Class 6 Hindi Chapter 6 MCQ मेरी माँ
meri maa Class 6 MCQ
1. लखनऊ कांग्रेस में जाने के लिए मेरी बड़ी इच्छा थी। दादीजी और पिताजी तो विरोध करते रहे, किंतु माताजी ने मुझे खर्च दे ही दिया। उसी समय शाहजहाँपुर में सेवा-समिति का आरंभ हुआ था। मैं बड़े उत्साह के साथ सेवा समिति में सहयोग देता था। पिताजी और दादीजी को मेरे इस प्रकार के कार्य अच्छे न लगते थे, किंतु माताजी मेरा उत्साह भंग न होने देती शीं, जिसके कारण उन्हें अक्सर पिताजी की डाँट-फटकार तथा दंड सहन करना पड़ता था।
वास्तव में, मेरी माताजी देवी हैं। मुझमें जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह मेरी माताजी तथा गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपाओं का ही परिणाम है। दादीजी और पिताजी मेर विवाह के लिए बहुत अनुरोध करते, किंतु माताजी यही कहतीं कि शिक्षा पा चुकने के बाद ही विवाह करना उचित होगा। माताजी के प्रोत्साहन तथा सद्व्यवहार ने मेरे जीवन में वह दृढ़ता उत्पन्न की कि किसी आपत्ति तथा संकट के आने पर भी मैंने अपने संकल्प को न त्यागा।
बहुविकल्पी प्रश्न :
निम्नलिखित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चुनकर लिखिए-
प्रश्न 1.
लेखक की कहाँ जाने की बड़ी इच्छा थी ?
(क) लखनऊ कांग्रेस में
(ख) शाहजहाँपुर की सेवा समिति में
(ग) आर्य समाज में
(घ) स्वतंत्रता आंदोलन में
उत्तर :
(क) लखनऊ कांग्रेस में
प्रश्न 2.
लेखक के जीवन में साहस कहाँ से आया ?
(क) पिताजी की प्रेरणा से
(ख) माताजी की प्रेरणा से
(ग) गुरु सोमदेव जी कृपा से
(घ) (ख)-(ग) दोनों
उत्तर :
(घ) (ख)-(ग) दोनों
प्रश्न 3.
लेखक से विवाह कर लेने का अनुरोध कौन करता था ?
(क) दादाजी
(ख) पिताजी
(ग) (क)-(ख) दोनों
(घ) माताजी
उत्तर :
(ग) (क)-(ख) दोनों
प्रश्न 4.
लेखक के जीवन में दृढ़ता किसने उत्पन्न की ?
(क) माताजी ने
(ख) पिताजी ने
(ग) दादाजी ने
(घ) सभी ने
उत्तर :
(क) माताजी ने
प्रश्न 5.
लेखक के पिताजी को उनके क्या कार्य अच्छे न लगते थे ?
उत्तरः
लेखक के पिताजी और दादीजी को शाहजहाँपुर की सेवा समिति में भाग लेना अच्छा नहीं लगता था।
प्रश्न 6.
माताजी को पिताजी की डाँट-फटकार तथा दंड क्यों सहन करना पड़ता था ?
उत्तर:
माताजी सदैव अपने बेटे रामप्रसाद बिस्मिल का उत्साह बढ़ती रहती थी। उसे सभा-समिति में जाने देती थीं। पिताजी को उनकी यह आदत पसंद न थी। इसी कारण उन्हें अक्सर पिताजी की डाँट-फटकार और दंड सहना पड़ता था।
प्रश्न 7.
लेखक अपनी माँ को क्या समझता था ?
उत्तर:
लेखक अपनी माँ को देवी समझता था। उन्हीं से उनके जीवन में साहस का गुण आया। माँ ने ही उनके विवाह से अधिक महत्त्व उसकी शिक्षा को दिया।
प्रश्न 8.
माताजी ने लेखक के जीवन क्या विशेषता उत्पन्न की ?
