Nuclear Fission या नाभिकीय विखण्डन जिसमे एक भारी नाभिक को neutrons से Bombard करके दो अलग nucleus में विभाजित करते है जिससे बहुत ऊर्जा मुक्त होती है इसी प्रक्रिया को Nuclear Fission या नाभिकीय विखण्डन कहते है या हम आसानी से कह सकते है की भारी या बड़े नाभिक यानि nucleus पर neutrons की बम्बबारी करके उसे दो छोटे-छोटे नाभिक में विभाजित करना Nuclear Fission या नाभिकीय विखण्डन कहलाता है इस अभिक्रिया में बहुत एनर्जी पैदा होती है
वह अभिक्रिया जिसमे एक भारी नाभिक टूट कर दो कम mass के नाभिको का निर्माण करते है नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया कहलाती है
Nuclear Fusion या नाभकीय संलयन क्या है ?
नाभिकीय विखण्डन की अभिक्रिया
चित्र में देखें जब Uranium 235 को Neutrons या Neutron Beam से Bombard किया जाता है तब Uranium 235 Neutron अवशोषित करके U 236 में बदल जाता है Uranium 236 अस्थाई होता है और
यह Krypton (kr92) और Barium (Ba141) में टूट जाता है इस प्रोसेस में 3 neutron भी रिलीज़ होते होते है ये फिर किसी uranium nucleus trigger करते है यह चैन अभिक्रिया चलती रहती है
इतनी ऊष्मा ऊर्जा मुक्त कहाँ से होती है?
यदि Practically सोचें तो पहले Uranium को और टूटने के बाद बने उत्पाद को यदि तौलते है तो बहुत द्रव्यमान कमी होता है यानि बने उत्पाद का द्रव्यमान कम होता है uranium से यह mass जाता कहाँ है? तो यह ही उत्तर है Albert Einstein के E=mc² से द्रव्यमान ऊष्मा ऊर्जा में बदल जाती है इस लिए Nuclear Fission या नाभिकीय विखण्डन में बहुत ज्यादा ऊष्मा उत्पन्न होती है
Nuclear Fission या नाभिकीय विखण्डन का उपयोग
- Nuclear Fission या नाभिकीय विखण्डन का उपयोग न्यूक्लियर रेक्टर में होता है जिससे न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में एलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न की जाती है
- Nuclear Fission का उपयोग अटॉम बोम्ब या परमाणु बम्ब में होता है जो बहुत ज्यादा तबाही मचाता है
Nuclear Fission या नाभिकीय विखण्डन के लाभ-हानिया
- न्यूक्लियर रेक्टर के उपयोग से कार्बन डिआक्साइड गैस नहीं निकलती और न ही कोई ऐसी गैस जो ग्लोबल वार्मिंग बडाने में सहायक हो
- 1 ग्राम Uranium से 5.21×10²² Mev ऊर्जा पैदा होती है
- यदि इतनी ऊर्जा कोयले से चाहिए तो कई टन कोयला चाहिए होगा
- इसमें से अद्रश्य विकरण यानि विकिरण फैलता है जो कैंसर जैसी बीमारी फैलता है
- वायु प्रदूषण ना के बराबर होता है
- खर्चा बहुत कम लगता है
- इसमें से अद्रश्य विकरण यानि radiation फैलता है जो कैंसर जैसी बीमारी फैलता है
- जीवो को बहुत नुकसान पहुँचता है
इलेक्ट्रॉन नाभिक में नहीं पाया जाता पर बीटा क्षय के समय नाभिक से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन का कारण क्या है
जब तत्व का बीटा काणो के उत्सर्जन से विघटन होता है तो विघटन से एक इलेक्ट्रॉन और पॉजीट्राँन का अपने आप उत्सर्जन होने लगता है इस घटना में एक नया तत्व बनता है एक इलेक्ट्रॉन और पॉजीट्राँन के उत्सर्जन से तत्व के परमाणु क्रमांक में एक की कमी या वृद्धि होती है पर उस के द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होता बीटा कणों का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान के समान होता है इस संपूर्ण घटना के दौरान यदि बीटा कणो पर ऋण आवेश होता है तो इसे इलेक्ट्रॉन और धन आवेश होता है तो इसे पॉजीट्राँन कहते हैं
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