Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 2 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 2 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित बोध, अभिव्यक्ति और माध्यम, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित बोध –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।
महात्मा गाँधी उस महान् व्यक्ति का नाम है, जो हिंसा को अहिंसा से, घृणा को प्रेम से और अविश्वास को विश्वास से जीतने में यकीन रखते थे। आज गाँधीजी तो नहीं हैं, लेकिन उनके विचार एवं क्रियात्मक योगदान 21 वीं शताब्दी में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। महात्मा गाँधी ने जनभावना को महत्त्व देकर और परंपरागत राष्ट्रवाद को परिष्कृत कर 21 वीं सदी के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया। विभिन्न समुदायों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए उन्होंने विविध प्रकार के रचनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। गाँधीजी की विचारधारा परंपरागत राष्ट्रीयता से ऊपर थी। उनका राष्ट्रधर्म वैश्विक था। वे भारतीय संस्कृति से प्रभावित होते हुए भी वेदों में अभिव्यक्त संपूर्ण पृथ्वी के वंदन में विश्वास करते थे- ‘माता भूमि: पुत्रोऽह पृथिव्या:।’ गाँधीजी ने राष्ट्रवाद को भारतीय चितन के अनुरूप वैश्विक बनाकर संकटग्रस्त विश्व को एक नई दिशा प्रदान की।
गाँधीवाद के अंतर्गत सर्वधर्म समभाव की नीति की प्रासंगिकता आज स्पष्ट है। सर्वधर्म समभाव का विचार आज एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक अनिवार्यता बन चुका है। धर्म तो व्यक्तिगत आस्था का विषय है। उसे सामाजिक स्तर पर लाने के लिए ‘सर्वधर्म समभाव’ तक आना ही होगा। धार्मिक कट्टरता आज हमें आण्विक आतंकवाद की दहलीज़ पर पहुँचा चुकी है। ऐसी विषम परिस्थिति में ही स्वामी विवेकानंद ने ‘विश्व धर्म’ एवं गुरुदेव रवींद्रनाथ ने ‘मानव धर्म’ की संकल्पना की थी। यदि विज्ञान सार्वभौमिक हो सकता है, तो धर्म भी सार्वभौमिक होना चाहिए, क्योंकि किसी भी धर्म को श्रेष्ठ समझने का अर्थ है, दूसरे धर्म को हीन समझना नहीं। गाँधीजी ने इस तथ्य को समझाते हुए धर्म को वैश्विक एवं सार्वभौमिक बनाने की कोशिश की। आज के उत्तर-आधुनिक समाज में भी संकुचित सांप्रदायिक विचारधारा एवं अंध कट्टरतावाद को कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
धर्म को सिर्फ नैतिकता का पर्याय मानना चाहिए। आज के वैश्विक संकट का एक प्रमुख कारण सिद्धांतविहीन राजनीति है। मैकियावेली की नीति से असहमत होते हुए गाँधीवाद के अंतर्गत राजनीति में साधन शुद्धि का समावेश कर राजनीति को एक नया आयाम प्रदान किया गया। गाँधीजी ने अन्याय का प्रतिकार करने के लिए शस्त्र के स्थान पर नि:शस्त्र वीरता को प्रदर्शित किया। अहिंसक प्रतिकार को सामूहिक रूप प्रदान कर उसे अत्यधिक शक्तिशाली हथियार बना दिया। आज सभी लोकतांत्रिक समाजों में इस शक्तिशाली हथियार का सर्वाधिक उपयोग होता है।
(क) महात्मा गाँथी ने 21 वीं सदी के लिए एक आदर्श कैसे प्रस्तुत किया?
(i) जनभावना को महत्त्व देकर
(ii) परंपरागत राष्ट्रवाद को परिष्कृत कर
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) अपने विचारों को प्रस्तुत कर
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों
(ख) विभिन्न समुदायों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए गाँधीजी ने क्या किया?
(i) विविध विचारकों के विचार प्रस्तुत किए
(ii) भारतीय संस्कृति का महत्त्व उजागर किया
(iii) विभिन्न प्रकार के रचनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किए
(iv) अहिंसा पर बल दिया
उत्तर :
(iii) विभिन्न प्रकार के रचनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किए
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
कथन I. गाँधीजी का राष्ट्र धर्म वैश्विक था।
कथन II. गाँधी की विचारधारा परंपरागत राष्ट्रीयता पर आधारित थी।
कथन III. धर्म को सामाजिक स्वरूप प्रदान करने के लिए ‘सर्वधर्म समभाव’ का विचार अपनाना चाहिए। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) I और III
उत्तर :
(iv) 1 और 3
(घ) प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार गाँधीजी ने राष्ट्रवाद को भारतीय चितन के अनुरूप वैश्विक बनाकर क्या कार्य किया?
(i) वेदों को अभिव्यक्ति प्रदान की
(ii) संकटप्रस्त विश्व को एक नई दिशा प्रदान की
(iii) भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया
(iv) धर्म को मान्यता प्रदान की
उत्तर :
(ii) संकटप्रस्त विश्व को एक नई दिशा प्रदान की
(ङ) धर्म को सामाजिक स्तर पर लाने के लिए क्या करना होगा?
(i) सर्वधर्म समभाव को अपनाना होगा
(ii) व्यक्तिगत आधार को अपनाना होगा
(iii) सांस्कृतिक महत्त्व को अपनाना होगा
(iv) राष्ट्रवाद को अपनाना होगा
उत्तर :
(i) सर्वधर्म समभाव को अपनाना होगा
(च) धार्मिक कट्टरता की समाप्ति के लिए रवींद्रनाथ टैगोर ने किसकी संकत्पना की?
(i) मानव धर्म की
(ii) विश्व धर्म की
(iii) सर्वधर्म समभाव की
(iv) साहित्य धर्म की
उत्तर :
(i) मानव धर्म की
(छ) ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्या:’ गाँधीजी द्वारा कहे गए इस कथन का अभिप्राय है कि
(i) मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ.