उत्तर:
लेखक की माताजी ने ही उसके जीवन में सद्व्यवहार व दृढ़ता की विशेषता उत्पन्न की। इसी दृढ़ता के बलबूते पर ही लेखक ने संकट की घड़ी में भी अपना संकल्प नहीं त्यागा।
2. एक समय मेरे पिताजी दीवानी मुकदमे में किसी पर दावा करके वकील से कह गए थे कि जो काम हो वह मुझसे करा लें। कुछ आवश्यकता पड़ने पर वकील साहब ने मुझे बुला भेजा और कहा कि मैं पिताजी के हस्ताक्षर वकालतनामे पर कर दूँ। मैंने तुरंत उत्तर दिया कि यह तो धर्म विरुद्ध होगा, इस प्रकार का पाप मैं कदापि नहीं कर सकता। वकील साहब ने बहुत समझाया कि मुकदमा खारिज हो जाएगा। किंतु मुझ पर कुछ भी प्रभाव न हुआ, न मैंने हस्ताक्षर किए। अपने जीवन में हमेशा सत्य का आचरण करता था, चाहे कुछ हो जाए, सत्य बात कह देता था।
बहुविकल्पी प्रश्न :
निम्नलिखित बहुविकल्पी श श्नों के उत्तर का सही विकल्प चुनकर लिखिए-
प्रश्न 1.
वकील साहब ने लेखक को क्यों बुला भेजा ?
(क) वकील साहब वकालतनामें पर उससे पिताजी के हस्ताक्षर करवाना चाहते थे।
(ख) वे एक दीवनी मुकदमें में उससे गवाही दिलवाना चाहते थे।
(ग) वे उसे पिताजी का आदेश सुनाना चाहते थे।
(घ) वे उसे तंग करना चाहते थे।
उत्तर :
(क) वकील साहब वकालतनामें पर उससे पिताजी के हस्ताक्षर करवाना चाहते थे।
प्रश्न 2.
लेखक ने क्या कहकर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया ?
(क) यह काम विरुद्ध होगा।
(ख) यह पाप वह नहीं करेगा।
(ग) (क)-(ख) दोनों
(घ) मैं पिताजी से पूछूँगा।
उत्तर :
(ग) (क)-(ख) दोनों
प्रश्न 3.
लेखक अंत तक किस बात पर दृढ़ रहा ?
(क) सत्य आचरण पर
(ग) विरोध करने पर
(ख) आज्ञा न मानने पर
(घ) मुकद्मे पर
उत्तर :
(क) सत्य आचरण पर
प्रश्न 4.
लेखक के पिताजी वकील साहब से क्या कह गए थे ?
उत्तरः
पिताजी ने एक दीवानी मुकदमा करना था। उसमें वकालतनामा पर उन्हें हस्ताक्षर करने थे, पर वे कहीं चले गए थे। वे वकील साहब से यह कह गए थे कि जो भी काम हो वह मुझ़सं (लेखक) से करा ले।
प्रश्न 5.
वकील सहबब ने लेखक से क्या काम करने को कहा ?
उत्तर:
वकील साहब ने वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर करने को लेखक से कहा। ऐसा न करने पर मुकदमा खारिज होने की बांत भी कही।
प्रश्न 6.
