Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 8 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 8 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित बोध, अभिव्यक्ति और माध्यम, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित बोध –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
कोई अपने दुर्भाग्य को कोस रहा है, कोई अपनी पारिवारिक दीनता को दोषी बता रहा है, कोई सहारे के अभाव को अपनी असफलता का आधार मान रहा है-बहुत से असफल व्यक्ति इसी तरह अनेक कारणों को अपनी असफलता का आधार मानते हैं, विभिन्न कारणों की कल्पना कर हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहते हैं। वे अपने जीवन में कुछ कर नहीं पाते। वे समाज के लिए, संसार के लिए कुछ नहीं कर पाते।
ऐसे मनुष्यों को जीवन में कोई राह नहीं मिलती, कोई चारा नहीं दिखता। वे दूसरों से अपेक्षा करते हैं कि कोई उन्हें किसी लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग दिखाए, सफलता की सीढ़ी बताए, जिससे वे उस पर आसानी से चढ़ सकें, किंतु ऐसे लोगों को यह भली-भाँति जानना चाहिए कि जहाँ चाह है, वहीं राह है। हमारी इच्छाशक्ति स्वयं हमारे लिए मार्ग बना देती है। अच्छे कार्य में धन की उतनी आवश्यकता नहीं होती, जितनी इच्छाशक्ति की होती है। ‘एमर्सन’ ने ठीक ही कहा है कि इतिहास, पुराण सभी साक्षी हैं कि मनुष्य के दृढ़ संकल्प के आगे देव-दानव सभी पराजित होते रहे हैं। दृढ़ इच्छाशक्ति ने भगवान तक को घंटों कच्चे धागे से बाँधकर नचाया है।
हाँ, इतना ध्यान रखना होगा कि हमारी चाह बरसाती बादल का एक टुकड़ा न हो, जिसे हवा का एक झोंका जिधर चाहे उड़ाकर ले जाए। यदि हमारी इच्छाशक्ति क्षुद्र और दुर्बल होगी, तो हमारी मानसिक शक्तियों का कार्य भी वैसा ही होगा। स्वामी विवेकानंद का दिव्य वचन है कि पवित्र और दृढ़ इच्छा सर्वशक्तिमान है।
अत: यह नीति ठीक है कि हमारी चाह ही रास्ता बना जाती है। अंधकार से आच्छादित मानव ने कभी इच्छा व्यक्त की थी कि प्रकाश हो और प्रकाश हो गया। मनुष्य की इस चाह, इस लगन, इस उत्कट इच्छा-चमत्कार की अनगिनत कहानियाँ हैं। जब आततायी रावण श्रीरामवल्लभा सीता को हरकर लंका ले गया, तब राम को पता चला कि मार्ग में समुद्र व्यवधान बनकर खड़ा है। राम के अंतर्मन में सीता प्राप्ति की चाह ने सागर पर सेतु-निर्माण किया। चाणक्य के पास आखिर था क्या? कितु नंद साम्राज्य के विनाश के उत्कट संकल्प ने उनके लिए मार्ग-निर्माण कर दिया था। हमारे आदर्श नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पास क्या साधन था? कितु अंग्रेजों को भगा देने की दृढ चाह ने उनसे इतनी बड़ी ‘आजाद हिंद फ़ौज’ की स्थापना करा दी थी। पं. मदनमोहन मालवीय के पास कौन-सा कुबेर कोष था? कितु उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, उनकी इस लगन ने सारे विघ्नों को काटकर मार्ग बना दिया।
(क) अधिकांश असफल व्यक्ति कुछ विशेष क्यों नहीं कर पाते हैं?
(i) दूसरों को दोषी ठहराने के कारण
(ii) दूसरों से ईर्ष्या-द्वेष के कारण
(iii) स्वयं को महान समझने के कारण
(iv) ईंखर को मानने के कारण
उत्तर :
(i) दूसरों को दोषी ठहराने के कारण
(ख) अंधकार से आच्छादित मानव ने कैसी इच्छा व्यक्त की थी?
(i) अंधकार होने की
(ii) प्रकाश हो जाने की
(iii) धन प्राप्त करने की
(iv) असफल न होने की
उत्तर :
(ii) इच्छाशक्ति की
(ग) अच्छे कार्य करने में किसकी आवश्यकता अधिक होती है?
(i) धन की
(ii) इच्छाशक्ति की
(iii) मधुर वचनों की
(iv) देवताओं के आशीर्वाद की
उत्तर :
(iii) वे उसे लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग दिखाएँ
(घ) असफल व्यक्ति अपनी असफलता के लिए किसे दोषी ठहराता रहता है?
(i) दुर्भाग्य को
(ii) सहारे के अभाव को
(iii) पारिवारिक दीनता को
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iii) 1 और 2
(ङ) असफल व्यक्ति दूसरों से अपेक्षा रखता है कि
(i) उनसे उसे धन प्राप्त हो
(ii) वे उसका दु:ख में साथ दें
(iii) वे उसे लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग दिखाएँ
(iv) वे उसे प्रत्येक कार्य करके दें
उत्तर :
(ii) प्रकाश हो जाने की
(च) ‘बरसाती बादल के टुकडे’ से क्या तात्पर्य है?
(i) हमारी चाह क्षणिक न हो
(ii) हमारी चाह बरसात में पूर्ण हो
(iii) हमारी इच्छा अत्यंत विशाल हो
(iv) हमारी चाह दूसरों को अच्छी लगे
उत्तर :
(iv) ये सभी
(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. असफल व्यक्ति कर्मठ नहीं होते अपितु वे अपनी असफलता का दोषी दूसरों को मानते हैं।
2. दृढ इच्छाशक्ति सफलता की कुंजी है।
3. दूसरे व्यक्ति ही मनुष्य को सफलता का मार्ग बताते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(i) हमारी चाह क्षणिक न हो
(ज) पं. मदनमोहन मालवीय के पास कौन-सा कुबेर कोष था? लेखक के इस कथन से अभिप्राय है कि पं. मदनमोहन
(i) बहुत धनवान थे
(ii) के पास कुबेर के समान धन नहीं था
(iii) बहुत धनवान नहीं थे
(iv) ने कुबेर से धन लेकर विश्वविद्यालय की स्थापना की
उत्तर :
(iii) बहुत धनवान नहीं थे
(झ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने ‘आजाद हिंद फौज’ की स्थापना की।
कारण (R) नेताजी सुभाषचंद्र बोस के मन में अंग्रेजों को भगा देने की दृढ इच्छाशक्ति थी। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्यख्या करता है।
(ञ) प्रस्तुत गद्यांश किस विषय-वस्तु पर आधारित है?