(ii) पृथ्वी मेरी माता है
(iii) वे संपूर्ण पृथ्वी की वंदना में विश्वास करते थे
(iv) गाँधीजी ने राष्ट्रवाद को वैश्विक स्वरूप प्रदान किया
उत्तर :
(iii) वे संपूर्ण पृथ्वी की वंदना में विश्वास करते थे
(ज) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकत्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) गाँधीजी अन्याय का प्रतिकार करने के लिए निःशस्त्र वीरता के पक्षधर थे।
कारण (R) गाँधीजी हिंसा को अहिंसा से जीतने में विश्वास रखते थे।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) को सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) सही नहीं है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) को सही व्याख्या करता है
(झ) आज सभी लोकतांत्रिक समाजों में किस शक्तिशाली हथियार का सर्वाधिक उपयोग होता है?
(i) धार्मिक कट्टरता का
(ii) अहिंसा का
(iii) हिंसा का
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) अहिंसा का
(ञ) प्रस्तुत गद्यांश किस विषय-वस्तु पर आधारित है?
(i) गाँधीजी और भारत
(ii) गाँधीजी की प्रासंगिकता
(iii) गाँधीजी और विवेकानंद के विचार
(iv) घर्म और राजनीति
उत्तर :
(ii) गाँधीजी की प्रासंगिता
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बन अशोक में लंकेश्वर के जनक-नंदिनी थी रोती,
पूर्वजन्म के किए पाप को नयन सलिल से थी धोती,
जिसका फल पा पृथक् हुई थी प्राणनाथ से वह अपने,
जिसने बना दिए थे सब सुख जैसे निर्धन के सपने।
घिरी निशाचरियों से वह थी देती दिखलाई ऐसे
काँटों से आवृत्त मृदु वल्ली दिखती मुरझाई जैसे,
अथवा चंद्रकिरण दिखती ज्यों घिरी मेघ के खंडों से,
अथवा ज्यों मुरझाई नलिनी आवृत्त कर्दम पिंडों से।।
पत्र-पीतिमा पतझड तरु की छाई थी उसके मुख पर,
काली छाया दुष्टदेव की मँडराती जिससे मिलकर,
लाली मधुर कुसुम पाटल की चली गई थी मुख पर से
पीली सरसों के नयनों से भी थे हिमजल कण बरसे।।
व्यथित हदय की विकल बेदना रो-रो उठती थी पल-पल,
बहते नयनों के निर्झर थे करते क्रंदन मौन विकल।
खारे आँसू बह नयनों से मलिन कपोलों को करते,
हुदय-कूप-दु:ख मलिन-सलिल को धीरे निष्कासित करते।।
रोते-रोते सूख चला था उसके नयनों का पानी,
समझ नहीं आती है बहुधा मूढ़ दैव को नादानी,
काँप-काँप थे उठते जिसके भय से जग के वीर महा
उसकी ही पत्नी थी रोती नयन-नीर की नदी बहा।।
(क) प्रस्तुत पद्यांश में सीता के रोने का क्या कारण था?
(i) अशोक वन में बंदी बनाया जाना
(ii) भूत-प्रेतों का डर सताना
(iii) पर्याप्त सुविधाएँ न मिलना
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) अशोक वन में बंदी बनाया जाना
(ख) सीता द्वारा अपने प्राणनाथ से अलग होने का कारण किसे माना गया है?
(i) अहंकार को
(ii) पूर्वजन्म के पापों को
(iii) राज्य त्यागकर वन गमन को
(iv) रानी कैकेयी को
उत्तर :
(ii) पूर्वजन्म के पापों को
(ग) ‘खारे औसू बह नयनों से मलिन कपोलों को करते’ पंक्ति में ‘मलिन’ का अर्थ है
(i) मैला
(ii) खराब
(iii) उदास
(iv) धूमिल
उत्तर :
(iv) धूमिल
(घ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सीता को रावण ने महल में बंदी बनाकर रखा हुआ था। –
2. फूलों की लालिमा के समान सीता के मुख पर प्रसन्नता की आभा दिखाई देती थी।
3. श्रीराम के वियोग में रोते-रोते सीता के नयनों का जल भी सूख गया था। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(ii) केवल 3
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए (1)
कॉलम – 1 | कॉलम – 2 |
A. जनक नंदिनी | 1. श्री राम |
B. पूर्वजन्म के पापों को धोती | 2. सीता |
C. जिसके भय से महावीर काँप उठते | 3. नयन सलिल |
कूट
A B C
i. 3 2 1
ii. 1 3 2
iii. 2 3 1
iv. 3 1 2
उत्तर :
(iii) 2 3 1
अभिव्यक्ति और माध्यम –
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
(क) सूची I को सूंची II से सुमेलित कीजिए
सूची I | सूची II |
A. किसी विशेष विषय पर प्रधान लेख | 1. विश्लेषणात्मक रिपोर्ट |
B. ज्ञानवर्धन करना | 2. सहायक संपादक |
C. संपादकीय लिखने का दायित्व | 3. फीचर का उद्देश्य |
D. घटना से जुड़े तथ्यों का विश्लेषण | 4. फीचर |
कूट
A B C D
(i) 2 1 4 3
(ii) 3 2 1 4
(iii) 4 3 2 1
(iv) 1 4 3 2
उत्तर :
(iii) 4 3 2 1
(ख) ‘पेज थ्री’ पत्रकारिता के अंतर्गत क्या आता है? (1)
(i) फैशन
(ii) अमीरों की पार्टियाँ
(iii) जाने-माने लोगों का निजी जीवन
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ग) पत्रकारिता की भाषा में आमुख को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है?
(i) इंट्रो
(ii) मुखड़ा
(iii) लीड
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(घ) निम्नलिखित में से किस विधा को पढ़ने, सुनने के साथ देखा भी जा सकता है?
(i) कहानी
(ii) निबंध
(iii) नाटक
(iv) कविता
उत्तर :
(iii) नाटक
(ङ) कहानी लिखने की कला सीखने का सबसे अच्छा और सीधा तरीका क्या है? (1)
(i) अच्छी कहानियाँ पढ़ी जाएँ
(ii) अच्छी कहानियों का विश्लेषण किया आए
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) अच्छी कहानियों में समाज के हित को महत्त्व नहीं देना
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। हो जाए न पथ में रात कहीं (1 × 5 = 5)
जल्दी-जल्दी चलता है।
मंजिल भी तो है दूर नहीं
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
यह सोच थका दिन का पंथी भी
(क) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(i) जल्दी-जल्दी – पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ii) हो जाए न पथ में रात – यमक अलंकार
(iii) मंजिल भी तो है दूर नहीं – उत्र्रेक्षा अलंकार
(iv) यह सोच थका दिन का पंथी भी – अनुप्रास अलंकार
उत्तर :
(i) जल्दी-जल्दी-पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ख) कवि के मन में एक आशंका है। वह आशंका क्या है?
