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Dc मोटर क्या है ? भाग | पूरी वर्किंग | उपयोग

आज के इस Topic में हम DC मोटर के बारे में समझेंगे जिसमे हम सबसे पहले तो यही समझेंगे की DC मोटर क्या होती है और इसके बाद हम यह समझेंगे की इसके भाग कौन – कौनसे होते है और इसके कितने प्रकार होते है तथा इसके बाद हम इसकी वर्किंग को समझेंगे की इसकी वर्किंग किस प्रकार होती है और वर्किंग Principle क्या होता है तथा फिर हम इसके उपयोग को समझेंगे तो चलिए समझना Start करते है की DC मोटर क्या होती है –

विद्युत DC Motor कैसे Work करती है ?

Dc motor एक ऐसी machine है जो Electrical energy को Mechanical energy में convert करती है .Dc motor fleming के Left hand’s rule पर work करती है

और इसके लिए जो इनपुट करंट या जो Operating करंट होती है वह DC ( Direct Current ) होती है और इसीलिए इसका Starting Torque बहुत ही High होता है | जब इसे DC इनपुट करंट से Operate किया जाता है तो यह इनपुट इलेक्ट्रिकल एनर्जी ट्रान्सफर हो जाती है आउटपुट मैकेनिकल एनर्जी में जो की रोटेशन की फॉर्म में होती है |

DC मोटर के भाग

अगर हम इसके विभिन्न भागों को समझे तो हम देखते है की इसके जो अलग –अलग भाग होते है वो इस प्रकार होते है –

DC मोटर के भाग

Stator

यह एक Stationary पार्ट होता है जो की किसी भी प्रकार की कोई Motion नहीं करता है और इसी Part में ही मोटर की Field Winding को सेट किया जाता है जिससे की इसके अन्दर मैग्नेटिक फील्ड Produce होता है और फिर यही वह Part होता है जो की पॉवर सप्लाई को Receive करता है |

Rotor

यह  मोटर का रोटेशन करने वाला Part होता है जो की मैकेनिकल रोटेशन करता है जिससे की मोटर के अन्दर इसकी एक्सिस में रोटेट करता है यह एक प्रकार का Cylinder होता है मैग्नेटिक Lamination का होता है और इसी के अन्दर इंसुलेशन का Use किया जाता है |

Commutator

यह भी DC मोटर का ही पार्ट होता है और यह कॉपर Segment का बना होता है और यह Split Ring की Form में होता है इसका मुख्य काम यह होता है की Armature पर जो Torque काम कर रहा है वह Same Direction में है क्योंकि जो भी वोल्टेज आर्मेचर पर Generate होता है वो Alternating टाइप का होता है और यह  Commutator इसको डायरेक्ट करंट में बदलता है इसके लिए यह Coil को Turn On एवं Off करता है |

Poles

इसके अन्दर मैग्नेटिक Poles होते है जो की इसकी Wall के अन्दर ही Fit रहते है इसके दो Part होते है Pole Core एवं Pole Shoe और दोनों ही Parts का अलग –अलग काम होता है जो Pole Core रहता है इसका काम Pole Shoe को Hold करना होता है और Pole Shoe का काम Field वाइंडिंग के लिए Slots को Carry करना तथा इस Field वाइंडिंग के द्वारा उत्पन्न फ्लक्स को Air Gap में फेलाना होता है जो की Rotor एवं Stator के बीच होती है |

Yoke

यह एक प्रकार के मैग्नेटिक Frame होता है जो की Cast Iron या फिर Steel का बना होता है और यह एक प्रकार के Protector के रूप में वर्क करता है यह मोटर के अन्दर वाले सभी Parts को Protect करता है |

Brushes

ये Carbon या फिर Graphite के बने होते है ये इलेक्ट्रिकल सर्किट और रोटर के बीच Bridge का काम करते है ये Commutator से कनेक्ट रहते है |

DC मोटर के प्रकार

अगर हम इसके प्रकार की बात करें तो ये DC मोटर कई प्रकार के होते है जैसे की –

परमानेंट मैगनेट मोटर

ये ऐसे मोटर होते है जो Field Flux को बनाने के लिए परमानेंट मैगनेट का उपयोग करते है और इस प्रकार इनका जो Starting Torque होता है वो बहुत ही High होता है जिसके कारण इनका जो Speed रेगुलेशन होता है वो भी बहुत अच्छा होता है | और इनका ज्यादातर उपयोग वहां किया जाता है जहाँ Low Horsepower की जरुरत होती है |

शंट मोटर

यह ऐसे मोटर होते है जिनकी Field वाइंडिंग को Armature वाइंडिंग के Parallel में Connect किया जाता है और इनका स्पीड रेगुलेशन अच्छा होता है |

Series मोटर

यह ऐसे मोटर होते है जिनकी Field वाइंडिंग को Armature वाइंडिंग के Series में Connect किया जाता है और इसी कारण इसका जो Starting Torque होता है वो बहुत ही High होता है और अगर इनको No Load की कंडीशन में Run किया जाए तो ये Damage भी हो सकती है |

Compound मोटर

यह एक ऐसा मोटर होता है जिसकी शंट फील्ड वाइंडिंग को Separately Excited किया जाता है इनका भी Starting Torque बहुत ही High होता है पर इनकी स्पीड रेगुलेशन में प्रॉब्लम होती है जब इनको किसी Variable Speed Drive में Use किया जाता है |

Brushless मोटर

इनको Synchronous मोटर या फिर Electronically Commutated मोटर भी कहा जाता है इनके अंदर जो Torque Generate होता है वो रोटर और स्टेटर के बीच रोटेटिंग मैगनेट होता है उसकी Alternating Polarity के कारण होता है जो की स्टेटर के द्वारा प्रोटेक्ट की जाती है |