(i) धन प्राप्ति के साधन पर
(ii) राम नाम की महिमा पर
(iii) शिक्षा के महत्त्व पर
(iv) दृढ़ इच्छाशक्ति पर
उत्तर :
(iv) दृढ़ इच्छाशक्ति पर
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
सृनन की थकन भूल जा देवता!
अभी तो पड़ी है धरा अधबनी,
अभी तो पलक में नहीं खिल सकी
नवल कल्पना की मधुर चाँदनी
अभी अधखिली ज्योत्स्ना की कली
नई जिंद्रगी की सुरभि में सनी
अभी तो पड़ी है धरा अधबनी,
अधूरी धरा पर नहीं है कहीं
अभी स्वर्ग की नींव का भी पता!
सृजन की थकन भूल जा देवता।
रुका तू गया, रुक जगत का सृजन
तिमिरमय नयन में डगर भूलकर
कहीं खो गई रोशनी की किरन
घने बादलों में कहीं सो गया
नई सृष्टि का सप्तरंगी सपन
रुका तू गया, रूक जगत का सृजन
अधूरे सृजन से निराशा भला
किसलिए; जब अधूरी स्वयं पूर्णता
सृजन की थकन भूल जा देवता!
प्रलय से निराशा तुझे हो गई
सिसकती हुई साँस की जालियों में
सबल प्राण की अर्चना खो गई
थके बाहुओं में अधूरी प्रलय
औ अधूरी सृजन योजना खो गई
प्रलय से निराशा तुझे हो गई
इसी ध्वंस में मूर्च्छिता हो कहीं
पड़ी हो, नई जिंदगी; क्या पता?
सुजन की थकन भूल जा देवता।
(क) कवि देवता को सृजन की थकान भूलने को क्यों कहता है?
(i) क्योंकि देवता कभी थकते नहीं
(ii) क्योंकि धरती का पूर्ण निर्माण होने में अभी समय है
(iii) क्योंकि अधूरा कार्य नहीं छोड़ना चाहिए
(iv) क्योंकि धरती का निर्माण सही प्रकार से नहीं हो पाया है
उत्तर :
(ii) क्योंकि धरती का पूर्ण निर्माण होने में अभी समय है
(ख) देवता के रुकने का क्या परिणाम होगा?
(i) रोशनी की किरें खो जाएँगी
(ii) नई सृष्टि के लिए आवश्यक सप्तरंगी सपने खो आएँगे
(iii) जगत का सुजन रुक जाएगा
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ग) कवि ने अधूरे सृजन से निराश न होने के पीछे क्या तर्क दिया है?
(i) अधूरे सृतन से निराश क्यों होना, जब स्वयं पूर्णता ही अधूरी है
(ii) अधूरे सृजन से ही पूरा सृन संभव है
(iii) सभी चीजें पूर्ण नहीं होती हैं
(iv) विध्वंस से निर्माण नहीं होता है
उत्तर :
(i) अघूरे सृजन से निराश क्यों होना, जब स्वयं पूर्णता ही अधूरी है
(घ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सृजन अधूरा होने पर हमें निराश नहीं होना चाहिए।
2. नई जिंदगी के विषय में कवि को जानकारी है।
3. स्वर्ग जैसी सुखद जिंदगी की नींव पड चुकी है। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 1 और 2
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(i) केवल 1
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
A. देवता के रुकने का परिणाम | 1. धरा अभी अपूर्ण है |
B. स्वर्ग की नींव का पता अभी नहीं चल सकता | 2. जीवन की झंझाओं से जूझने को तत्पर |
C. कलाकार को कृतिपूर्ण करने के लिए | 3. जगत का सृजन रूक जाएगा |
कूट
A B C
(i) 2 1 3
(ii) 3 1 2
(iii) 1 2 3
(iv) 2 3 1
उत्तर :
(ii) 3 1 2
अभिव्यक्ति और माध्यम –
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
(क) किसी भी समाचार-पत्र के लिए स्वतंत्र रूप से लिखकर पारिश्रमिक प्राप्त करने वाले पत्रकार कहलाते हैं
(i) फ्रीलांसर पत्रकार
(ii) संपादकीय
(iii) बीट रिपोर्टर
(iv) विशेष संवाददाता
उत्तर :
(i) फीलांसर पत्रकार
(ख) नाटक का प्राणतत्त्व किसे कहा जाता है?
(i) चरित्र को
(ii) रंगमंचीयता को
(iii) भाषा को
(iv) पाठक वर्ग तैयार करना
उत्तर :
(iii) भाषा को
(ग) पत्रकारिता का मूल तत्त्व है
(i) नई सूचनाएँ प्रदान करना
(ii) मनोरंजन करना
(iii) टिप्पणी करना
(iv) संवाद को
उत्तर :
(i) नई सूधनाएँ प्रदान करना
(घ) विशेषीकृत पत्रकारिता का मुख्य क्षेत्र है
(i) आर्थिक पत्रकारिता
(ii) खेल पत्रकारिता
(iii) फैशन और फिल्म पत्रकारिता
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ङ) सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए
सूची I | सूची II |
A. मेले, त्योहार, खेल | 1. प्राकृतिक फ़ीचर |
B. युद्ध, अकाल, दुर्घटना | 2. राजनीतिक फ़ीचर |
C. अंतरिक्ष, खगोल, पृथ्वी | 3. सामाजिक-सांस्कृतिक फ़ीचर |
D. राजनीतिक घटनाएँ | 4. घटनापरक फ़ीचर |
कूट
A B C D
(i) 4 3 2 1
(ii) 3 4 1 2
(iii) 2 3 4 1
(iv) 1 2 3 4
उत्तर :
(ii) 3 4 1 2
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2 –
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
प्रात: नभ था बहुत नीला शंख जैसे भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो। और ……..
जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है।
(क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किसका चित्रण किया है?
(i) सूर्योदय का
(ii) नायिका की सुंदरता का
(iii) प्रात:कालीन आकाश का
(iv) रात्रि की मनोहरता का
उत्तर :
(i) सूर्योदय का
(ख) प्रातःकालीन आकाश किसके समान प्रतीत हो रहा है?
(i) काली सिल की तरह
(ii) राख से लीपे हुए चौके की तरह
(iii) काली स्लेट पर लाल चाक जैसा
(iv) नीले जल में गौर वर्ण के समान
उत्तर :
(ii) राख से लीपे हुए चौके की तरह
(ग) सूर्योदय से पूर्व आकाश में क्या विद्यमान होता है?
(i) नीला रंग
(ii) श्वेत रंग
(iii) लाल रंग
(iv) नमी
उत्तर :
(iv) नमी
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) आकाश में सूर्योदय होना नई आशा और उल्लास का प्रतीक बन जाता है।
कारण (R) प्रकृति की दशा सूर्योदय के प्रतिकूल है।
स्लेट पर लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो। और……..
जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है।
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(i) क्थन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है।
(ङ) ‘काली सिल पर लाल केसर’ मलने से कैसा दृश्य सामने आता है?
(i) सूयोंद के बाद का
(ii) सूर्योंद्य से पहले का
(iii) गहन रात्रि का
(iv) संध्या काल का
उत्तर :
(ii) सूर्योदय से पहले का
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पंढ़र उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृत्व पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृत्व अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबकों उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलतः सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्ध व सम्मान का भाव हो।
(क) लेखक के अनुसार एक आदर्श समाज के लिए क्या अपेक्षित है?
(i) समानता
(ii) स्वतंत्रता
(iii) गतिशीलता
(iv) लोकतंत्र
उत्तर :
(iii) गतिशीलता
(ख) एक आदर्श समाज में सबकों किनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए?
(i) दलितों की
(ii) स्वयं की
(iii) लोकतंत्र की
(iv) सरकार की
उत्तर :
(ii) स्वयं की
(ग) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
कथन (A) आदर्श समाज लोकतंत्र का अभिन्न अंग होता है।
कारण (R) लोकतंत्र में सामाजिक व्यवस्था में आपसी मेल-जोल के अनेक अवसर उपलब्ध रहते हैं। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) क्थन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(घ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
A. भाईचारे के वास्तविक रूप का दूसरा नाम | 1. हितकारी और कल्याणकारी कार्य सम्पन्न |
B. आदर्श समाज | 2. लोकतंत्र |
C. सहभागिता से समाज के | 3. स्वतंत्रता समानता, भाईचारे पर आधारित |
कूट
A B C
(i) 2 3 1
(ii) 1 2 3
(ii) 3 2 1
(iv) 2 1 3
उत्तर :
(i) 2 3 1
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आदर्श समाज में बहुत अधिक गतिशीलता असंभव है।
2. लोकतंत्र में साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव होना चाहिए।
3. लोकतंत्र में उच्च वर्ग का आरक्षण होना चाहिए। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही कथन है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(ii) केवल 2
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
(क) यशोधर बाबू अपने परिवार के सदस्यों के साथ तालमेल क्यों नहीं बिठा पाते हैं?
(i) क्योंकि उनकी सोच में नए विचार निरर्थक है
(ii) क्योंकि वे सिद्धांतवादी और व्यवहारवादी नहीं हैं
(iii) क्योंकि उनका जीवन नीरस और उबाऊ है
(iv) क्योंकि उन्हें अपने काम से फुर्सत नहीं है
उत्तर :
(i) क्योंकि उनकी सोच में नए विचार निरर्थक हैं
(ख) किशनदा ने यशोधर पंत को ‘मेस’ का रसोइया किस कारण बनाकर रखा था?
(i) जिससे कि वे खाना बनाना सीख सके
(ii) यशोधर पंत की आयु सरकारी नौकरी के लिए कम थी
(iii) यशोधर पंत ने स्वयं ऐसा करने को कहा था
(iv) किशनदा यह नहीं चाहते थे कि उन्हें सरकारी नौकरी मिले
उत्तर :
(ii) यशोधर पंत की आयु सरकारी नौकरी के लिए कम थी
(ग) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में ‘समहाउ इंप्रोपर’ वाक्यांश का प्रयोग किस संदर्भ में हुआ है?
(i) अपनों से पराएयेन का व्यवहार मिलने पर
(ii) वृद्धा पत्नी के आधुनिक स्वरूप को देखकर
(iii) केक काटने की विदेशी परंपरा पर
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) किशनदा के रिटायर होने पर यशोधर बाबू उनकी सहायता नहीं कर पाए।
कारण (R) यशोधर बाबू अपने परिवार को नाराज नहीं करना चाहते थे।
कूट
(i) कथन (A) सही है परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) मास्टर ने लेखक से कविता गायन का पाठ कहाँ करवाया? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर सटीक विकल्प चुनिए।
(i) पाठशाला के समारोह में
(ii) छठी-सातरी के बालकों के सामने
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) एकांत में
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों
(च) लेखक ने किस आधार पर सिंधु घाटी की सभ्यता को जल संस्कृति कहा है?
(i) सिंधु नदी के आधार पर .
(ii) स्नानागार के आधार पर
(iii) बेजोड़ निकासी व्यवस्था के आधार पर
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(छ) मुअनजोदड़ो का अनूठा नगर-नियोजन आधुनिक नगर नियोजन के प्रतिमान नगरों से बेहतर कैसे है?