(i) घर पहुँच पाने की
(ii) घर न पहुँच पाने की
(iii) घर पहुँचने से पहले ही रात हो जाने की
(iv) यात्रा बिना रुकावट पूरी हो जाने की
उत्तर :
(iii) घर पहुँचने से पहले ही रात हो जाने की
(ग) कवि किस आशा से प्रेरित हो उठता है?
(i) मंजिल पास ही आने वाली है
(ii) कोई उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा है
(iii) मंजिल तक पहुँचने में बहुत समय शेष है
(iv) मंजिल तक पहुँचकर वह कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएगा
उत्तर :
(i) मंजिल पास ही आने वाली है
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) कवि को समय शीघ्रता से बीतता हुआ प्रतीत होता है।
कारण (R) लक्ष्य को पाने की व्यग्रता।
कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) क्थन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) ‘जल्दी-जल्दी चलता हैं पंक्ति से कवि का आशय है कि पथिक को
(i) अपने साथी को पाने की जल्दी है
(ii) अपने भोजन को खाने की शीघ्रता है
(iii) अपने लक्ष्य को पाने की शीघ्रता है
(iv) अपने स्वार्थ के कारण जल्दी है
उत्तर :
(iii) अपने लक्ष्य को पाने की शीघता है
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बाजार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह का काम करता है। वह रूप का जादू है। पर जैसे चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है, तो बाजार की अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुँच जाएगा। कहीं हुई उस वक्त जेब भरी, तब तो फिर वह मन किसकी मानने वाला है। मालूम होता है यह भी लूँ, वह भी लूँ। सभी सामान जरूरी और आराम को बढाने वाला मालूम होता है। पर यह सब जादू का असर है। जादू की सवारी उतरी कि पता चलता है कि फैंसी चीजों की बहुतायत आराम में मदद नही देती, बल्कि खलल ही डालती है। थोड़ी देर को स्वाभिमान को जरूर सेंक मिल जाती है पर इससे अभिमान की गिल्टी को और खुराक ही मिलती है। जकड रेशमी डोरी की हो तो मुलायम रेशम के स्पर्श के कारण क्या वह जकड़ कम होगी?
(क) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पद्रिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) मन का खालीपन बाजारवाद को बढ़ावा देता है।
कारण (R) मन खाली होने पर बाजार में बिकने वाली अनेक तरह की जरुरी व गैर-जरूरी वस्तुएँ व्यक्ति को आकर्षित करती हैं।,
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) सरी नहीं है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) क्थन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ख) लेखक के अनुसार, बाजार के जादू की क्या मर्यादा है?
(i) वह केवल उन लोगों पर असर करता है, जिनके मन खाली होते है
(ii) वह केवल उन लोगों पर असर करता है, जो वस्तु खरीदने आते हैं
(iii) वह केवल अमीर लोगों पर असर करता है
(iv) वह केवल गरीब लोगों पर असर करता है
उत्तर :
(i) वह केवल उन लोगों पर असर करता है, जिनके मन खाली होते हैं
(ग) गद्यांश के आथार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जेब में पैसा न होने पर बाजार की वस्तुएँ आकर्षित नहीं करतीं।
2. दिखावटी चीजें अधिक होने पर मन को संतुष्टि मिलती है।
3. बाजार का जादू आँखों के माध्यम से मन पर चलता है। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(ii) केषल 3
(घ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम – 1 | कॉलम – 2 |
A. ग्राहक को अपनी ओर खींचता है | 1. आकर्षित करने वाली चीजें जीवन में महत्त्व नहीं रखतीं |
B. बाजार का जादू उतरने पर | 2. बाजारवाद को बढ़ावा देता है |
C. मन का खालीपन | 3. बाजार का जादू |
कूट
A B C
(i) 3 1 2
(iii) 1 3 2
(ii) 2 1 3
(iv) 2 3 1
उत्तर :
(i) 3 1 2
(ङ) बाज़ार के जादू के आकर्षण की तुलना …… की गई है।
(i) धन से
(ii) चुंबक से
(iii) रेशमी डोरी से
(iv) सवारी से
उत्तर :
(ii) चुंबक से
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
(क) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में यशोधर बाबू को जब देर तक ऑफिस में काम करना पड़ता है, तब वे कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं? (1)
(i) वे अपने जूनियर कर्मचारियों पर इसका क्रोध व्यक्त करते हैं
(ii) वे नए कर्मचारियों से अपना काम करवा लेते हैं
(iii) वे प्रसन्नचित्त होकर काम करते हैं
(iv) वे मन-ही-मन दु:खी होते हैं
उत्तर :
(iii) वे प्रसन्नचित्त होकर काम करते हैं
(ख) यशोधर बाबू नए युग और विचारों का विरोध किस प्रकार करते हैं?
(i) वे अपना तकिया कलाम ‘समहाउ इंप्रॉपर’ बोलकर विरोध करते हैं
(ii) वे अपने विचारों को स्वर्य तक सीमित रखते हैं
(iii) वे अपने परिवार को परंपरावादी बनाते हैं
(iv) वे समाज में सिद्धांतों का महत्त्व स्पष्ट करते रहते है
उत्तर :
(i) वे अपना तकिया कलाम ‘समहाउ इंप्रॉपर’ बोलकर विरोध करते है
(ग) यशोधर बाबू ने कौन-सा कार्य किशनदा से विरासत में प्राप्त किया था?
(i) अपने घर पर होली मनाना
(ii) जनेक बदलने के लिए कुमाऊँनियों को अपने घर आमंत्रित करना
(iii) रामलीला वालों को एक कमरा दे देना
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(iv) उपरोक्त सभी
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। कथन (A) यशोधर बाबू अपने परिवार के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते थे। कारण (R) यशोधर बाबू की सोच में नए विचार निरर्थक थे।
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्यख्या करता है।
(ङ) ‘जूझ’ पाठ में आनंदा की कक्षा में शरारत किस कारण कम होने लगी?