लेखक ने इसका क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
लेखक ने वकालतनामा पर पिताजी के हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। उन्होंने इसे धर्म-विरुद्ध बताया। वे इस प्रकार का पाप-कर्म करने को कतई तैयार नहीं हुए। वे सत्य पर अड़िग रहे।
3. ग्यारह वर्ष की उम्र में माताजी विवाह कर शाहजहाँपुर आई थीं। उस समय वह नितांत अशिक्षित एक ग्रामीण कन्या के समान थीं। शाहजहाँपुर आने के थोड़े दिनों बाद दादीजी ने अपनी छोटी बहन को बुला लिया। उन्होंने माताजी को गुहकार्यं की शिक्षा दी। थोड़े दिनों में माताजी ने घर के सब काम-काज को समझ लिया और भोजनादि का ठीक-ठीक प्रबंध करने लगीं। मेरे जन्म होने के पाँच या सात वर्ष बाद उन्होंने हिंदी पढ़ना आरंभ किया। पढ़ने का शौक उन्हें खुद ही पैदा हुआ था।
मुहल्ले की सखी-सहेली जो घर पर आया करती थीं, उन्हीं में जो शिक्षित थीं, माताजी उनसे अक्षर-बोध करतीं। इस प्रकार घर का सब काम कर चुकने के बाद जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करती। परिश्रम के फल से थोड़े दिनों में ही वह वेवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगीं। मेरी बहनों को छोटी आयु में माताजी ही शिक्षा दिया करती थीं।
बहुविकल्पी प्रश्न :
निम्नलिखित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चुनकर लिखिए-
प्रश्न 1.
माताजी कितनी उम्र में शादी करके शाहजहाँपुर आई़ं थी ?
(क) 10 वर्ष की
(ख) ग्यारह वर्ष की
(ग) 14 वर्ष की
(घ) 16 वर्ष की
उत्तर :
(ख) ग्यारह वर्ष की
प्रश्न 2.
माताजी को गुहकार्य की शिक्षा किसने दी ?
(क) उनकी सास ने ;
(ख) दादी के छोटी बहन ने
(ग) नानी जी ने
(घ) पड़ोसिन ने
उत्तर :
(ख) दादी के छोटी बहन ने
प्रश्न 3.
माताजी को अक्षर-बोध करना किसने सिखाया ?
(क) पिताजी ने
(ख) माताजी की सखी-सहेली ने
(ग) अध्यापिका ने
(घ) स्वयं ने
उत्तर :
(ख) माताजी की सखी-सहेली ने
प्रश्न 4.
माताजी किस भाषा की पुस्तकें पढ़ने लगीं ?
(क) देवनागरी की
(ख) उर्दू की
(ग) पंजाबी की
(घ) अंग्रेजी की
उत्तर :
(क) देवनागरी की
प्रश्न 5.
माताजी विवाह के समय किस प्रका की थीं ?
उत्तर:
चैंकि उनका विवाह ग्यारह वर्ष की अल्पायु में ही हो गया था। अतः वे गृहकार्य में दक्ष नहीं थीं। वे अशिक्षित थीं तथा ग्रामीण कन्या थीं। उन्हें शहरी वातावरण में ढ़लना था। अतः दादीजी ने अपने छोटी बहन को अपने यहाँ बुलवा दिया ताकि वे माताजी को गृहकार्य की शिक्षा दे सके।
प्रश्न 6.
माताजी ने हिंदी पढ़ना कब आरंभ किया ?
उत्तर:
जब लेखक 5-6 वर्ष का हो गया तब माताजी ने हिंदी पढ़ना आरंभ किया। यह शौक उन्हें स्वयं ही हुआ था। मुहलूले की एक उनकी सखी-सहेली घर आया करती थी और वह शिक्षित थी। उसी ने माताजी को अक्षर-बोध कराया। थोड़े से परिश्रम से उन्होंने कुछ ही दिनों में देवनागरी की पुस्तकें पढ़ना शुरु कर दिया।
प्रश्न 7.
लेखक का माताजी से कब वार्तालाप हुआ करता था ?
