जब किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जा रही हो और उसका मान समय के साथ बदल रहा हो तो उसी कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है ऐसे स्वप्रेरण कहते हैं यानी सेल्फ इंडक्शन कहते हैं यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन यानी विद्युत चुंबकीय प्रेरण की ही घटना है
लेंज के नियम के अनुसार उत्पन्न हुई प्रेरित धारा अपने उत्पन्न होने के कारण का विरोध करती है यानी धारा के परिवर्तन का विरोध करती है उत्पन्न हुई प्रेरित धारा मुख्यधारा के विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है जिससे इसका मान नहीं बढ़ सके
उदाहरण के लिए आपने देखा होगा की हमारे घर पर जब लाइट जाती है तो एकदम से पहले बल्ब तेज रोशनी देता है जब बंद होता है यह इसलिए होता है क्योंकि यहां पर विधुत धारा में बहुत बड़ा परिवर्तन होता है एकदम से शून्य तो उत्पन्न हुई प्रेरित धारा का मान एकदम से बढ़ जाता है और लाइट बल्ब तेज हो जाता है और फिर बन्द जाता है
स्वप्रेरण पर मुख्यधारा का मान निर्भर नहीं करता यहां पर मुख्यधारा के मान में परिवर्तन पर प्रेरित धारा का मान निर्भर करता है की धारा में परिवर्तन कितना हुआ उसी पर प्रेरित धारा की तीव्रता निर्भर करेगी
स्वप्रेरण गुणांक
कुंडली में प्रवाहित की जा रही विद्युत धारा के कारण कुंडली के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है जिससे कुंडली में से चुंबकीय बल रेखाएं या चुंबकीय फ्लक्स गुजरने लगता है यह चमके फ्लक्स कुंडली में प्रवाहित की गई धारा के समानुपाती होता है यदि प्रवाहित की गई धारा I हो और चुम्बकीय फ्लक्स हो तब
=LI
यह L एक स्थिरांक है इसे स्वप्रेरण गुणांक या स्वप्रेरकत्व कहते है
स्वप्रेरण गुणांक का S.I मात्रक हेनरी है इसे H से दर्शाते है इसकी विमीय राशी है
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