बारे में लिखिए।
उत्तर :
सेना या फ़ौज किसी राष्ट्र से संबंधित लोगों के हितों की रक्षा करने वाला सशस्त्र संगठन होता है। अलग-अलग व्यवस्थाओं में सेना की ज़िम्मेदारियाँ भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। हमारे देश की भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की गाथाएँ इसकी अदम्य साहस का परिचायक हैं। उसने जहाँ एक ओर पूरे विश्व में अपनी शक्ति और साहस का लोहा मनवाया है, वहीं दूसरी ओर संकट में फँसे लोगों को अपनी जान की बाज़ी लगाकर बचाया भी है। इस प्रकार उसने अपनी विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाह बखूबी किया है। भारतीय सेना पर देश के प्रत्येक नागरिक को गर्व है। भारतीय सेना के नौजवानों के शौर्य एवं पराक्रम के साथ ही संवेदनशीलता और मानवीयता भी अतुलनीय है।.
एक बार सेना को एक रिहायशी इलाके में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली। तुरंत कार्यवाही करते हुए सेना के जवानों ने उस इलाके को चारों ओर से घेर लिया और आम नागरिकों को घरों से बाहर न निकलने की उद्घोषणा की। जवानों के द्वारा आतंकवादियों से आत्म-समर्पण की अपील की गई लेकिन आतंकवादियों द्वारा गोलियाँ चलाए जाने पर सेना को भी जवाबी फायरिंग करनी पड़ी। यह मुठभेड़ तीन घंटे तक चली जिसमें चार आतंकवादी मारे गए, साथ ही सेना के दो जवान भी घायल हो गए। इसी मुठभेड़ के समय एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा प्रारम्भ हो गई, लेकिन गोलीबारी के बीच उसे अस्पताल ले जाना संभव नहीं था। ऐसे कठिन समय में भी सेना ने मानवता का परिचय देते हुए पड़ोस की एक बुजुर्ग व अनुभवी महिला की मदद से उस गर्भवती स्त्री का प्रसव कराया। उस स्त्री ने एक बालिका को जन्म दिया। तब तक मुठभेड़ भी द्वारा हो चुकी थी। बच्ची के जन्म की सूचना पाकर कुछ जवान वहाँ पहुँचे। उस नन्हीं बच्ची को गोद में लेकर वे अभिभूत हो गए। ऐसी विषम परिस्थिति में जन्मी बालिका का नाम उन्होंने वीरा रखा और उसके सुखद भविष्य की कामना की। इसके बाद बच्ची को उसकी माँ को सौंपकर वे वापस अपने शिविर में लौट गए।
प्रश्न 8.
सड़क पर गति-अवरोधकों (स्पीड ब्रेकर) के न होने के कारण आए दिन कोई-न-कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता है। इस समस्या के समाधान हेतु किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
अथवा
विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु केन्द्रीय शिक्षामंत्री, भारत सरकार को प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
बहादुरशाह जफ़र मार्ग, नई दिल्ली
28 अप्रैल 20XX
विषय – सड़क पर गति-अवरोधकों के न होने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के समाधान हेतु।