(i) वसंत के आ जाने से
(ii) गणित के अध्यापक द्वारा शरारती लड़कों की पिटाई किए जाने से
(iii) मराठी अध्यापक सौंदलगेकर के आने से
(iv) छात्रों में जागरूकता पैदा होने से
उत्तर :
(ii) गणित के अध्यापक द्वारा शरारती लड़कों की पिटाई किए जाने से
(च) ‘जूझ’ पाठ के अनुसार लेखक ने अपनी जन्मजात प्रतिभा का परिचय किस प्रकार दिया?
(i) नए-नए विषयों पर कविता लिखकर
(ii) विद्यालय में प्रवेश लेकर
(iii) पिता का विरोध करके
(iv) माता की आज्ञा का पालन करके
उत्तर :
(i) नए-नए विषयों पर कविता लिखकर
(छ) सिंघु घाटी की सभ्यता के लिखित प्रमाण न मिलने का क्या कारण हो सकता है?
(i) यह सभ्यता बहुत अधिक विशाल है
(ii) इतनी पुरानी सभ्यता के लिखित प्रमाण मिलने संभव नहीं
(iii) इस सभ्यता में केवल मौखिक प्रमाण मिलते हैं
(iv) यह सभ्यता अत्यंत सीमित और कमजोर थी
उत्तर :
(ii) इतनी पुरानी सभ्यता के लिखित प्रमाण मिलने संभव नहीं
(ज) पुरातात्विक साब्यों से हड्पा और मुअनजो-दडो के विषय में क्या जानकारी प्राप्त होती है?
(i) इन संस्कृतियों की सांस्कृतिक विशालता का पता चलता है
(ii) इन संस्कृतियों की चित्रकला का पता चलता है
(iii) इन संस्कृतियों के समाप्त होने के कारण का पता चलता है
(iv) इन संस्कृतियों की संकुचित सोच का पता चलता है
उत्तर :
(i) इन संस्कृतियों की सांस्कृतिक विशालता का पता चलता है
(झ) आनंदा के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) आनंदा अपने मन की बात अपने दादा से नहीं कर पाता था
(ii) आनंदा जीवनभर विपरीत परिस्थितियों से जूझता रहा
(iii) आनंदा ने अपना आत्मविश्वास कभी नहीं खोया
(iv) आनंदा को बचपन से ही कविता लिखने में रुचि थी
उत्तर :
(iv) आनंदा को बचपन से ही कविता लिखने में रुचि थी
(ञ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग मूलत: खेतिहर व पशुपालक थे।
2. सिंघु घाटी के लोग गेहूँ, जौ, सरसों, चने तथा कपास की खेती करते थे।
3. सिंधु घाटी के लोग खरबूजा व अंगूर का उत्पादन भी करते थे।
4. सिधु घाटी में बैलगाड़ियों का प्रयोग परिवहन के साधन के रूप में होता था। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) 1, 2 और 3
(iv) 1, 2 और 4
उत्तर :
(iii) 1, 2 और 3
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में जनसंचार और सृजनात्मक लेखन, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन –
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) सोशल मीडिया का जाल
उत्तर :
आज हम उस समय या युग में हैं, जहाँ सूचना केवल एक बटन दबाने पर ही मिल जाती है। इसके कारण हम अपने चारों ओर होने वाली जानकारीयों से अवगत हो जाते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से हमें किसी भी चीज के बारे में जानने, पढ़ने, समझने और बोलने का अवसर मिलता है। सोशल मीडिया उन बड़े तत्त्वों में से एक है, जिसके साथ हम जालरूपी संरचना से जुड़े हुए हैं और जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते।
सोशल मीडिया वेबसाइटों, अनुप्रयोगों और अन्य प्लेटफॉर्मो का संग्रह है, जो हमें जानकारियों का आदान-प्रदान करने तथा सोशल सोशल मीडिया वेबसाइटो, अनुप्रयोगों और अन्य प्लेटफॉर्मो का संग्रह है, जो हमें जानकारियों का नेटवर्किंग में भाग लेने में सहायता करता है। सोशल मीडिया ब्लॉरिंग और चित्रों को साझा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें सुदृढ़ उपकरण भी प्रदान करता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सोशल मीडिया का प्रभाव बहुत दूर तक फैला हुआ है। यह किसी की छवि को बना या बिगाड़ भी सकती है।
सोशल मीडिया आज विवाद का विषय बनी हुई है। कुछ लोग इसे वरदान समझते हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसे एक अभिशाप मानते हैं। लोग अधिकतर यह अनुभव करते हैं कि सोशल मीडिया ने तेज गति के साथ मानवीय अंतः्रियाओं को नष्ट कर, आधुनिक मानव संबंधों में परिवर्तन कर दिया है, लेकिन कुछ लोग इसे वरदान मानते हैं, क्योंकि इसके कारण वे स्वयं को दुनिया के हर कोने से मानव संबधों में परिवर्तन कर दिया है, लुआ अनुभव करते हैं। इसके द्वारा वे दूर बसे अपने प्रियजनों से बात भी कर सकते हैं तथा जागरूकता फैला सकते हैं, साथ ही सुरक्षा हेतु उन्हें चेतावनियाँ भी भेज सकते हैं। ऐसा बहुत कुछ है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा सकता है। सोशल मीडिया की उपस्थिति ने हमारे जीवन को सुविधाजनक, आसान और बहुत गतिशील बना दिया है।
(ख) परीक्षा का दिन
उत्तर :
परीक्षा विद्यार्थी जीवन का अभिन्न अंग है। एक विद्यार्थी के जीवन में परीक्षाओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है। परीक्षा का सामना करना परीक्षा विद्यार्थी जीवन का अभन्न अंग है एक विद्यार्थी के जीवन में परीक्षाओ का महत्व्वपूर्ण स्थान होता है। प्रत्यार्थी के लिए सामान्य बात है, कितु फिर भी प्रत्येक विद्यार्थी परीक्षा के दिन घबराहट महसूस करता है। कुछ विद्यार्थियों को तो परीक्षा के दिनों में चिंता के कारण नींद तक नहीं आती। अनेक विद्यार्थियों का यह विश्वास होता हैं कि परीक्षा के दिन या उससे एक दिन पहले ही जो वे पढ़ते हैं, वही उन्हें याद रहता है। पहले का पढ़ा हुआ वे सब कुछ भूल जाते हैं। इस कारण वे परीक्षा से एक दिन पहले पूरे दिन व रात पढ़ते रहते हैं तथा जब वे परीक्षा देने बेठते हैं, तो थकान व नींद के कारण अपनी परीक्षा ठीक से नहीं दे पाते।