(i) मुअनजोदड़ो की जल-निकासी का प्रबंध इतना उन्नत था कि आज के वास्तुकार भी उसे देखकर सोच में पड़ जाते हैं
(ii) नगर की योजना अत्यंत सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक रूप से तार्किक थी
(iii) घरों की बनावट अत्यंत बेमिसाल थी
(ii) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(iv) उपरोक्त सभी
(ज) ‘जूझ’ पाठ के पात्र दत्ता जी राव के विषय में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) दत्ता जी राव देसाई गाँव के एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे
(ii) दत्ता जी राव पढ़ाई के महत्त्व से अवगत थे
(iii) दत्ता जी राव ने लेखक के पिता से लेखक को पढ़ने भेजने की प्रार्थना की
(iv) दत्ता जी राव के कारण ही लेखक की छूटी हुई पढ़ाई पुन: आरंभ हो पाई
उत्तर :
(iii) दत्ता जी राव ने लेखक के पिता से लेखक को पढ़ने भेजने की प्रार्थना की
(झ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में लिखित साक्ष्यों से जानकारी मिली है।
2. सिंधु घाटी सध्यता के बारे में पुरातात्विक साक्ष्यों से जानकारी मिली है।
3. पुरातात्विक साक्ष्यों से मुअनजोदड़ो तथा हड़प्पा की संस्कृति की विशालता ज्ञात होती है।
4. सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में केवल अनुमान लगाया जा सकता है। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 2 और 3
(iv) 1 और 4
उत्तर :
(iii) 2 और 3
(ञ) प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है, इसका कारण है
(i) जल मनुष्य के जीवन का आधार है
(ii) जल के समीप स्नान की सुविधा रहती है
(iii) जल के समीप जल यातायात के साधन उपलब्ध रहते हैं
(iv) प्राचीन समय में भूमि पर जल क्षेत्र अधिक था
उत्तर :
(i) जल मनुष्य के जीवन का आधार है
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न
खंड ‘ब’ में जनसंचार और सृजनात्मक लेखन, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग- 2 व पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन –
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) स्वप्न में की गई दूसरे ग्रह की यात्रा का वर्णन
उत्तर :
एक दिन कक्षा में अध्यापक ने दूसरे ग्रह के विषय में चर्चा की। उन्होंने इस विषय में सभी छात्रों के विचार जाने और अपने विचार भी प्रस्तुत किए। यह सब मुझे बहुत ही मनोरंजक लगा। विद्यालय से लौटते समय भी यही बातें मेरे मन में चल रही थीं। विद्यालय से लौटने के बाद मुझे नींद आ गई और मेरा मन पंख लगाकर स्वप्न लोक में घूमने लगा। स्वप्न में मैंने देखा कि मैं और मेरा मित्र मंगल ग्रह की यात्रा पर गए हैं। हम विमान में बैठकर अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहे हैं। विमान से बाहर हमें अंधकार दिखाई दिया। कुछ समय बाद हमें भूख लगी, तो हमने कंप्यूटर में लगा बटन दबाया, जिससे हमें कैप्सूल मिला। हमने दो कैप्सूल पानी के साथ खा लिए और हमारी भूख शांत हो गई। अब हमारा विमान मंगल ग्रह के धरातल पर उतरा। हमने अंतरिक्ष के सूट और हेलमेट पहने हुए थे। शीघ्र ही हम मंगल ग्रह के वातावरण के अनुकूल ढल गए। हमने आस-पास के क्षेत्र का भ्रमण किया। अचानक ही हमें एक विशाल आकृति दिखाई दी। उसका चेहरा सपाट और अद्भुत था। उसका कद बहुत लंबा था। पहले तो हम भयभीत हो गए, किंतु बाद में उससे प्राप्त होने वाले संकेतों से हमें वह सही प्रवृत्ति का इंसान लगा। उसने हमें अपना घर दिखाया। उसका घर बहुत छोटा और उजाड़ था। उसके घर में अन्य सदस्य भी थे, जो उससे भी लंबे व पतले थे।
हमने मंगल पर अनेक छोटी-छोटी पहाड़ियाँ देखीं, जिन पर पहले कभी न देखी हुई सुंदर झाड़ियाँ, लताएँ उगी हुई थीं। अब समय हो गया था कि हम वापस अपने विमान से पृथ्वी की ओर चलें।
उसी समय मेरी नींद खुल गई। मेरी यह काल्पनिक यात्रा मेरे जीवन की सभी यात्राओं में सबसे अधिक सुखद रही। मैंने यह निश्चय किया है कि अब मैं मंगल ग्रह की तरह पृथ्वी को भी साफ-स्वच्छ बनाने का प्रयास करूँगा।
(ख) यदि मैं विद्यालय का प्रधानाचार्य होता
उत्तर :
विद्यालय एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक संस्था है, जहाँ विद्यार्थी के चरित्र के साथ-साथ भविष्य का भी निर्माण होता है। शिक्षा प्राप्त करके विद्यार्थी अफ़सर, लिपिक, प्रशासनिक अधिकारी, नेता, मंत्री, राज्यपाल या राष्ट्रपति आदि भी बन सकता है। विद्यार्थियों के जीवन निर्माण के लिए एक अच्छे अध्यापक की आवश्यकता होती है। उन्हें व्यवस्थित तथा उत्तम वातावरण देनो म्रधानाचार्य का दायित्व होता है। विद्यार्थी अपने जीवन में आकाश में उड़ने, जल पर चलने एवं देश की रक्षा या समाज के विकास की कल्पना करता है, परंतु मेरी कल्पना थी-विद्यालय का प्रधानाचार्य बनने की।
यदि में विद्यालय का प्रधानाचार्य होता, तब सबसे पहले भवनों की सफ़ाई का निरीक्षण करके दिशा-निर्देश ज़ारी करता तथा स्वयं निरीक्षण करता। पुस्तकालय को समृद्धशाली बनाता। मैं विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का हर संभव प्रयास करता। अनेक विषयों में वाद-विवाद, संगीत, चित्रकला आदि की प्रतियोगिताएँ कराता। प्रत्येक कक्षा को शैक्षिक भ्रमण पर ले जाता।