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मैं, सड़क पर गति-अवरोधकों के न होने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की तरफ़ जनसाधारण का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ और सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा समस्या के समाधान की अपेक्षा करता हूँ। सड़क पर गति-अवरोधक न होने के कारण तेज़ गति में दौड़ते वाहनों से कई बार दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। स्कूलों के आस-पास ऐसी दुर्घटनाओं का भय अधिक रहता है। लापरवाह वाहन-चालक अपने वाहनों की गति कम नहीं करते, जिससे दुर्घटना होना आम बात हों गई है और अकस्मात ही कोई भी काल का ग्रास बन जाता है। इसी कारण लोगों में प्रशासन के प्रति रोष भी दिखाई देता है, लेकिन ऐसा लगता है कि संबंधित विभाग इस ओर से आँखें मूंदे हुए है। जब तक गति-अवरोधक नहीं बनेंगे तब तक गाड़ियों की गति (स्पीड) पर भी रोक नहीं लग सकती और इसीलिए स्कूली बच्चे व अन्य लोग सड़क पर पैदल चलने में असुरक्षित महसूस करते हैं।
महोदय, आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से मैं संबंधित विभाग से इस दिशा में शीघ्रातिशीघ्र कदम उठाने का निवेदन करना चाहता हैं, ताकि जल्दी से जल्दी सड़क पर गति-अवरोधकों का निर्माण हो सके। लोग सड़क पर स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।
आशा करता हूँ कि आप इस पत्र को प्रकाशित कर मुझे अनुगृहीत करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
प्रभात कुमार
WZ-183, पालम गाँव,
पालम, नई दिल्ली।
अथवा
सेवा में,
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री,
भारत सरकार।
विषय – विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु।
महोदय,
किसी भी प्रकार के विकास एवं उन्नति के लिए शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण साधन है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय जाना आवश्यक होता है। आजकल विद्यालयों में केवल ‘किताबी शिक्षा’ पर बल दिया जाता है जो केवल नौकरी दिलवाने तक ही सीमित रहती है। विद्यालयी शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए विद्यालय को एक (सामाजिक शिक्षण केन्द्र) के रूप में प्रस्तुत करना होगा, जिससे बच्चे का सवांगीण विकास संभव हो सके। शिक्षा में सुधार शिक्षकों की योग्यता, सक्रियता और पढ़ाने के कौशल पर भी निर्भर है। इस ओर विचार करने की महती आवश्यकता है। एक कक्षा में 20 से ज़्यादा बच्चे न हों तो शिक्षक उन्हें भली-भांति पढ़ा सकता है। इसके अलावा शिक्षण विधियों, प्रशिक्षण और परीक्षण की विधियों में सुधार किया जाना चाहिए, जिससे शिक्षा में गुणात्मक विकास संभव हो सके। कई बार पाठ्यपुस्तकें और पाठ्यक्रम बदले गए, लेकिन अनुकूल परिणाम प्राप्त नहीं हो सका। यथार्थ में पाठप्पुस्तकें पढ़ाई का एक तुच्छ साधन मात्र होती हैं, साध्य नहीं।
मान्यवर, हमें वर्तमान शैक्षिक उद्देश्यों को भी पुनरीक्षित करना चाहिए। शिक्षा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास करने और स्वस्थ जीवन निर्माण के लिए होनी चाहिए अतः पाठ्यक्रम लचीला और गतिविधि पर आधारित हो, साथ ही वह बच्चों की ग्रहण क्षमता के अनुरूप होना चाहिए। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप व आपका मंत्रिमंडल मेरे द्वारा सुझाए गए सुझावों पर अवश्य विचार करेंगे तथा इस दिशा में मनन कर शीघ्रातिशीघ्र ठोस कदम उठाएँगे।
धन्यवाद
भवदीय
डाँ. रितु शर्मा
प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए- 2 × 2 = 4