परीक्षा की इस चिंता को दूर करने का उपाय है- आत्मविश्वास अर्थात् अपने पर विश्वास रखना। एक विद्यार्थी को किसी भी परीक्षा को देने से पूर्व जो भी अब तक उसने अध्ययन किया है, याद किया है उस पर विश्वास रखना चाहिए।
विद्यार्थी को परीक्षा की सफलता या असफलता की चिंता न करते हुए मन में दृढ़ विश्वास रखना चाहिए कि पूरे वर्ष जो कुछ भी उन्होंने पढ़ा है, उसे वे भली-भाँति लिख पाएँगे। उन्हें निर्धारित समय पर निश्चिततापूर्वक घर से निकलना चाहिए तथा प्रश्न-पत्र मिलने पर प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। फिर सोच-समझकर प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए।
अतः परीक्षा के दिनों में विद्यार्थी को आत्मविश्वास रखना चाहिए, जिससे वे सफलता की ओर निर्बाध रूप से बढ़ सकें।
(ग) आजादी का अमृत महोत्सवः स्वर्णिम 75 साल
उत्तर :
आजादी का अमृत महोत्सवः स्वर्णिम 75 साल भारत एक विशालकाय देश है, जहाँ विभिन्न जाति, घर्म, समुदाय, रंग-रूप, संस्कृति के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। भारत के संविधान को विश्व का सबसे बड़ा संविधान कहा जाता है। हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ था। इसी आजादी को कुछ नए ढंग से मनाते हुए लोगों के अंदर देश के प्रति भक्ति भावना को तीव्र करने के लिए 21 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव का ऐलान किया था, जिसे अति उत्साह के साथ आने वाले 15 अगस्त, 2023 तक मनाया जाएगा। आजादी का अमृत महोत्सव किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र में तिरंगा झंडा फहराने के लिए प्रेरित करता है। इस वर्ष आजादी दिवस पर हर घर तिरंगा योजना चलाई गई।
आजादी अमृत महोत्सव सभी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है। इस महोत्सव का उद्देश्य भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों तथा उपलब्धियों के बारे में आम लोगों को अवगत कराना तथा उन्हें जागरूक करना है। देश के सभी सैन्य बल व सभी शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव अत्यधिक उत्लास के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में मनाया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव का हर राज्य के मुख्यमंत्री बढ़-चढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं। सबसे पहले भारत के तत्कालिक रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भिन्न- भिन्न तरीके से रक्षा विभागों का उद्घाटन किय्या इसके अतिरिक्त राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा की सभी वस्तुओं को अलग-अलग राज्य में प्रदर्शनी के लिए पहुँचाया गया। आजादी के अमृत महोत्सव ने सभी भारतवासियों के दिल में देश के प्रति सम्मान और गौरव का माहौल बनाया।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) नाटक को मंच पर संगीत, सज्जा, प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ अभिनय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस कथन के आलोक में नाटक में रंगमंचीयता के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
“कहानी लेखन में भाषा एक अनिवार्य तत्त्व है” इस कथन के आलोक में भाषा-शैली के योगदान की समीक्षा कीजिए।
उत्तर :
नाटक का सबसे प्रभावशाली तत्त्व रंगमंचीयता है। नाटक रंगमंच के लिए ही लिखे जाते हैं। वही नाटक सफल माना जाता है, जिसका मंचन किया जा सके। रंगमंच का क्षेत्र बड़ा व्यापक है। बिना रंगमंच के नाटक अपूर्ण है। नाटक जब मंचित होता है, तो उसमें केवल पात्र ही नहीं बोलते, बल्कि पूरा मंच बोलता है। इसमें मंच सज्जा, रूप सज्जा, वेशभूषा सभी बोलते हैं। नाटक में जितनी अधिक मंचीय संभावनाएँ होती हैं, वह नाटक उतना ही अधिक सफल होता है। रंगमंच सजीव और साकार कला का माध्यम है। अतः रंगमंच नाटक की वास्तविक कसौटी होता है।
अथवा
भाषा-शैली कहानी लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह कहानी के स्वर और वातावरण को आकार देने में मदद करती है। भाषा पात्रों की भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने में भी मदद करती है। अलंकरिक भाषा का उपयोग; जैसे-रूपक, उपमा और प्रतीकवाद कहानी के वातावरण में योगदान देती है और कहानी को गहरा अर्थ प्रदान करती हैं। यह एक आवश्यक तत्त्व है जो पाठक पर कहानी के समत्र प्रभाव को बढ़ाता है। अतः कहानी की भाषा ऐसी होनी चाहिए, जो पाठक को अपनी ओर आकर्षित करे। कहानी की भाषा सरल, सहज तथा प्रभावमयी होनी चाहिए।
(ख) मौलिक प्रयास एवं अभ्यास को बाधित करने वाली निर्भरता व्यक्ति के अंदर किस क्षमता को विकसित नहीं होने देती? अप्रत्याशित विषयों के लेखन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जनसंचार का कौन-सा आथुनिक माध्यम सबसे पुराना है? इसकी शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर :
जो लोग आत्मनिर्भर होकर लिखित रूप में अभिव्यक्ति का अभ्यास नहीं करते उन्हें अप्रत्याशित विषयों पर लिखना एक चुनौती के समान लगता है। रटने की बुरी आदत हमें अभ्यास का अवसर नहीं देती और हम दूसरों द्वारा तैयार की गई सामत्री को ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देते हैं। यह निर्भरता हमारे मौलिक अभ्यास को बाधित करती है और हमारी लिखित अभिव्यक्ति की क्षमता को विकसित नहीं होने देती। अतः आवश्यक है कि हमें निबंध के परंपरागत विषयों को छोड़कर नए प्रकार के विषयों पर लिखने का अभ्यास करना चाहिए।
अथवा
जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम प्रिंट अर्थात् मुट्रण माध्यम है। इसकी शुरुआत चीन से हुई थी, परंतु आघुनिक छापेखाने का आविष्कार जर्मनी के गुटेनबर्ग ने किया था। यूरोप में पुनर्जागरण ‘रेनेसाँ’ की शुरुआत में छापेखाने की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। भारत में पहला छापा खाना 1556 ई. में गोवा में खुला। इसे मिशनरियों ने धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए खोला था।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘महानगरों के विद्यालयों में प्रवेश की समस्या से जूझते अभिभावक’ विषय पर फ़ीचर लिखिए।
उत्तर :
महानगरों के विद्यालयों में प्रवेश की समस्या से जूझले अमिभावक
जैसे-जैसे देश की जनता में अपने बच्च्वों को शिक्षित करने के प्रति जागरूकता आई है, वैसे-वैसे विद्यालयों में विशेष रूप से महानगरों के विद्यालयों में प्रवेश की समस्या बढ़ रही है। अभिभावक चाहते हैं कि वह अपने बच्चों का प्रवेश महानगर के किसी अच्छे विद्यालय में कराऐ। इसके लिए देश में एक होड़-सी लग गई है। यह समस्या इतनी जटिल हो गई है कि अभिभावक निजी विद्यालयों में अपने बच्वों के दाखिले के लिए चक्कर काट-काटकर हार जाते हैं, लेकिन दाखिला नहीं हो पाता। दिल्ली महानगरों के पब्लिक स्कूलों में दाखिले के लिए पाँच से दस लाख तक का डोनेशन देना पड़ता है और तब भी प्रवेश आसानी से नहीं हो पाता। तब अभिभावकों को दलालों का सहारा लेना पड़ता है। गरीब बच्च्वों को इन विद्यालयों में दाखिला नहीं मिलता और कभी किसी छात्र को मिल भी जाए तो वह इतना महँगा होता है कि वहाँ पढ़ नहीं सकता। इन विद्यालयों में प्रति माह की फीस ही आठ-दस हजार रुपया महीना होती है। इस प्रकार देश के सभी हिस्सों में बच्च्चों के दाखिले की समस्या कठिन है पर मुंबई, चेन्नई, भोपाल, पुणे आदि में यह समस्या विकट है। जब तक सरकार की ओर से इस संबंध में कोई कठोर कदम नहीं उठाएँ जाएँगे तब तक यह समस्या जैसी है वैसी ही बनी रहेगी। अत: इन महानगरों के निजी विद्यालयों पर केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कार्यवाही करनी होगी, तभी यह विकट समस्या समाप्त हो सकती है।
(ख) समाचार लेखन में ‘आमुख’ की क्या भूमिका होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आमुख को ‘ मुखड़ा’, ‘ इंट्रो’ (Intro) या ‘लीड (Lead) भी कहा जाता है। यह समाचार का पहला अनुच्छेद होता है। आमुख में समाचार के सबंध में तीन प्रश्न क्या, कहाँ, कब का परिचय दिया जाता है। कभी-कमी आमुख के तहत कौन, क्यों तथा कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर देना ; भी जरूरी हो जाता है। आमुख में घटना क्या है अथवा विशिष्ट क्थन क्या था बताया जाना महत्त्वपूर्ण है।
आमुख सारगर्मित, संक्षिप्त तथा वोस होना चाहिए।
समीक्षकों के अनुसार आमुख 30-35 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
आमुख में किंतु, परंतु, लेकिन जैसे शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। ये शब्द आमुख को अव्यवस्थित तथा अयथार्थपरक बना देते हैं। हेरॉल्ड इवेन्स के अनुसार, “समाचार के भीतर छिपे किती ‘संकेत शब्द’ को ही आमुख का आधार बनाया जाना चाहिए।”
(ग) आमतौर पर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों को उजागर करने के लिए किस रिपोर्ट का उपयोग किया जाता है व क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आमतौर पर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों को उजागर करने के लिए खोजी रिपोर्ट का प्रयोग किया जाता है। खोजी (इन्वेस्टिगेटिव) रिपोर्ट में रिपोर्टर मौलिक शोध और छानबीन के माध्यम से ऐसी सूचनाएँ या तथ्य सामने लाता है, जो सार्वजनिक तौर पर पहले से उपलब्ध नहीं थीं। ऐसी रिपोरों को लिखने के लिए किसी घटना, समस्या या मुद्दे की गहरी छानबीन की जाती है एवं उससे संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया जाता है। तथ्यों के विश्लेषण के द्वारा उसके नतीजे, प्रभाव और कारणों को स्पष्ट किया जाता है।
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2 –
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) फिराक की रुबाइयों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बच्चे की हँसी की गूँज सबसे ज्यादा कब गूँजती है और कैसे? (3)
उत्तर :