उत्तर:
जब लेखक ने आर्य समाज में प्रवेश किया तब उसका माताजी के साथ खूब वार्तालाप होता था। माताजी ने ही उन्हें संसार-चक्र में न फँसने से बचाया। उन्होंने ही उसके क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत की।
4. जन्मदात्री जननी! इस जीवन में तो तुम्हारा ऋण डतारने का प्रयत्न करने का भी अवसर न मिला। इस जन्म में तो क्या यदि मैं अनेक जन्मों में भी सारे जीवन प्रयत्न करूँ तो भी तुमसे उत्रृण नहीं हो सकता। जिस प्रेम तथा दृढ़ता के साथ तुमने इस तुच्छ जीवन का सुधार किया है, वह अवर्णनीय है। मुझे जीवन की प्रत्येक घटना का स्मरण है कि तुमने जिस प्रकार अपनी देववाणी का उपदेश करके मेरा सुधार किया है।
तुम्हारी दया से ही मैं देश-सेवा में संलग्न हो सका। धार्मिक जीवन में भी तुम्हारे ही प्रोत्साहन ने सहायता दी। जो कुछ शिक्षा मैंने ग्रहण की उसका भी श्रेय तुम्हीं को है। जिस मनोहर रूप से तुम मुझे उपदेश करती थीं, उसका स्मरण कर तुम्हारी मंगलमयी मूर्ति का ध्यान आ जाता है और मस्तक झुक जाता है। तुम्हें यदि मुझे ताड़ना भी देनी हुई, तो बड़े स्नेह से हर बात को समझा दिया।
यदि मैंने धृष्टतापूर्ण उत्तर दिया तब तुमने प्रेम भरे शब्दों में यही कहा कि तुम्हें जो अच्छा लगे, वह करो, किंतु ऐसा करना ठीक नहीं, इसका परिणाम अच्छा न होगा। जीवनदात्री! तुमने इस शरीर को जन्म देकर केवल पालन-पोषण ही नहीं कि या बल्कि आत्मिक, धार्मिक तथा सामाजिक उन्नति में तुम्हीं मेरी सदैव सहायक रहीं। जन्म-जन्मांतर परमात्मा ऐसी ही माता दें।
बहुविकल्पी प्रश्न :
निम्नलिखित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चुनकर लिखिए-
प्रश्न 1.
लेखक किसका ॠण नहीं उतार पाएगा ?
(क) अपनी माता का
(ख) भारत माता का
(ग) समाज का
(घ) देश का
उत्तर :
(क) अपनी माता का
प्रश्न 2.
लेखक अपनी माँ की वाणी को कैसा बताता है ?
(क) देववाणी
(ख) लोकवाणी
(ग) जनवाणी
(घ) मनवाणी
उत्तर :
(क) देववाणी
प्रश्न 3.
लेखक को माँ की किस मूर्ति का ध्यान आता है ?
(क) सुखदायक
(ख) मंगलमयी
(ग) प्रेममयी
(घ) दयामयी
उत्तर :
(ख) मंगलमयी
प्रश्न 4.
लेखक की माँ उसकी किस उन्नति में सहायक रही ?
(क) धार्मिक
(ख) आत्मिक
(ग) सामाजिक
(घ) इन सभी में
उत्तर :
(घ) इन सभी में
प्रश्न 5.
लेखक किस ॠण को उतारने की बात कह रहा है ?
उत्तरः
लेखक अपनी माँ के ऋण को उतारने की बात कह रहा है। लेखक को इस जन्म में तो प्रयत्न करने पर भी माँ के ऋण उतारने का अवसर न मिल पाया। वह अनेक जन्मों में भी माँ के ऋण से उऋण नहीं हो सकता।
प्रश्न 6.
लेखक को अभी तक क्या-क्या स्मरण है ?
उत्तर:
लेखक को अभी तक जीवन की प्रत्येक घटना का स्मरण है। उसे यह भी याद है कि कैसे उसकी माँ ने अपनी देववाणी के उपदेश से उसका सुधार किया। माँ की दया से ही वह देश-सेवा के काम में लग सका। उसकी शिक्षा का श्रेय भी माँ को है। माँ ने ही उसे प्रोत्साहित किया और सहायता की।
प्रश्न 7.
लेखक की माँ को किस रूप में संबोधित करता है ? माँ ने उसके लिए क्या-क्या किया है ?