(i) “अंग्रेज़ी में बोलने में आपकी झिझक” पर अपनी डायरी में 40 शब्दों में एक प्रविष्टि लिखें और आप अपने अंग्रेज़ी बोलने के कौशल में सुधार करें।
उत्तर :
मंगलवार
मार्च 07, 20 गग
10.00 अपराह्
प्रिय डायरी,
एक व्यक्ति को उसकी कम्पनी से जाना जाता है कि उसके किस तरह के दोस्त हैं और वह उनके सामने कैसे प्रतिक्रिया करता है? मैं भाग्यशाली समझता हूँ कि दोस्तों का एक अच्छा सर्कल होना ही पर्याप्त है। वे बहुत ही मददगार और अच्छे स्वभाव के लोग हैं, लेकिन उन्हें देखकर कभी-कभी मुझे बहुत शर्मिन्दगी महसूस होती है, क्योंकि उन सभी का अंग्रेज़ी बोलने पर अच्छा अधिकार है जबकि मेरे पास वैसा नहीं है। दसअसल मेरी स्कूली शिक्षा एक तेलुगु माध्यम स्कूल से हुई। इसलिए मैं उनके सामने अंग्रेज़ी में बात करने से हिचकिचाता हूँ। मेरी हार्दिक इच्छा है कि में अंग्रेज़ी बोलने के कौशल में सुधार करूँ। अब मैं इस झिझक को समाप्त करके आगे बढ़ना चाहता हूँ जिसमें कि मैं उसमें धाराप्रवाह बोल सकूँ। अंग्रेज़ी बोलने के कौशल को सीखने में दक्षता बढ़ाने के लिए किसी भी भाषा का प्रयोग बनाए रखना चाहिए। किसी भी कौशल को सुधारने और बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि नियमित अभ्यास करना चाहिए।
भाषा हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे दोस्तों, परिवार और अन्य लोगों के साथ निरन्तर उसका प्रयोग किया जाये। नियमित और निरन्तर अथवा अभ्यास से भाषा सुलभ और धाराप्रवाह हो जाती है। प्रिय डायरी, मैं तुमसे प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं बहुत जल्दी अपने अंग्रेजी बोलने के कौशल में सुधार करूँगा।
शुभ रात्रि, डायरी
XYZ
(ii) नाटक और फ़िल्म की पटकथा में क्या अन्तर होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नाटक और फ़िल्म की पटकथा में कुछ मूलभूत अन्तर होते हैं। ये अन्तर निम्नलिखित हैं-
- नाटक के दृश्य बहुत लम्बे-लम्बे होते हजबकि फ़िल्म के दृश्य छोटे-छोटे होते हैं।
- नाटक में घटनास्थल प्रायः सीमित होता हैं जबकि फ़िल्म में इसकी कोई सीमा नहीं होती।
- नाटक एक सजीव कला माध्यम है, जिसमें अभिनेता अपने ही जैसे जीवन्त दर्शकों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं जबकि सिनेमा में यह पूर्व रेकॉर्डिड छवियाँ एवं दृश्य होते हैं।
- नाटक में कार्य-व्यापार, दृश्यों की संरचना और चरित्रों की संख्या सीमित रखनी होती है, जबकि सिनेमा में ऐसा कोई बन्धन नहीं होता।
- नाटक की कथा का विकास एक-रेखीय होता है, जो एक ही दिशा में आगे बढ़ता है, जबकि सिनेमा में कथा का विकास कई प्रकार से होता है।
(iii) डायरी किसे कहते हैं?
उत्तर :
डायरी एक ऐसी नोटबुक होती है, जिसके पृष्ठों पर वर्ष के तीन सौं पैंसठ दिनों की तिथियाँ क्रम से लिखी होती हैं। प्रत्येक तिथि के बाद पृष्ठ को खाली छोड़ दिया जाता है। डायरी को दैनिकी, दैनन्दिनी भी कहते हैं। डायरी विभिन्न आकारों में मिलती हैं। इनमें टेबल डायरी, पुस्तकाकार डायरी, पॉकेट डायरी प्रमुख हैं। नये वर्ष आगमन के साथ ही विभिन्न आकार-प्रकार की डायरियाँ बाज़ार में मिलने लगती हैं।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 1 = 3
(i) उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त क्यों आवश्यक होता है ?
