दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको Pregnancy Book in Hindi PDF Free Download Link उपलब्ध करवाने वाले है, जहां से आप आसानी से Garbh Sanskaar Book PDF Free Download in Hindi में कर सकते है।
हर माता-पिता अपने बच्चो को अच्छे में गुण और सिख देना चाहते है। कई माँ गर्भावस्था के दौरान ही अपने बच्चे में अच्छे गुणों वाले संस्कार की नींव डाल देती है। माँ अपने शिशु में गर्भावस्था के दौरान अच्छे गन की नीव डालने के लिए कुछ पुस्तकों की सहायता लेती है।
हम आपको इस पोस्ट में गर्भ संस्कार के लिए सबसे बेहतरीन पुस्तक उपलब्ध करवाने जा रहे है, जिसका अध्ययन करके गर्भावस्था में आप अपने बच्चे की सम्पूर्ण देख-रेख और उसमे अछे संस्कार की नीव डाल सकते है। यदि आप गर्भ संस्कार पुस्तक के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़े।
Garbh Sanskaar Book in Hindi PDF Details
![Pregnancy Book in Hindi PDF Free Download [2023] Pregnancy Book in Hindi PDF Free Download](https://jivanijano.com/wp-content/uploads/2023/09/Pregnancy-Book-in-Hindi-PDF-Free-Download-1-300x200.webp)
PDF Title | Pregnancy Book in Hindi PDF |
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Language | Hindi |
Category | Book |
PDF Size | 4.4 MB |
Total Pages | 124 |
Download Link | Available |
PDF Source | – |
NOTE - Pregnancy Book in Hindi PDF Free Download करने के लिए नीचे दिए गए Download बटन पर क्लिक करें।
Garbh Sanskaar Book PDF
विषय के नवनिर्माण के लिए एक सम्पूर्ण पीढ़ी क निर्माण की आवश्यकता है। व्यक्ति से समाज, समाज से देश और देशो से विश्व का निर्माण होता है। वर्तमान परिवर्तन के दौर में मनुष्य ने साधन सुविधाओं के अम्बार खड़े कर लिए है, परन्तु सच्चे और अच्छे संस्कारवान मनुष्यो के आभाव में सुख शान्ति का लक्ष्य कोसो दूर है।
प्रश्न यह है कि अच्छे और सच्चे संस्कारवान मानव का निर्माण कैसे हो ? ऋषि प्रणीत संस्कार परमपरा ही इसका एकमात्र समाधान है जिसमे जन्म पूर्व से ही जीवात्मा के संस्कार संवर्धन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है।
विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो मानव की अधिकांश विकास यात्रा जन्म से पूर्व गर्भ से ही आरम्भ हो जाती है, जिसमे ज्ञानेन्द्रियो, कर्मकेन्द्रियो का विकास हो जाता है।
हमारे प्राचीन ऋषियों ने इसे हजारो वर्ष पूर्व समझ लिया था। इसलिए इस संस्कार रोपण की प्रक्रिया का शुभरम्भ गर्भाधान संस्कार से किया जाता है। आज का आधुनिक विज्ञान भी इस बात को समझ चूका है और इसकी पुष्टि भी करता है। आठ समग्र पीढ़ी के निर्माण का शुभारम्भ इसी अवस्था से करना होगा।
संस्कार संवर्धन की क्रियाये
दैनिक –
सुव्यवस्थित एवं नियमित दिनचर्या, गर्भस्थ शिशु से नियमित संवाद करना जैसे उससे बात की जा रही हो, भांति-भांति के प्रेरक गीत गाकर सुनाये जाए। जीवनचर्या में उपासना, साधना, आरधना का नियमित समावेश किया जाए।
दैनिक जीवन में साधना, स्वाध्याय, संयम सेवा का समावेश कर मानवीय मूल्यों एवं उच्च आदर्शो की प्रेरणा हेतु महापुरुषो की जीवनी, प्रेरणाप्रद एवं सत्साहित्य का पठन पाठन किया जाए।
दोषो से बचने का प्रयास किया जाए, तत्वबोध तथा आत्मबोध की साधना, निर्धारित समय पर मन्त्र श्रवण उच्चारण करना, आहार विहार पर नियंत्रण सुपाच्य , पौष्टिक अर्थात हितभुक, मितभुक, ऋतभुक का ध्यान रहे। दैनिक योग व्यायाम, प्राणायाम मुद्रा आदि करना। संध्याकालीन पारिवारिक गोष्ठी करना।