उत्तरः
लेखक माँ को जीवनदात्री के रूप में संबोधित करता है। माँ ने उसका पालन-पोषण तो किया ही, साथ में आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में भी सहायता की। लेखक कामना करता है कि प्रत्येक जन्म में उसे ऐसी ही माँ, मिले।
5. महान से महान संकट में भी तुमने मुझे अधीर नहीं होने दिया। सदैव अपनी प्रेम भरी वाणी को सुनाते हुए मुझे सांत्वना देती रहीं। तुम्हारी दया की छाया में मैंने अपने जीवन भर में कोई कष्ट अनुभव न किया। इस संसार में मेरी किसी भी भोग-विलास तथा ऐश्वर्य की इच्छा नहीं। केवल एक इच्छा है, वह यह कि एक बार श्रद्धापूर्वक तुम्हारे चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बना लेता।
किंतु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती और तुम्हें मेरी मृत्यु की दुखभरी खबर सुनाई जाएगी। माँ! मुझे विश्वास है कि तुम यह समझ कर धैर्य धारण करोगी कि तुम्हारा पुत्र माताओं की माता या भारत माता की सेवा में अपने जीवन को बलि-देवी की भेंट कर गया और उसने तुम्हारी कोख कलंकित न की, अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहा। जब स्वाधीन भारत का इतिहास लिखा जाएगा तो उसके किसी पृष्ठ पर उज्ज्वल अक्षरों में तुम्हारा भी नाम लिखा जाएगा।
बहुविकल्पी प्रश्न :
निम्नलिखित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चुनकर लिखिए-
प्रश्न 1.
लेखक के जीवन में माँ ने क्या किया ?
(क) अधीर होने से बचाया।
(ख) प्रेम-भरी वाणी में सांत्वना दी।
(ग) (क)-(ख) दोनों काम
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(ग) (क)-(ख) दोनों काम
प्रश्न 2.
लेखक की एकमात्र इच्छा क्या थी ?
(क) माँ के चरणों की श्रद्धापूर्वक सेवा करना।
(ख) ऐश्वर्यपूर्ण जीवन का सुख भोगना।
(ग) केवल देश-सेवा में लगे रहना।
(घ) प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहना।
उत्तर :
(क) माँ के चरणों की श्रद्धापूर्वक सेवा करना।
प्रश्न 3.
‘कलंकित’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है ?
(क) कलंक
(ख) कित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर :
(ग) इत
प्रश्न 4.
माँ ने अपने बेटे का साथ किस प्रकार दिया ?
उत्तर:
माँ ने बेटे को बड़े से बड़े संकट की घड़ी में हिम्मत बँँाई तथा उसे अधीर न होने दिया। माँ अपनी मधुर, प्रेममयी से उसे सांत्वना देती रही। माँ की छाया में लेखक ने कभी किसी कष्ट का अनुभव नहीं किया।
प्रश्न 5.
लेखक की क्या इच्छा नहीं रही ?
उत्तर:
लेखक को कभी भी भोग-विलास करने तथा ऐश्वर्यपूर्ण जीवन बिताने की इच्छा नहीं रही।
प्रश्न 6.
लेखक की केवल क्या इच्छा रही ?
उत्तरः
लेखक की केवल एक ही इच्छा रही कि वह श्रद्धापूर्वक माँ के चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बना ले। पर उसे यह इच्छा पूरी होती प्रतीत न होती थी, क्योंकि देश के लिए जेल चला गया था।
प्रश्न 7.
लेखक को किस बात का विश्वास था ?
उत्तरः
लेखक को इस बात का विश्वास था कि जब उसकी माँ को उसकी मृत्यु की खबर सुनाई जाएगी, तब वह यह समझकर धैर्य-धारण कर लेगी कि उसके पुत्र ने भारत-माता की सेवा में अपना जीवन की बलि चढ़ा दी है। उसका (लेखक का) जीवन देश-प्रेम की बलि देवी की भेंट हो गया है। उसने अपनी माँ की कोख को कलंकित नहीं होने दिया है। उसने अपना सर्वोच्च बलिदान देश के लिए किया है। यह तो गर्व करने की बात है। उसका पुत्र अंतिम क्षण तक अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहा है।