उत्तर :
उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त की अहम भूमिका होती है। इसके माध्यम से उम्मीदवारों की गुणवत्ता का मूल्यांकन स्वतः किया जा सकता है। व्यक्ति के संक्षिप्त और स्पष्ट मूल्यांकन का सर्वश्रेष्ठ आधार स्ववृत्त को माना गया है। स्ववृत्त एक प्रकार सें उम्मीदवारों का दूत या प्रतिनिधि होता है। उम्मीदवार का स्ववृत्त किसी भी नियोक्ता कों अपनी ओर अकर्षित करने में सफल यी हो जाता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष के बारे में किसी विशेष उद्देश्य को ध्यान में रखकर सूचनाओं को सकलित किया जाता है।
(ii) कल्पना कीजिए कि आपने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना अध्ययन पूरा कर लिया है और किसी प्रसिद्ध अखबार में पत्रकार पद के लिए आवेदन भेजना है। इसके लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
सम्पादक,
अमर उजाला,
हरिद्धार।
विषय – “पत्रकार पद के लिए आवेदन हेतु”
महोदय,
आज दिनाङ्क 10 जुलाई, 20xx को समाचार पत्र अमर उजाला में प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि आपके कार्यालय को पत्रकार की आवश्यकता है। मैं इस पद के लिए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा स्ववृत्त इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न है। इसका अवलोकन करने पर आप मुझे इस पद के लिए उचित उम्मी. दवार समझेंगे। में आपके विज्ञापन में वर्णित सभी योग्यताओं को पूरा करता हूँ। मेरा संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित प्रकार से है-
नाम-शेखर
पिता का नाम-चेतराम
जन्मतिथि-9/10/1996
वर्तमान पता -40 , विकास नगर, हरिद्वार
स्थायी पता – 40 , विकास नगर, हरिद्वार
दूरभाष – 0642-5451
चलध्वनि – 94788954XX
शैक्षणिक योग्यताएँ-
इस योग्यता के साथ-साथ मैं कई वर्षो से स्वतन्त्र लेखन से भी जुड़ा हुआ हूँ। मुझे पत्रकारिता में बेहद रुचि है। में आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ, यदि आपने मुझे कार्य करने का अवसर प्रदान किया तो मैं अपना कार्य पूरी निष्ठा से करूँगा।
कृपया उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मेरे आवेदन-पत्र पर सकारात्मक विचार करते हुए मुझे प्रंकार पद पर नियुक्त कर अनुग्रहीत करें।
धन्यवाद
भवदीय
(हस्ताक्षर)
शेखर
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 एवं वितान भाग-1
प्रश्न 11.
काव्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 2 = 6
(i) किन कारणों से मीरा कभी प्रसन्न होती है तो कभी रोने लगती है ?
उत्तर :
मीरा श्री कृष्ण को बार-बार याद करती हैं। उनको बार-बार याद करना मीरा को आनंदित कर देता है। वह उनकी भक्ति में प्रसन्न हो उठती हैं। मीरा यह समझ गई थी कि कृष्ण-भक्ति अर्थात् ईश्वर भक्ति से ही जीवन सफ़ल हो सकता है। संसार के लोगों को बाह्य आडंबरों में, मोह-माया अथवा विभिन्न कर्मकांडों में लिप्त देखकर मीरा सोचती हैं कि लोग अपने बहुमूल्य जीवन को, संसार की विघय-वासनाओं में फँसकर, व्यर्थ ही गैवा देते हैं। ये लोग यह नहीं समझते कि संसार की सभी भौतिक सुख-सुविधाएँ व्यर्थ हैं। हर वस्तु क्षणिक और नश्वर है। मीरा जानती है कि ईश्वर भक्ति ही शाश्वत व सच है। इसलिए मीरा ऐसे लोगों को देखकर दु:खी होती है व रोती है। इस सारहीन जीवन-शैली को देखकर मीरा सोचती है कि लोग इस दुर्लभ मानव जीवन को ईश्वर भक्ति में क्यों नहीं लगाते।
(ii) त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चम्पा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ नामक कविता का सार लिखिए।