फिराक की रुबाइयों के अनुसार, एक माँ जब अपने चाँद के टुकड़े जैसे सुंदर बच्चे को लिए हुए आँगन में खड़ी होती है, तब वह कभी बच्चे को अपने हाथों में झुलाती हैं, तो कभी हवा में उछाल कर हाथों में पुन: थाम लेती है। मां के द्वारा ऐसा करने पर बच्चा खिल-खिलाकर हँंस पड़ता है। बच्चे की यह खिल-खिलाहट भरी हँसी पूरे वातावरण में गूँज जाती है।.माँ के अत्यधिक स्नेह व प्रेम के कारण बच्चे की हँसी गूँजती है।
(ख) शोकग्रस्त वातावरण में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है? (3)
उत्तर :
मेघनाद के शक्तिशाली शक्तिबाण से मूच्छित लक्ष्मण का उपचार कठिन था। इसके लिए लंका के वैद्य सुपेण ने हिमालय में अवस्थित द्रोण पर्वत से संजीवनी बूटी लाने की बात कही। राम के निर्देश पर हनुमान संजीबनी बूटी लाने आकाश मार्ग से हिमालय की ओर चल पड़े। अर्द्ध-रात्रि तक हनुमान के नहीं लौटने से राम अत्यंत दु:खी हुए। उन्हें भाई का बिछोह संतप्त कर रहा था। शोक ग्रस्त राम जीवन के अतीत की घटनाओं पर विचार करते हुए, विलाप कर रहे थे। उनका विलाप उनकी सेना को दु:खी कर रहा था। सभी लोग अत्यंत दु:खी तथा शोकग्रस्त थे।
चारों ओर करुण रस का प्रवाह हो रहा था। उसी समय हनुमान द्रोण पर्वत के साथ लंका पहुँच गए। उनके पहुँचते ही वानर और भालुओं में हर्ष का संचार हो गया। करुण रस की जगह वीर रस का प्रवाह हुआ। हनुमान के इस कार्य से सेना में उत्साह् तथा शक्ति का संचार हुआ। राम ने हनुमान को गले से लगा लिया।
(ग) “जादू दूटता है इस उषा का अब” उषा का जादू क्या है और कैसे दूटता है? ‘उषा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सूर्योदय से पूर्व आकाश में नए-नए रंग उभरते हैं। लाल-काले रंगों के अदुभुत मेल से आकाश में जादू जैसा वातावरण बन जाता है। इस रंग-बिरंगे वातावरण को ‘उषा का जादू’ कहा गया है। सूर्योदय होते ही ये सारे रंग विलीन हो जाते हैं और उषा का जादू टूट जाता है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) दिन ढलने के बाद कौन-सा विचार पंथी के कदमों को धीमा कर देता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
दिन ढलने पर पंथी जब घर की ओर कदम बढ़ाता है, तो उसे सुखद अनुभूति होती है कि अपने-अपने प्रतीक्षारत प्रियजनों से मिलने के लिए व्याकुल जीव थकावट के बावजूद कितनी स्कूर्ति से घर की ओर जा रहे हैं, तभी उसके मन में यह विधार आता है कि उसका अपना कोई भी नहीं है, जो घर में उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो। यह प्रश्न मन में आते ही उसका उत्साह कमजोर पड़ने लगता है और दिन ढलने के बाद लौट रहे कद्दों की गति धीमी पड़ने लगती है।
(ख) ‘छोटा मेरा खेत’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किस रस की अमृत धारा को अक्षय बताया है तथा क्यों?
उत्तर :
कवि ने रचना को ‘रस का अक्षयपात्र’ कहा है। कवि मानता है कि रथना-कर्म तथा कृषि-कर्म में गुण-साम्य है, किंतु यह गुण-साम्य फसल के पकने तथा रचना के पूर्ण होने तक का ही है। एक ओर जहाँ फसल सीमित समय तक ही रस तथा स्वाद प्रदान करने में सक्षम होती है, वहीं रचना अनंतकाल तक पाठकों को आनंद प्रदान करने में सक्षम होती है। इसमें रचना-कर्म की तमाम विशेषताएँ सामने आ जाती हैं, जिससे संवेदना, भाव तथा कल्पना को एक नई दिशा मिलती है।
(ग) आकाश में उडती हुई रंग-बिरंगी पतंगों से आकाश एक उद्यान जैसा प्रतीत होता है। कैसे? ‘पतंग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शरद् ऋतु की खिल-खिलाती सुहानी सुबह से ही आकाश में पतंगें उड़ने लगती हैं। ये पतंगें हल्की, रंगीन और पतली कमानी वाली होती हैं। इन पतंगों को आकाश में उड़ता हुआ देखकर ऐसा लगता है कि यह आकाश एक उद्यान है, जिसमें उड़ती रंग-बिरंगी पतंगें तितलियों के समान आकर्षक दिखाई देती हैं और संपूर्ण आकाश पुष्पों के एक गुलदस्ते के समान मनमोहक दिखाई देता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ऊँचे बाज़ार का आमंत्रण आग्रह से किस प्रकार भिन्न है? ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
ऊँचे बाजार का आमंत्रण आग्रह से भिन्न होता है। बाजार तो आमंत्रित करता ही है और कहता है कि लूटो, मुझे और लूटो। सब कुछ – भूलकर मुझे देखो, मेरा आर्कषण सब तुम्हारे लिए है। बाजार के इस तरह के आमंत्रण में आग्रह नहीं, बल्कि आकर्षण है। आग्रह कर-करके बुलाने में हम स्वयं नहीं जाते हैं, लेकिन जो मूक रहकर शब्दविहीन इशारों से बुलाता है, वह होता हैं रंगीन बाजार, उसे देखने की लालसा जगती है।
(ख) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के आधार पर बताइए कि लुट्टन पहलवान अपनी ख्याति के विषय में क्या कहता था?
उत्तर :
लुट्टन बहुत साहसी और निडर था। वह अपने शिष्यों से कहता था कि वह जिंदगी में किसी से नहीं हारा तथा सदैव संघर्ष करता रहा और बड़े-बड़े पहलवानों से भी वित नहीं हुआ। उसके ये शब्द अपने.गौरवयुक्त जीवन के उज्ज्वल पक्ष को उद्घाटित करने वाले थे। लुट्टन अपने दोनों पुत्रों से भी कहता था कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है। ढोल की आवाज के प्रताप से ही मैं पहलवान हुआ। इस प्रकार लुट्टन अपनी ख्याति के विषय में लोगों को बताता रहता था।
(ग) ‘शिरीष के फूल’ में लेखक ने शिरीष के फूलों को अवधूत के समान बताया है तथा शिरीष के वृक्ष को अधिक महत्त्व दिया है, क्यों?