मैं शारीरिक शिक्षा के अध्यापक से मिलकर एक परामर्श समिति बनाता तथा तद्नुरूप खेलकूद तथा व्यायाम आदि की व्यवस्था कराता। विद्यालय में खाली पड़ी ज़मीन पर पुष्प वाटिका लगवाता। खेल के मैदान पर दूब लगवाकर उसे सुंदर बनवाता। विद्यार्थियों में विनय, नियम पालन, संयम, समयनिष्ठा तथा कर्त्त्यनिष्ठा आदि सद्गुणों के विकास के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता। मैं स्वयं अनुकरणीय आचरण करते हुए अध्यापकों एवं विद्यार्थियों के बीच आदर्श प्रस्तुत करता। कर्मचारियों तथा अध्यापकों को अच्छे कार्य हेतु पारितोषिक प्रदान करते हुए विद्यार्थियों को भी पुरस्कार प्रदान करता।
इस प्रकार, यदि मैं विद्यालय का प्रधानाध्यापक होता, तो अपने सभी कर्त्तव्यों का भली-भॉंति निर्वाह करता।
(ग) इंटरनेट वर्तमान युग की माँग ही नहीं, आवश्यकता भी बन गया है
उत्तर :
विज्ञान के कारण पहले कंप्यूटर का जन्म हुआ और फिर कंप्यूटर से इंटरनेट का। इंटरनेट न केवल मानव के लिए अति उपयोगी सिद्ध हुआ है, बल्कि संचार में गति एवं विविधता के माध्यम से इसने दुनिया को पूर्ण रूप से बदलकर रख दिया है। इंटरनेट ने भौगोलिक सीमाओं को समेट दिया है। भारत में इंटरनेट सेवा की शुरुआत बीएसएनएल ने वर्ष 1995 में की थी। अब एयरटेल, जियो आदि जैसी दूरसंचार कंपनियाँ भी इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराती हैं। पूरे विश्व में इंटरनेट से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
इंटरनेट के कई लाभ हैं, तो इसकी कई हानियाँ भी हैं। इसके माध्यम से मनुष्य तक अश्लील सामग्री की पहुँच आसान हो गई है। कई लोग इंटरनेट का दुरुपयोग अश्लील साइटों को देखने और सूचनाओं को चुराने में करते है। अत: इंटरनेट का प्रयोग करते समय आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) कहानी में द्वंद्व के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
नाटक किसे कहते हैं? भारतीय परंपरा में नाटक को क्या संज्ञा दी गई है?
उत्तर :
कहानी में द्वंद्व के तत्व का होना आवश्यक है। द्वंद्व कथानक को आगे बढ़ाता है तथा कहानी में रोचकता बनाए रखता है। द्वंद्व दो विरोधी तत्त्वों का टकराव या किसी की खोज में आने वाली बाधाओं या अंतर्द्वंद्व के कारण पैदा होता है। कहानी की यह शर्त है कि वह नाटकीय ठंग से अपने उद्देश्य को पूर्ण करते हुए समाप्त हो जाए, यह द्वंद्व के कारण ही पूर्ण होता है। कहानीकार अपने कथानक में द्वंद्व के बिंदुओं को जितना स्पष्ट रखेगा कहानी भी उतनी ही सफलता से आगे बढ़ेगी। अतः स्पष्ट है कि कहानी में द्वंद्व का अत्यधिक महत्त्व है।
अथवा
नाटक साहित्य की वह सर्वोत्तम विधा है, जिसे पढ़ने, सुनने के साथ-साथ देखा भी जा सकता है। नाटक लिखित रूप में एक आयामी होता है। मंचन के पश्चात् ही उसमें संपूर्णता आती है। नाटक शब्द की उत्पत्ति ‘ नट् ‘धातु से मानी जाती है। ‘नट्’ शब्द का अर्थ अभिनय है, जो अभिनेता से जुड़ा हुआ है। इसे ‘रूपक’ भी कहा जाता है। भारतीय परंपरा में नाटक को दृश्य काव्य की संज्ञा दी गई है।
(ख) ‘नए तथा अप्रत्याशित विषयों पर लेखन का संबंध रचनात्मकता से है’ कैसे? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विशेष लेखन की भाषा-शैली सामान्य लेखन से अलग क्यों होती है?
उत्तर :
नए तथा अप्रत्याशित विषयों पर लेखन व्यक्ति की मौलिक अभिव्यक्ति है। वह व्यक्ति की रचनात्मकता को व्यक्त करती है। अकस्मात सामने आए हुए विषय के बारे में मस्तिष्क में विचार आना तथा भाषा के माध्यम से उन विचारों को अभिव्यक्त करना ही रचनात्मकता है। इसमें व्यक्ति आत्मनिर्भर होकर लिखता है। किसी अन्य व्यक्ति के विचारों की नकल करके नए विषयों पर लेख नहीं लिखा जा सकता। परंपरागत विषयों पर लेखन करते समय यह तो संभव है कि व्यक्ति दूसरे के विचारों की नकल कर ले, परंतु नए विषयों पर लेखन करते समय यह संभव नहीं है। अतः नए विषयों पर लेखन करना व्यक्ति की स्वयं की रचनात्मकता है।
अथवा
अखबारों के लिए समाचारों के अतिरिक्त खेल, अर्थ-व्यापार, सिनेमा या मनोरंजन आदि विभिन्न क्षेत्रों और विषयों से संबंधित घटनाओं, समस्याओं आदि का लेखन विशेष लेखन कहलाता है। इस प्रकार के लेखन की भाषा-शैली समाचारों की भाषा-शैली से अलग होती है।
विशेष लेखन किसी विशेष विषय पर या जटिल एवं तकनीकी क्षेत्र से जुड़े विषयों पर किया जाता है, जिसकी अपनी विशेष शब्दावली होती है। इस शब्दावली से संबाददाता को अवश्य परिचित होना चाहिए। उसे इस तरह लेखन करना चाहिए कि रिपोर्ट को समझने में कोई परेशानी न हो। उदाहरण के लिए, व्यापार से संबंधित कुछ शब्द हैं; जैसे- तेजड़िए, मंदड़िए, बिकवाली, मुद्रास्फीति, चाँदी लुढ़की, सोने में भारी उछाल आदि।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘विज्ञापनों की लुभावनी दुनिया’ पर एक आलेख लिखिए।
उत्तर :