उत्तर :
त्रिलोचन द्वारा रचित ‘ चम्पा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ कविता लोक-भावना से जुड़ी हुई है। सुन्दर नामक ग्वाले की लड़की चंपा ठेठ अनपढ़ है। पशु चराती है। उसे काले अक्षरों में छिपे स्वरों पर आश्चर्य होता है। वह लेखक के साथ शरारत करते हुए कभी उसकी कलम चुरा लेती है, कभी कागज़ गायब कर देती है। वह लेखक को दिन भर कागज़ गोदते रहने पर शिकायत भी करती है। लेखक उसे समझाता है कि वह भी पढ़ना-लिखना सीख ले। गाँधी बाबा भी यही चाहते हैं परन्तु चंपा पढ़ने-लिखने से मना करती है। लेखक उसे समझाता है कि जब उसकी शादी होजाएगी और उसका बालम कलकत्ता चला जाएगा तब उसे पत्र कैसे लिखेगी ? इस पर चंपा कहती है-आग लगे कलकत्ता को; वह तो अपने बालम को कलकत्ता नहीं जाने देगी। उसे अपने पास ही रखेगी।
(iii) पाश द्वारा रचित ‘सबसे खतरनाक’ नामक कविता का सार लिखिए।
उत्तर :
‘सबसे खतरनाक’ कविता प्रगतिवादी चेतना से युक्त कविता है। कवि पाठकों को अन्याय के विरुद्ध डटकर खड़े होने की प्रेरणा देना चाहता है। कविता का सार इस प्रकार है-
मेहनत का लुट जाना, पुलिस की मार सहना या लोभ का शिकार होना इतना खतरनाक नहीं होता। सहमी-सी चुप्पी में सिमटे रहना, कपट के शोर में दब जाना, संघर्ष के लिए कसमसा कर रह जाना भी इतना बुरा नहीं है जितना कि मुर्दा होकर शान्त जीवन जीना; सब कुछ सहन कर जाना; रोजमर्रा के जीवन में खो जाना; हमारे सपने का मर जाना; प्रगति के साथ कदम न मिला पाना सबसे खतरनाक होता है। जो आँख जड़ होती है, जिसमें प्यार को महसूस करने की ताक़त नहीं है। वह खतरनाक होती है। वह चाँद खतरनाक होता है जो हत्याकाण्ड के बाद भी कचोटता नहीं है। वह गीत खतरनाक होता है जो हमेशा करुण रस के भाव व्यक्त करके सहमे हुए लोगों को और डराता है। वह रात खतरनाक होती है जो ज़िन्दा आत्माओं पर उल्लू और गीदड़ की तरह चिपकी रहती है। वह दिशा खतरनाक होती है जो आत्मा के सूरज को खिलाने की बज़ाय मुर्दा धूप के टुकड़े को ही अपना लेती है। आशय यह है कि मुर्दा संस्कारों को ढोने की बजाय आत्मा की पुकार का रास्ता चुनना श्रेष्ठ है।
प्रश्न 12.
काव्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- 2 × 2 = 4
(i) समाज में मौगुद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
उत्तर :
समाज में मौज़ूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए लोगों में नैतिक मूल्यों का विकास करना होगा। अनैतिक कार्य करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों व उन्हें संरक्षण देने वाली पुलिस के विरुद्ध कठेर कानून बनाने होंगे। अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए लोगों में साहस पैदा करना होगा व न्याय व्यवस्था के प्रति आस्था जगानी होगी। लोगों की सोच में नवीनता लानी होगी। लोगों में संवेदना जाग्रत करनी होगी और अपने अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक करना होगा।
(ii) ‘साये में धूप’ गज़ल के कवि किस बदलाव के पक्ष में हैं?
उत्तर :
‘साये में धूप’ गज़ल में कवि शोषित लोगों के मन में क्रान्ति की ज्वाला सुलगाना चाहता है। कवि का पक्का विश्वास है कि उसे अधिकारों के लिए, सच्ची स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करना होगा इसीलिए वह इस व्यवस्था के बदलाव के पक्ष में है।
(iii) ‘चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ कविता पूर्वी प्रदेशों की किस पीड़ा को अभिव्यक्ति देती है ?