उत्तर :
लेखक ने शिरीष के फूलों को अवघूत के समान बताया है। शिरीष के फूल कमजोर होते हैं, पर फल अत्यंत ही कठोर। शिरीष के वृक्ष बड़े तथा छायादार होते हैं। ये आँधी, तूफ़ान, भयंकर गर्मी तथा लू में भी डटकर खड़े रहते हैं।
ज्येष्ठ की प्रचंड गर्मी में शिरीष का वृक्ष ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जो पुष्षित, पल्लवित रहता है और शीतलता प्रदान करता है। इसलिए लेखक ने शिरीष के वृक्ष को अधिक महत्त्व दिया है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) भक्तिन के त्याग की पराकाष्ठा कब दिखाई देती है? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
भक्तिन की त्याग की पराकाष्ठा हमें अंतिम अनुच्छेद में दिखाई देती है। जब उसे लेखिका के जेल जाने की आशंका हुई, तो भक्तिन बहुत दु:खी हुई, क्योंकि वह लेखिका से दूर नहीं होना चाहती थी। उसे जेल के नाम से बहुत डर लगता था, लेकिन फिर भी वह लेखिका के साथ जाने के लिए तैयार हो गई।
(ख) वर्षा न होने पर गाँववासी कौन-कौन से उपाय करते हैं? ‘काले मेघा पानी दे’ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
‘कले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर वर्षा न होने पर गाँव वालों के द्वारा पूजा-पाठ आदि काम न आने पर गाँव-गाँव घूमती मेंढक मंडली पर पानी का अभाव होने पर भी सहेज कर रखा हुआ पानी उन पर उडेल देते थे। उन लोगों का मानना था कि यदि कुछ पाना है, तो पहले त्याग करना होगा। ऋषियों व मुनियों ने त्याग व दान की महिमा गाई है। पानी के बीज दोने से काले मेघों से वर्षा होगी जिससे गाँव, शहर, खेत खलिहानों को खूब पानी मिलेगा।
(ग) जन्मजात धंधों में लगे श्रमिक कार्यकुशल क्यों नहीं बन पाते हैं? ‘जाति-प्रथा और श्रम का विभाजन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
जन्मजात धंधों में लगे श्रमिक कार्य कुशल इसलिए नहीं बन पाते, क्योंकि किसी भी व्यवसाय में कार्य-कुशलता के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। यह प्रशिक्षण शैक्षणिक व तकनीक दोनो स्तर पर आवश्यक होता है। जो जन्मजात धंधे में लगते हैं, वह अपने जन्म के आधार पर ही उस कार्य में लगे रहते हैं। वह उस व्यवसाय से संबंधित कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं प्राप्त करते। उन्हें अपने व्यवसाय के आधुनिकतम पहलुओं, तकनीकी संबंधी या शैक्षणिक संबंधी पहलुओं की जानकारी नहीं हो पाती। दूसरा कारण यह है कि जो जन्मजात धंधे में लगे होते हैं, अधिकतर उनका स्वयं का धंधा होता है अथवा दिहाडी आधारित सेवा वाला कार्य होता है, जिस कारण उन पर बहुत अच्छी कार्य-कुशलता दिखाने का कोई विशेष दबाव भी नहीं होता।
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2 –
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 2 प्रश्नों में से किसी 1 प्रश्न का लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। यशोधर बाबू किन जीवन-मूल्यों को थामे बैठे हैं? नई पीढ़ी उन्हें प्रासंगिक क्यों नहीं मानती? तर्कसम्मत उत्तर दीजिए। (4 × 1 = 4)
अथवा
जूझ कहानी से लेखक की माँ उसके पिता की आदतों से वाकिफ थी। इसके बावजूद लेखक की माँ ने लेखक का साथ किस प्रकार दिया?
उत्तर :
यशोधर बाबू पुराने जीवन-सिद्धांतों को अपनाकर चलने वाले व्यक्ति हैं। वे आधुनिक जीवन-शैली एवं जीवन-मूल्यों को व्यर्थ मानते हैं। हालाँकि यशोधर बाबू भी आदुनिकत्ता के प्रभाव से अछूते नहीं रह सके, परंतु वे नए विचारों को अपनाने में सफल भी नहीं हो सके। अपने दृद जीवन-मूल्यों के आधार पर चलने के कारण ही नौकरी के अलावा अन्य तरीकों से धन कमाने की उन्होंने कभी नहीं सोची। अपने सिद्धांतों के कारण ही उन्होंने अपने कोटे का फ्लैट भी नहीं लिया। वे हमेशा चाहते थे कि परिवार के सभी सदस्य उनकी सलाह से ही कोई कार्य करें या अपना पहनावा, व्यवहार आदि रखें।
जबकि नई पीढ़ी उनके पुराने आदर्शों को अब अप्रासंगिक मानती है। बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें उनके बच्चे संलग्न हैं, लेकिन उसके बारे में यशोधर बाबू को कुछ नहीं पता, तो वे उसमें अपनी राय कैसे दे सकते है और वह कहाँ तक उपयोगी होगी? यशोधर बाबू अपने सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान थे, जबकि उनकी पत्नी एवं बच्चे आधुनिक जीवन-मूल्यों को अपनाने के कारण उनसे विपरीत सोच रखते थे। यशोधर बाबू को सभी नए विचार ‘समहाउ इंप्रॉपर’ लगते हैं। वास्तव में नई पीढ़ी बदलाव चाहती है और अनेक ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें नई पीढ़ी की समझ ज़्यादा अच्छी है। नई पीढ़ी के विचारों को, उनके मूल्यों को एकदम से नकारना उचित नहीं है।
अथवा
लेखक की माँ अपने पति के व्यवहार से भली-भांति परिचित थी। वह जानती थी कि उसके पति को लेखक का पढ़ना बिलकुल अच्छा नहीं लगता। पढ़ाई की बात से ही वह खतरनाक जानवर की तरह गुर्राता है। इसके लिए लेखक की माँ अपने पति को ‘बनैला (बरहेला) सुअर’ कहती है। उसके व्यवहार को जानने के पश्वात् भी वह लेखक का साथ देने का निर्णय लेती है।
लेखक की मौं लेखक के साथ दत्ता जी के पास जाकर अपने पति के विषय में सब कुछ बताते हुए कहती हैं कि वह सारा दिन रखमाबाई के कोठे पर ही बिताता है। वह खेती के काम और घर गृहस्थी के काम में किसी प्रकार की भी मदद नहीं करता और पूरे दिन गाँव में घूमता-फिरता है। वह लेखक को इसीलिए पढ़ाना नहीं चाहता था, क्योंकि यदि लेखक पाठशाला जाने लगेगा, तो उसे स्वयं ही खेती का काम करना पड़ेगा।
लेखक की मों ने इन सभी बातों पर दत्ता जी को विश्वास दिला दिया। बाद में दत्ता के कहने पर लेखक के पिता ने लेखक को पद्ने की अनुमति दे दी।