आज विज्ञापनों का बोलबाला है। हर बिजनेसमैन अपने उत्पाद को विश्शापनों के लुभावने आवरण में पैक कर ऊँचे दामों पर बेचने की कला में निपुण हो चला है। जिधर देखो विभिन्न उत्पादों का प्रचार-प्रसार करते रंग-बिरंगे विश्ञापन दिखाई पड़ते हैं। अख़बार, टी.वी., रेडियो, पत्रिकाएँ, दीवार, गलियाँ, बाजार सब विज्ञापनों से भरे पड़े हैं। विज्ञापनों को नित्य आकर्षक बनाने के लिए होड़ लगी रहती है। बड़े-बड़े कलाकार भी अच्छे धन और प्रचार के लालच में घरेलू प्रयोग की वस्तुओं के विज्ञापन करते दिखाई पड़ते हैं। गोरा बनाने वाली क्रीमों, बाल घने, लंबे और मजबूत करने के लिए शैंपू, बर्तन-कपड़े जल्दी धोने-चमकाने के लिए विभिन्न सर्फ-साबुन आदि के अनेक विझापन हैं और उन्हें इतना लुभावना बनाकर प्रस्तुत किया जाता है कि ग्राहक असमंजस में पड़ जाता है कि क्या खरीदें और क्या न खरीदें? परंतु जब वह विज्ञापनों में दिखाए गए उत्पाद को खरीदकर लाता है, तो कई बार परिणाम उसकी अपेक्षा के विपरीत होता है। दर्शकों और उपभोक्ताओं को सावधान रहने की आवश्यकता है। वे इन लुभावने विझापनों के मायाजाल में न फँसें। जिन वस्तुओं का वे प्रयोग कर रहे हैं, उनकी गुणवत्ता के विषय में अच्छे से जाँच कर लें तथा स्वयं भी और अपने परिवार को भी इस भ्रमजाल से निकालें।
(ख) समाचार के परिम्रेक्य से क्या तात्पर्य है? किसी घटना को समाचार का स्वरूप कैसे दिया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाचार के परिप्रेक्ष्य से तात्पर्य समाज, व्यक्ति, देश और विभिन्न प्रकार के संदर्भों से है, जिनका संबंध समकालीन काल में उसके महत्त्व से होता है। लोग सामान्यतः अनेक काम को मिल-जुलकर करते हैं। सुख-दुःख की घड़ी में वे एकसाथ होते हैं। मेलों और उत्सवों में वे साथ होते हैं। दुर्घटनाओं और विंपदाओं के समय में भी वे साथ होते हैं। इन सब घटनाओं को हम समाचार के परिप्रेक्य में देख सकते हैं। देश की संपूर्ण विविधताओं और चिंताओं के बावजूद किसी घटना का अपना एक समाचारीय महत्त्व होता है, जिसे अनेक कारक प्रभावित करते हैं। किसी घटना को एक समाचार का रूप प्रदान करने के लिए इसका समय पर समाचार कक्ष में पहुँचना आवश्यक होता है। सामान्यतः हम कह सकते हैं कि समाचार का समयानुकूल होना समाचार का परिप्रेक्ष्य है।
(ग) आर्थिक पत्रकार के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती सामान्य पाठक तथा जानकार पाठक को संतुष्ट करना होती है। आर्थिक पत्रकारिता को किस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर :
आर्थिक मामलों की पत्रकारिता सामान्य पत्रकारिता की अपेक्षा काफी जटिल होती है। जनसाधारण को इस क्षेत्र की शब्दावली का ज्ञान व उसका अभिप्राय ज्ञात नहीं होता।
आर्थिक पत्रकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि वह कैसे सामान्य पाठक तथा विषय के विशेषज्ञ पाठक को भली-भाँति संतुष्ट करें। किसी भी लेखन को विशिष्टता प्रदान करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है कि संवाददाता की बात पाठक श्रोता तक अपने वास्तविक अर्थ के साथ पहुँच रही है या नहीं तथा तथ्यों में तालमेल है या नहीं। एक आर्थिक पत्रकार को दोनों तरह के पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है। अतः ध्यान रखा जाना चाहिए कि किस वर्ग के पाठक के लिए लिखा जा रहा है।
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2 –
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए।
(क) एक अपाहिज व्यक्ति का साक्षात्कार लेना किस उद्देश्य से संभव है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
टेलीविजन के चैनल अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए तथाकथित सामाजिक सरोकार से संबंधित कार्यक्रम दिखाते हैं। कविता में ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान अपाहिज व्यक्ति का साक्षात्कार लेने की प्रक्रिया को सामने रखा गया है। इस साक्षात्कार का मूल उद्देश्य सामाजिक कल्याण अथवा लोगों में करुणा की भावना जगाना कदापि नहीं है, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया तक साक्षात्कार को ले जाना है, जहाँ दर्शकों की भरपूर संवेदना प्राप्त कर चैनल की लोकप्रियता शिखर तक पहुँचाई जा सके।
(ख) ‘उषा’ कविता के प्रतिपाय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘उषा’ कविता की रचना नई कविता के विशिष्ट कवि शमशेर बहादुर सिंह ने की है। उषा का सौंदर्य मोहक व आकर्षक होता है। इस समय की प्रकृति अपने रूपाकार को पल-पल परिवर्तित करती है, जिसे कवि ने अत्यंत आकर्षक तथा सजीव रूप में चित्रित किया है। उषाकाल का आकाश पवित्र, निर्मल तथा उज्ज्वल प्रतीत होता है।
यह समय सृष्टि की नवगति का संदेशवाहक है। कवि का बिंब तथा प्रतीकों के माध्यम से उषाकाल के प्राकृतिक सौंदर्य में परिवर्तन को रोचकता के साथ दर्शाना महत्त्वपूर्ण है। इस कविता में प्रकृति के साथ मानवीय चेतना को एकाकार किया गया है।
(ग) फ़िराक की रुबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिबों का सौदर्द ‘रुखाइयाँ’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
फ़िराक की रुबाइयों में घरेलू जीवन के अत्यंत सुन्दर चित्र उपस्थित हैं। इनमें चाँद का टुकड़ा, गोदभरी व बच्चे को हवा में झुलाती मों, स्नान-जल, कंघी, वस्त्र, चीनी (शक्कर) के बने खिलौने, पुते-सजे घर, लावे, घरौदे, दीये, दर्पण, बादल, बिजली, राखी जैसे दृश्य बिंबों की अधिकता है, जबकि आवश्यकता पड़ने पर खिलखिलाते बच्चे की हँसी जैसे श्रव्य बिंब का मी प्रयोग बड़ी सहजता के साथ किया गया है। ये सारे बिंब बड़े सार्थक और जीवंत बनकर कविता में उभरे हैं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) लक्ष्मण के वियोग का संभावित दुः राम किस प्रकार प्रकट करते हैं?