उत्तर :
त्रिलोचन द्वारा रचित कविता चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ में पूर्वी प्रदेशों (बिहार, बंगाल, पूर्बी उत्तर प्रदेश) की स्त्रियों की इस पीड़ा की अभिव्यक्ति की गई है कि वे अशिक्षित हैं तथा विवाह के उपरान्त उन्हें पति वियोग झेलना पड़ता है क्योंकि पति रोज़गार के लिए कलकत्ता जैसे महानगरों में चले जाते हैं और वे पीड़ा को झेलने को विवश होती हैं। न तो उन्हें पति का संग-साथ मिल पाता है और न उनकी कमाई से वे कोई सुख-सुविधा ही प्राप्त कर पाती हैं इसीलिए चंपा कहती है कि ‘कलकत्ते पर बजर गिरे’ अर्थात् ऐसा कलकत्ता जो स्त्रियों को पति से वियुक्त कर देता है, नष्ट हो जाए।
प्रश्न 13.
गद्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 2 = 6
(i) किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
उत्तर :
पहले दृश्य में ‘ भूलो’ द्वारा भात खाते हुए शूट करना था लेकिन रात होने के और पैसों के अभाव के कारण इस दृश्य की शूटिंग उस समय पूर्ण नर्ती हो सकी। छह महीने बाद जब लेखक के पास पैसे इकट्ठे हुए तब तक ‘भूलो’ कुत्ते की मृत्यु हो चुकी थी। बाद में ‘भूलो’ जैसा दूसरा कुत्ता लाया गया और शूटिंग पूरी की। यह दृश्य इतने स्वाभाविक थे कि फ़िल्म देखते समय दर्शक उसे पहचान नहीं सके।
(ii) पाठ के आधार पर मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन पुश्तैनी नानबाई है। अपने काम या पेशे के प्रति गहरी निष्ठा और गर्व का अहसास उनके व्यक्तित्व का सबसे उभरा हुआ सबल पक्ष है। अपने बुजुगों-बालिद और दादा साहिब के लिए उनके मन में असीम श्रद्धा है। पेशे को वे कोरे पैसे का धंधा नहीं समझते, काम करने से आता है। श्रम और अभ्यास उनके हुनर का और जीवन का मूल मंत्र है। वे छप्पन किस्म की रोटी बनाने के लिए मशहूर हैं। अपने पुराने ज़माने की यार्दे उन्हें व्याकुल कर देती हैं। नए ज़माने में खाने-पकाने की कद्र नहीं है-यही उनकी बढ़ी उम्र का सबसे बड़ा दर्द है।
(iii) ‘नमक का दरोगा’ कहानी के नायक की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
वंशीधर ‘नमक का दारोगा’ कहानी का मुख्य नायक है। उसके चरित्र की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नगलिखित हैं-
(1) कर्त्तव्यनिष्ठ-वंशीधर कर्त्तव्यनिष्ठ दरोगा है। देर रात तक वह अपनी ड्यूटी के लिए चौकन्ना रहता है। वह मौके पर जाकर भी अपने कर्त्तव्य को अच्छी तरह समझता है।
(2) लोभ से रहित-वंशीधर में नाम का भी लोभ नहीं है जबकि पैसा बड़े-बड़ों को डिगा देता है। अलोपीदान की रिश्वत को वह ठुकरा देता है।
(3) कठोर एवं दृढ़ चरित्र-वंशीधर कठोर स्वभाव का दृढ़ चरित्र अफ़सर है। वह अपनी बात मनवाने के लिए पूरे रौब-दाव से काम लेता है। उसके मन में अपराधी के प्रति जरा भी दया भाव नहीं है।
प्रश्न 14.
गद्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- 2 × 2 = 4
(i) यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं ? अगर हाँ, तो क्यों ? और नहीं, तो क्यों ?
उत्तर :
यदि मैं माली की जगह होता तो सरकारी फैसले का इंतज़ार किए बिना आस-पास के लोगों को एकत्र कर उस दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने का पूरा प्रयास करता। यद्यपि हमें वृक्षों की रक्षा करनी चाहिए लेकिन मानव-जीवन सर्वोपरि है। अतः मानवता की खातिर मैं उस व्यक्ति की तुरन्त सहायता करता।
(ii) भारत के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी ?