आदि प्रकार के DC मोटर होते है | अब हम इसकी वर्किंग को समझते है |

DC मोटर की वर्किंग

DC मोटर की वर्किंग

अगर हम इसकी वर्किंग को समझे तो हम देखते है की इसके जो Parts होते है वो सभी इसकी वर्किंग में भाग लेते है और जो North Pole के कंडक्टर होते है उनकी करंट की डायरेक्शन South Pole के कंडक्टर की करंट की डायरेक्शन से अलग एवं विपरीत दिशा में होती है और इस प्रकार जब इसकी फील्ड वाइंडिंग में मैग्नेटिक फील्ड Generate होता है तो इसकी जो फील्ड Coil होती है वो Energised हो जाती है |

अब यह मैग्नेटिक फील्ड एक साइड से इंटर करता है तथा दूसरे साइड से Exit करता है इसका मतलब है की जब यह इसके North Pole से Enter करता है तो इसके South Pole से Exit करता है और जो इसके अन्दर कंडक्टर रहते है जब इनको सप्लाई दी जाती है तो ये करंट को Carry करते है और इस प्रकार जब करंट Carrying कंडक्टर को Variable मैग्नेटिक फील्ड में रखा जाता है तो फ्लेमिंग के Left-Hand नियम के हिसाब से इस पर एक मैग्नेटिक Force लगने लगता है  |

और जब ये  मैग्नेटिक Force लगता है तो ये एक Torque Produce करता है और यही Torque DC मोटर को रोटेट करता है और इस प्रकार जब कंडक्टर Brush के एक साइड से दूसरी साइड Move करते है तो इस कंडक्टर में करंट की Direction बदल जाती है लेकिन जो Force की डायरेक्शन होती है वह Same ही रहती है इस प्रकार फिर कंडक्टर Move करता है और यह Process बार – बार होती है जिससे इसकी Speed बड जाती है इस प्रकार इसकी वर्किंग होती है |

Fleming’s left hand rule से Dc Motor कैसे – डिटेल

यदि हम अपने left hand की first finger और second finger तथा thumb या अंघूठे को इस प्रकार सीधा करें की तीनो एक दुसरे के perpendicular हो Image में देखें-  

fleming’s left hand rule

दूसरी image भ देख सकते है जिसमे तीनो F=force और B=magnetic field यानि की चुम्बकीय फील्ड और I=current या धारा की दिशा बता रही है  

जिसमे thumb force की direction या force की दिशा बता रहा और first finger magnetic field की direction बता रहा है और second finger current या धारा की direction बताती है

Fleming Left Hand Rule से यदि इन तीनों को में से किन्ही भी दो को एक दुसरे के perpendicular रखा जाये तो third अपने आप पैदा हो जायेगा यानि कि Fleming Left Hand Rule से force की direction इन दोनों से perpendicular होगी              इसी प्रकार Dc motor work करती है इसमें currentऔर magnetic field को एक दुसरे के perpendicullar रखा जाता है तो Force पैदा होता है और force की दिशा flemming के left hand से ही होती है dc motor के armeture में winding इस प्रकार करते है की जब उसमे current flow हो तब वो magnetic field के perpendiculler हो  जैसे की नीचे की image में इस armature में जो coper wire है उसका ज्यादा हिस्सा उस तरफ है जो की magnetic field के perpendicular होगा नीचे N और S की magnetic field देखें

 

magnet N और S का आकार इस तरह है की magnatic field की रेखाएं एक दूसरे के समान्तर होंगी image में skyblue से magnetic field है

Magnetic field-

इन magnets के बीच में armature रखा जाये तब coper wire और coper wire में flow होने वाला current ‘I’ magnetic field के perpendicular होगा नीचे image देखें जिसमे current  या electric field ,orange color से दिखाया है और magnetic field ,sky blue से जो की एक दुसरे के perpendicular है ऐसी स्थति में force

Magnetic Field+electricfield

आप नीचे देख सकते है ये मिनी dc motor का Armature है इसको यदि N और S दो magnet है उनके बीच रखा जाये और current flow किया जाये तब  जिनका magnetic effect और Armature में flow current perpendicular होंगे तब force की direction इस animation में green color की arrow से होगी

Fleming Left Hand Rule&DC Motor के लिए  Animation

फिर क्या Dc motor चलने लगेगी

  • यदि N-S magnets को curve type नहीं बनाये तो magnetic field ऐसी होगी
  • यदि dc motor को घुमाया जाये तो dc current पैदा होगा ऐसा इसलिए होता है की  Fleming Left Hand Rule से Force और magnetic field को perpendicular रखा जाए current पैदा होगा जो की generator का काम करेगा
  • Electric Motor एक ऐसी device है जो की Electrical energy को mechanical energy में Convert करती है चाहे वो ac हो या dc हो
  • और हम कह सकते है कि Dc motor,Direct current(D.c. current) को mechanical energy में convert करती है

DC मोटर के उपयोग

अगर हम इसके उपयोग की बात करें तो इसका उपयोग कई जगह किया जाता है जैसे की –

1 . इनका उपयोग Lathe मशीन , Drilling मशीन , Milling मशीन आदि में किया जाता है |

2 . कई प्रकार के मशीन Tools के रूप में भी इनका उपयोग किया जाता है |

3 . Cranes एवं Locomotives में भी इनका उपयोग किया जाता है |

4 . Centrifugal एवं Reciprocating Pumps में भी इनका उपयोग होता है |

5 . कई Industries में इनका उपयोग किया जाता है |

6 . लेबोरेटरी में इनका उपयोग होता है |

आदि इनके उपयोग होते है |

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