उत्तर :
लक्ष्मण के वियोग का संभावित दुःख प्रकट करते हुए राम कहते हैं कि हे भाई! मेरा हृदय अत्यंत कठोर एवं निष्ठुर है, जो तुम्हारी मृत्यु का शोक और अपने भाई के प्राणों की बलि लेने का अपयश, दोनों ही सहन करेगा। मैं वापस लौटकर अयोध्या जाने पर तुम्हारी माता को क्या उत्तर दूँगा, यह तुम उठकर मुझे क्यों नहीं समझाते।
(ख) आकाश में उड़ती हुई पतंग बच्चों की बालसुलभ इच्छाओं का प्रतीक है, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पतंग बच्चों के सपनों, उनके अरमानों एवं आकांक्षाओं का प्रतीक है। जिस प्रकार पतंग उन्मुक्त आकाश में स्वध्छंद रूप से उड़ती हुई आगे बढ़ती जाती है, उसी प्रकार बच्चे भी स्वयं उड़ना चाहते हैं। उनकी आकांक्षाएँ, उनके सपने भी ऊँचाइयों को स्पर्श करते हैं। वे छतों पर उन्मुक्त रूप से दौड़ते हैं, परंतु उनकी नजरें आसमान में उड़ती हुई पतंगों पर होती हैं। उन्हें लगता है कि वे भी पतंगों के साथ-साथ उड़ रहे हों। वास्तव में, आकाश में उड्ती हुई पतंगें बच्चों के कोमल मन और उनकी उमंग भरी इच्छाओं का प्रतीक हैं।
(ग) ‘कविता के बहाने’ में कवि के अनुसार कविता क्या है?
उत्तर :
‘कविता के बहाने ‘ में कवि के अनुसार, कविता बच्चों के खेल की तरह है। जैसे बच्या खिलौनों से खेलता है, वैसे ही कविता शब्दों से खेलती है। कविता देश-काल की सीमा में बँधकर नहीं रहती। वह तो दुनिया को एक कर देने की चेतना से परिपूर्ण होती है। बच्चों के खेल में भी इसी प्रकार का भाव पाया जाता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) शिरीष के वृक्ष को लेखक ने अन्य वृक्षों की तुलना में श्रेष्ठ बताया है, कैसे?
उत्तर :
लेखक ने शिरीष के वृक्ष को अन्य वृक्षों की तुलना में श्रेष्ठ बताया है। अन्य वृक्ष; जैसे-कनेर व अमलतास आदि ग्रीष्म ऋतु में फलते-फूलते हैं। ये बहुत कम समय तक ही पल्लवित रहते हैं, परंतु शिरीष के फूल बसंत से लेकर आषाढ़ तक खिले रहते हैं। इन पर लू या उमस का प्रभाव नहीं पड़ता। शिरीष का वृक्ष गर्मी, सर्दी में निर्विकार खड़ा रहता है। शिरीष के फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फूलों के निकलने के पश्चात् भी वे अपना स्थान नहीं छोड़ते, जब तक कि नए फूल, फल व पत्ते मिलकर उन्हें अपना स्थान छोड़ने पर विवश नहीं कर देते। शिरीष के फल व वृक्ष की दीर्घकालीन स्थिरता के कारण ही कवि ने इसे अन्य वृक्षों से श्रेष्ठ बताया है।
(ख) ‘पहलवान की ढोलक’ पाठ में राजा के द्वारा ‘लुट्टन सिंह’ पुकारे जाने पर किस-किसने आपत्ति की और क्यों? तब राजा ने क्या किया?
उत्तर :
श्यामनगर के दंगल में जब लुट्टन ने उस क्षेत्र के प्रसिद्ध पहलवान चाँद सिंह को परास्त कर दिया, तब राजा साहब ने उसे सम्मान देते हुए लुट्टन सिंह कहकर पुकारा। इस पर राज-पंडितों ने आपत्ति व्यक्त की, क्योंकि लुट्टन उच्च जाति कुल का सदस्य नहीं था, जिसे क्षत्रियों की उपाधि ‘ सिंह’ उपनाम से पुकारा जाए। मैनेजर साहब, जो स्वयं क्षत्रिय थे, ने तो यहाँ तक कह दिया कि यह तो सरासर अन्याय है। राजा ने यह कहकर उनका प्रतिकार किया कि उसने (लुट्टन ने) क्षत्रिय का काम किया है। अतः उसे सिंह की उपाधि देना उचित है।
(ग) ‘बाज़ार दर्शन’ निबंध उपभोक्तावाद एवं बाज़ारवाद की अंतर्वस्तु को समझने में बेजोड़ है। उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
‘बाज़ार दर्शन’ निबंध में उपभोक्तावाद और बाज़ारवाद की अंतर्वस्तु को बेहतर ढंग से स्पष्ट किया गया है। बाज़ार में दुकानदार किसी भी प्रकार से अपना सामान अधिक मात्रा में मनचाहे दाम पर बेचना चाहते हैं। वे ग्राहक को तरह-तरह से ललचाते हैं। ग्राहक बाजार में अनेक प्रकार की आकर्षक वस्तुएँ देखकर आकृष्ट हो जाता है और आवश्यकता न होने पर भी अनेक वस्तुएँ खरीद लेता है।
लेखक के शब्दों में, “बाजार है कि शैतान का जाल है? ऐसा सजा-सजाकर माल रखते हैं कि बेहया हो, जो न फँसे।” लेखक बाजारवाद को स्पष्ट करते हुए कहता है-‘“ ‘चे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे चाह जगती है। चाह मतलब इच्छा और यहाँ इसका अर्थ हुआ अभाव। चौक बाज़ार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि स्वयं उसके पास चीज़ें पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं, और चाहिए, और चाहिए।”
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) पिता की मृत्यु का समाचार भव्तिन को पिता की मृत्यु के उपरांत बहुत समय तक नहीं मिला, क्यों?