साप्ताहिक –
प्रति रविवार यज्ञ कर्म सम्पन्न हो, किसी देव स्थान पर दर्शन का नियमित क्रम हो, जिससे विचार सात्विक बने रहते है। मनोरंजन हेतु किसी रमणीक स्थान पर जाए।
मासिक –
भावी माता व् शिशु के उत्तम स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से चिकित्सालय जांच करवाने का क्रम मासिक रूप से जारी रखे। जिससे माँ और शिशु दोनों का जीवन सुरक्षित रहे और डॉक्टर द्वारा बताई गयी दवाई का सेवन निश्चित समयांतराल में जरूर करें।
त्रैमासिक –
1. दम्पति शिविर, संतानोत्पति हेतु इच्छुक नव दम्पतिया का अनुशासन प्रतिबंध, तप पूर्ण जीवन हेतु प्रेरणा।
2. पुंसवन संस्कार कराना – तृतीय मास में गर्भिणी और परिवार को आवश्यक निर्देश, गर्भपूजन ओषधि, अवघ्राण चरु ग्रहण व् आश्वास्तना।
3. सीमन्तोनयन संस्कार – सप्तम मास में भावी माता का समान और ईश्वर के राजकुमार का अभिनंदन, सुखद प्रसव हेतु निर्देश।
ऋषि परम्परा का पुनर्जीवन
युग ऋषि प. श्री राम शर्मा आचार्य जी द्वारा संस्कार परम्परा के पुनर्जीवन का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इन दिनों ‘ आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी’ आंदोलन के माध्यम से इसे विश्व्यापी बनाने की योजना तैयार की गयी है। चूँकि इन दिनों गर्भाधान संस्कार देश काल परिस्थिति के अनुसार व्यवहार्य नहीं बन पड़ता है। आठ इसके स्थान पर –
- दम्पति के शिविर माध्यम से माता-पिता को आवश्यक शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जाता है।
- गर्भधान के उपरान्त सम्पूर्ण गर्भकाल हेतु गर्भ संस्कार प्रक्रिया के अंतर्गत दैनिक, साप्ताहिक, मासिक एवं त्रिमासिक अंतराल पर भावी माता-पिता एवं परिवार को आवश्यक शिक्षण दिया जाना आवश्यक है।
FAQs: Pregnancy Book in Hindi PDF Free Download
Pregnancy Book in Hindi PDF Free Download कैसे करें?
यदि आप गर्भ संस्कार पुस्तक PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते है तो पोस्ट में दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके आसानी से फ्री में डाउनलोड कर सकते है।
मुझे गर्भ संस्कार पुस्तक पढ़ना कब शुरू करना चाहिए?
विशेषज्ञों के अनुसार गर्भाधान से तीन महीने पहले ही ‘गर्भ संस्कार’ की पुस्तक पढ़ना शुरू कर देनी चाहिए।
गर्भ संस्कार किस महीने में किया जाता है?
परंपरागत रूप से यह माना जाता है कि बच्चे का मानसिक और व्यवहारिक विकास गर्भ में ही शुरू हो जाता है। सातवें महीने से, अजन्मे बच्चे अपने माता-पिता की आवाज़, विभिन्न ध्वनियों, संगीत को सुन सकते हैं और उन पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं… इसलिए आप 7वें महीने से गर्भ संस्कार शुरू कर सकते हैं।
गर्भ में बच्चा कब समझने लगता है?
तीसरी तिमाही में बच्चा मां और आसपास के लोगों की आवाज सुनकर उसे पहचानने लगता है। प्रेग्नेंसी के नौवें हफ्ते में शिशु के कान बनने शुरू हो जाते हैं। 18वें हफ्ते तक बच्चा सुनना शुरू कर देता है।
Conclusion:-
इस पोस्ट में Pregnancy Book in Hindi PDF Free Download Link उपलब्ध करवाया गया है। साथ ही गर्भ संस्कार पुस्तक के बारे में जानकारी दी गयी है। उम्मीद करते है कि गर्भ संस्कार पुस्तक Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।
यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Garbh Sanskar PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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