उत्तर :
नेहरू जी कहा करते थे कि-भारत की नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत, सारी धरती और इस पर रहने वाले करोड़ों लोग-सब भारत माता के अंग हैं। इन सबके योग का नाम ही है ‘ भारत माता’।
(iii) जब किसी का बच्चा कमज़ोर होता है, तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि टीचर लूट रहा है तो उस टीचर से न लें ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ। यह कोई मजबूरी तो है नहीं-प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क लिखिए।
उत्तर :
प्रसंग- कहानी की नायिका-रजनी जबरदस्ती ट्यूशन पढ़ाने की समस्या को लेकर पहले स्कूल के हैडमास्टर के पास जाती है। वे इसे अध्यापकों और बच्चों के बीच की समस्या कहकर टाल जाते हैं। फिर वह शिक्षा निदेशक से मिलने जाती है। शिक्षा निदेशक रजनी को यही तर्क देते हैं कि ट्यूशन में कोई मजबूरी तो है नहीं। यदि बच्चे को लगता है कि कोई अध्यापक उसे लूट रहा है तो वह किसी और अध्यापक के पास चला जाए।
टिप्पणी – शिक्षा निदेशक का यह संवाद बिल्कुल लचर और गलत है। उसे ज़बरदस्ती ट्यूशन पढ़ाने में कोई गंभीरता नहीं नज़र आती है। वह समस्या की गहराई में गए बिना ही बात कह देता है। ऐसा लगता है कि वह समस्या को समझने की बजाए बला टालने में रुचि लेता है।
प्रश्न 15.
वितान के पाठों पर आधारित निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 1 = 3
(i) रेजाणीपानी क्या है तथा रेजा शब्द का उपयोग किसलिए किया जाता है?
उत्तर :
पालरपानी और पातालीपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है, रेजाणीपानी। धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में न मिल पाया पानी रेजाणी है। वर्षा की मात्रा नापने में भी इंच या सेंटीमीटर नहीं बल्कि रेजा शब्द का उपयोग होता है और रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को नापता है। मरुभूमि में पानी इतना गिरे कि पाँच अंगुल भीतर समा जाए तो उस दिन की वर्षा को पाँच अंगुल रेजो कहेंगे। रेजाणीपानी खड़िया पट्टी के कारण पातालीपानी से अलग बना रहता है। ऐसी पट्टी के अभाव में रेजाणीपानी धीरे-धीरे नीचे जाकर पातालीपानी में मिलकर अपना विशिष्ट रूप खो देता है। यदि किसी जगह भूजल, पातालीपानी खारा है तो रेजाणीपानी भी उसमें मिलकर खारा हो जाता है।
(ii) कलाओं की अपनी भाषा कैसे होती है ?
उत्तर :
कलाओं की अपनी भाषा होती है जैसे-हम अपने आस-पास के परिवेश, प्रकृति या भावों और विचारों को भाषा मे व्यक्त करते हैं। वैसे ही चित्रकारी, संगीत या नृत्य के माध्यम से भी हम अपने आस-पास और प्रकृति को अभिव्यक्त करते हैं। हम जो कुछ देखते-सुनते हैं उसे किसी-न-किसी रूप में और नए-नए तरीके से कहना या अभिव्यक्त करना चाहते हैं। समुद्र में उठती गिरती लहरों को देखकर चित्रकार उसे रंगों से सजाता है। चिड़ियों की चहचाहट को गायक स्वरों में सजाता है तो नर्तक मन के भावों को विभिन्न मुद्राओं में सजाता है। कभी चित्रों में, तो कभी गीतों में, कभी नृत्य में, तो कभी संगीत में यह कहने-सुनने की परंपरा सदियों से चल रही है और आज भी नए-नए तरीकों में लगातार ज़ारी है।