उत्तर :
पिता अपनी बेटी लछमिन अर्थात् भक्तिन से बहुत प्रेम करते थे, किंतु उसकी सौतेली माँ ईर्ष्यातु स्वभाव की थी। इसी कारण उसे डर था कि कहीं भक्तिन के पिता अपनी सारी संपत्ति बेटी के नाम न कर दें। इसी डर से उसकी सौतेली माँ ने उसे न तो उनकी बीमारी की सूथना भेजी और न ही मृत्यु का संदेशा ही समय पर दिया। उसे अपने पिता की मृत्यु का समाचार मायके आकर ही मिला।
(ख) ‘कैसी निर्मम बर्बादी है पानी की’ काले मेघा पानी दे पाठ के आथार पर इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘कैसी निर्मम बर्बादी है पानी की’ कथन का आंशय यह है कि पानी की कमी होने पर भी इंदर सेना के लड़कों की टोली पर बाल्टी भर-भर कर पानी फेंकना पानी की बर्बादी है। जहाँ एक ओर पानी की इतनी कमी है, वहीं लोग बड़ी कठिनाई से इकट्ठा किया हुआ पानी उन लड़कों पर फेंककर बर्बाद कर देते हैं, जबकि यह पानी उन्हें अपने उपयोग के लिए रखना चाहिए। यह मात्र एक अंधविश्वास है कि उन पर पानी फेंकने से इंद्र देव प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे।
(ग) जाति-प्रथा के पोषक लोग क्या स्वीकार करने को तैयार हैं, इसके कारण लोगों में काम के प्रति अरुचि क्यों उत्पन्न हो गई?
उत्तर :
जाति-प्रथा के पोषक लोग यह स्वीकार करने को तैयार हैं कि व्यक्ति को जीवन, शरीर तथा संपत्ति की सुरक्षा तथा अधिकार की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, परंतु वे मनुष्य की क्षमता के प्रभावशाली उपयोग की स्वतंत्रता की छूट देने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके कारण व्यक्ति विपरीत दशाओं में भी अपना व्यवसाय नहीं बदल सकता। इस कारण लोगों में काम के प्रति अरुचि उत्पन्न हो गई है तथा भारत में जाति-प्रथा काम के प्रति अरुचि उत्पन्न होने का एक मुख्य कारण बन गई।
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (4 × 1 = 4)
यशोधर बाबू को ऐसा क्यों लगता है कि उनका बड़ा बेटा भूषण अपने पैसों के बारे में घर में कुछ ज़्यादा ही चर्चा करता है?
अथवा
मुअनजोदडो की जल निकासी व्यवस्था की उत्कृष्टता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
यशोधर बाबू के बड़े बेटे भूषण का वेतन ₹ 1500 प्रतिमाह है। वह अन्य युककों की तरह जल्दी-से-जल्दी अमीर बनना चाहता है। वह घर में किसी-न-किसी काम के बहाने अपने पैसों की बात बोल ही देता है; जैसे- नया गाउन मैं लाया हूँ या घर में नौकर रख लो, मैं उसका वेतन दे दूँगा इत्यादि। पंत जी चाहते हैं कि उनका बेटा अपना वेतन उन्हें लाकर दे या उनके साथ ज्वाइंट एकाउंट खुलवा लें, परंतु बेटा ऐसा नहीं करता है। वह अपने ढंग से अपना वेतन घर में खर्च कर रहा है। वह घर में सोफा, डनलपवाला डबल बैड, सिंगार मेज, टी.वी., फ्रिज आदि ला रहा है, लेकिन समय-समय पर सभी चीजों पर अपना एकाधिकार भी जता देता है। इसीलिए यशोधर बाबू को लगता है कि उनका बड़ा बेटा भूषण अपने पैसों के बारे में कुछ ज़्यादा ही चर्चा करता है और यह उन्हें अच्छा नहीं लगता।
अथवा
मुअनजो-दड़ो में पानी की निकासी का सुव्यवस्थित प्रबंध बहुत ही प्रशंसनीय है। घरों की नालियों में पक्की ईटें होती थीं। ढकी हुई नालियाँ मुख्य सड़क के दोनों ओर समांतर दिखाई देती हैं। बस्ती के भीतर भी इनका यही रूप है। प्रत्येक घर में एक स्नानघर है। घरों के भीतर से पानी या मैल की नालियाँ बाहर हौदी तक आती हैं और फिर नालियों के जाल से जुड़ जाती हैं। कहीं-कहीं वे खुली हैं, पर ज्यादातर बंद हैं।
स्वास्थ्य के प्रति मुअनजो-दड़ो के बाशिंदों के सरोकार का यह बेहतर उदाहरण है। इसलिए वहाँ की जल निकासी व्यवस्था अत्यधिक सुदृढ़ है। वर्तमान समय में भी इसी तकनीक को अपनाया गया है। बड़े-बड़े शहरों और महानगरों में जो सीवर व्यवस्था है, वह किसी रूप में मुअनजो-दड़ो की जल निकासी व्यवस्था से प्रभावित रही होगी। यही कारण है कि जिस प्रकार आज की नालियाँ और सीवर के होल ढके हुए होते हैं उसी प्रकार साफ़-सफ़ाई और स्वार्थ्य की दृष्टि से सभी छोटी-बड़ी नालियाँ ढकी होती थीं। अंततः कहा जा सकता है कि नगर की जल निकासी बेजोड़ तथा अद्भुत थी।